मीडिया के प्रति समर्पण का पहला दौर उससे ज्ञान हासिल कर खुद को पत्रकार बनाना है तो दूसरा दौर अनुभवों के खजाने से इसे परिष्कृत करना। हालांकि अब ऐसे पत्रकारों की संख्या कम हो रही है। पेशे में आई जबरदस्त प्रतिस्पर्धा ने ‘सफल पत्रकार’ की परिभाषा प्रभावित की है, इस मुकाम को हासिल करने के रास्ते बदल दिए हैं, लेकिन संकट के इन संकेतों के बीच उम्मीद रोशन करते हैं प्रकाश हिंदुस्तानी।
अखबारी जगत ने जिस तरह टीवी समाचार चैनलों की बुनियाद रखी और मजबूत करती चली आ रही है, ाबरों की वेबसाइट के लिए वही योगदान प्रकाश का है। उन्हें इंटरनेट पत्रकारिता की सूझी कैसे? इसका राज खुद प्रकाश ने खोला और बताया कि इस सफलता का पूरा श्रेय राजेंद्र माथुर साहब को जाता है। उन्होंने पत्रकारिता के साथ अध्ययन के लिए हमेशा प्रेरित किया।
वो दौर इंटरनेट का नहीं माना जा सकता, तब तो किताबों के लिए पूरी लाइब्रेरी छान डालता था। माथुर साहब कहते कि खूब पढ़ो और ये जरूर देखो कि इससे हासिल क्या हुआ? उनकी प्रेरणा थी कि हमेशा नई चीजों को अपनाओ, उसे आगे बढ़ाने के लिए अनुभवों का उपयोग करने में मत हिचको। खबरों की समझ के लिए बीबीसी सुनने की हिदायत भी दी थी। प्रकाश कहते हैं कि खबरों की दुनिया में विचारों का अहम योगदान है, इसलिए माथुर साहब अच्छी गोष्ठियों में शिरकत करने को कहते थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि ज्ञान के स्रोतों का दोहन करो। उनके ज्ञान की उष्मा ने मुझे तराशा। नए आकाश दिए। आप ऐसा करके खुद महसूस कर सