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न्यूज चैनल रिपब्लिक इन दिनों धूम मचा रहा है। हर रोज नए-नए खुलासे! कभी लालू यादव निशाने पर, कभी केजरीवाल और कभी शशि थरूर। शुरू होने के पहले ही हफ्ते में रिपब्लिक की धूम मची हुई है और कहा जाने लगा है कि रिपब्लिक चैनल का डिस्ट्रीब्यूशन अगर सही रहा, तो अंग्रेजी चैनलों में यह चैनल नंबर वन हो जाएगा। यह भी कहा जाने लगा है कि रिपब्लिक अंग्रेजी का जी न्यूज बन गया है, मतलब जिस तरह जी न्यूज बीजेपी और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ खुलासे नहीं करता, उसी तरह रिपब्लिक भी केवल विरोधी दलों की पोल खोलता है।

आखिर कौन है रिपब्लिक के इन्वेस्टर्स? कौन लोग है एआरजी आउटलियर मीडिया लिमिटेड और एसएआरजी मीडिया होर्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के निवेशक। यहीं दो कंपनियां है, जो रिपब्लिक के पीछे थैली लेकर खड़ी है। दरअसल रिपब्लिक की मालिक है एआरजी आउटलीयर, जिसके सर्वेसर्वा है राज्यसभा के सांसद राजीव चन्द्रशेखर। एशियानेट न्यूज ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड इन्हीं की कंपनी है। यहीं कंपनी एशियानेट ग्रुप के लिए डिजिटल प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। अर्नब गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक के ट्विटर अकाउंट में एशियानेट न्यूजेबल लोगो लगा हुआ है।

राज्यसभा के सांसद राजीव चन्द्रशेखर की पूरी टीम इस बात का ध्यान रखती है कि रिपब्लिक चैनल पूरी तरह दक्षिणपंथी राह पर चलें। राजीव चन्द्रशेखर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में केरल के वाइस चेयरमैन है। उनके चेले रिपब्लिक के लोगों को ‘मार्गदर्शन’ देते रहते है कि वे किस लाइन पर चलें।

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एआरजी आउटलीयर 8 अगस्त 2016 को इनकार्पोरेट हुई थी। इसके पांच डायरेक्टर है राजीव चन्द्रशेखर, अजय रमेशचन्द्र गर्ग, सम्यव्रत रॉय गोस्वामी (अर्नब गोस्वामी की पत्नी), अर्नब रंजन गोस्वामी (एमडी) और मोहित जयंती रघुनाथ धामने (कंपनी सेक्रेटरी)। अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी 19 नवंबर 2016 को एआरजी और एसएआरजी कंपनियों में डायरेक्टर बन गए। अर्नब ने टाइम्स नाउ 1 नवंबर को छोड़ा था, जबकि गर्ग इसके डायरेक्टर अक्टूबर में ही बन गए थे। राज्यसभा सांसद राजीव चन्द्रशेखर 24 नवंबर को डायरेक्टर बने।

एआरजी में मुख्यत: दो निवेशक है, एक एशियानेट ऑनलाइन और दूसरा एसएआरजी। दोनों ही कंपनियां मुंबई के पॉश लोवर परेल इलाके के पते पर रजिस्टर है। इसमें एसएआरजी की इक्वीटी ज्यादा है। राजीव चन्द्रशेखर की कंपनी एशियानेट का एआरजी आउटलीयर में निवेश 30 करोड़ का है, जो उन्होंने 19 नवंबर को किया था। एसएआरजी ने करीब 26 करोड़ रुपए एआरजी में निवेश किए हैं।

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अर्नब गोस्वामी चाहते थे कि वे छोटे-छोटे निवेशकों की राशि जुटाकर मीडिया कंपनी बनाए। ज्यादातर निवेशकों के दिमाग में निवेश करना मुख्य लक्ष्य लगता है। वे कोई राजनैतिक प्रभाव जमाना नहीं चाहते। फिर भी ऐसे निवेशक तो है ही, जो चाहते है कि अर्नब की कंपनी में उनका लगाया गया पैसा तेजी से तो बढ़े, साथ ही उनका आभामंडल भी बढ़ाए। अर्नब गोस्वामी और उनके साथियों ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि इस कंपनी में वे लोग भी निवेश करें, जो टीवी चैनलों के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े है। उन्हें पता है कि बगैर उचित डिस्ट्रीब्यूशन के चैनल बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं कर सकता। अर्नब गोस्वामी के नाम पर इस कंपनी में 2 लाख 2 हजार 500 इक्वीटी शेयर है, जो 20 लाख 25 हजार रुपए के है। हर शेयर दस रुपए मूल्य का है। उनकी पत्नी की इक्वीटी 6 लाख 75 हजार रुपए के शेयर की है। बाकी सभी शेयर होल्डर 250 से लेकर 50 हजार शेयर रखते है। मनीपाल ग्रुप के रंजन पाई के 75 हजार शेयर है। डेन नेटवक्र्स ग्रुप के तपेश वीरेन्द्र सिंह के साढ़े सात हजार शेयर है। समीर और संजीव मनचंदा भी डेन नेटवक्र्स से ही ताल्लुक रखते है, उनके साढ़े सत्रह हजार शेयर है। रिपब्लिक को चैनल डिस्ट्रीब्यूशन ग्रुप के लोगों से जोड़ने के पीछे यहीं उद्देश्य लगता है कि अर्नब गोस्वामी चैनल का डिस्ट्रीब्यूशन निर्बाध चाहते हैं। इतना ही नहीं, रिपब्लिक में इन्वेस्ट करने वाले कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें टेलीविजन पर एडवरटाइजिंग के जरिये रेवेन्यू अर्जित करने का अच्छा अनुभव है। कागजों पर इस चैनल में निवेश करने वालों में अब तक 56 करोड़ रुपए निवेश किए हैं और अनेक निवेशकर्ता अभी भी लाइन में लगे हैं। प्रभावशाली लोगों के माध्यम से ही रिपब्लिक को सूचना और प्रसारण मंत्रालय में लाइसेंस अपेक्षाकृत जल्दी मिल गया।

रिपब्लिक के मुख्य निवेशकर्ता राजीव चन्द्रशेखर पहली बार 2006 में कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुने गए। चन्द्रशेखर की एशियानेट न्यूज नेटवर्क, स्वर्णा न्यूज और कन्नड़ अखबार प्रभा में अच्छी होर्डिंग्स है। दिलचस्प बात यह है कि राजीव चन्द्रशेखर ने जुपिटर केपिटल में भारी निवेश कर रखा है, जो कि डिफेंस सेक्टर की प्रमुख कंपनी है। यह कंपनी भारतीय सेनाओं को ट्रेनिंग के अनेक उपकरण सप्लाय करती है। जुपिटर केपिटल को ही पिछले वर्ष भारतीय थल सेना और वायु सेना में ट्रेनिंग के उपकरणों का एक बड़ा ठेका मिला था। कह सकते है कि रिपब्लिक के निवेशकों की रूचि डिफेंस सेक्टर की कंपनियों में है। वे चाहेंगे कि भारत में सुरक्षा का व्यय बढ़ता जाए।

एसएआरजी के निवेशकों पर भी एक नजर डालें। इनमें रंजन मोहनदास पाई और मोहनदास पाई के साढ़े सात करोड़ रुपए, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के रामकांत पांडा के पांच करोड़, टीवीएस टायर्स के आर. नरेश और शोभना रामचन्द्रन के ढाई करोड़, रेनसां जूलरी मुंबई के ढाई करोड़ और एसआरएफ ट्रांसनेशनल होर्डिंग्स कंपनी के ढाई करोड़ निवेश है। समीर मनचंदा 2005 में सीएनएन-आईबीएन की लांचिंग के प्रमुख निवेशक रहे हैं। एसएआरजी में उन्होंने भी ढाई करोड़ लगाए है।

रिपब्लिक जिस तरह से खुलासे करता आ रहा है, उससे लगता है कि वह बीजेपी के खिलाफ लड़ने वाली पार्टियों के नेताओं के कथित घोटाले उजागर करने में लगा है। राजीव चन्द्रशेखर भारतीय जनता पार्टी के समर्थक है और उनका आर्थिक हित वर्तमान सत्ता सरकार में निहित है। जुपिटर केपिटल के सीईओ अमित गुप्ता का एक ई-मेल पिछले वर्ष सामने आया था, जो उन्होंने राजीव चन्द्रशेखर के मीडिया संस्थानों के संपादकीय प्रमुखों को भेजा था। इसमें कहा गया था कि ऐसे ही पत्रकारों को नौकरी पर रखा जाए, जो राष्ट्रीयता और सरकार के नियम कायदों से परिचित हो, जो भारत समर्थक हो और सेना के समर्थक भी।

अनुभवी लोगों को अपने साथ रखने का फायदा अर्नब गोस्वामी को मिला है। टाइम्स नाउ के उनके पुराने साथी इसमें सहयोग दे रहे है। रिपब्लिक टीवी के सीएफओ एस. सुंदरम है, जो पहले टाइम्स नाउ के सीएफओ रहे हैं। सेना के पूर्व अधिकारी मेजर गौतम आर्य, रिलायंस ब्रॉडकॉस्ट नेटवर्क के विकास खानचंदानी, एशिया न्यूज मिनिट की चित्रा सुब्रमण्यम, टाइम्स नाउ के जम्मू-कश्मीर करस्पांडिंग आदित्य राज कौल, बिजनेस टाइकून मिन्हाज मर्चेंट और अनुपम खैर जैसे लोग अर्नब गोस्वामी के पीछे खड़े है। मुंबई के पॉश लोवर परेल इलाके में ही रिपब्लिक चैनल का शानदार स्टुडियो खड़ा है, जिसमें 300 लोग कार्य करते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रिपब्लिक का रवैया बीजेपी और उसके नेताओं के प्रति कैसा होगा?

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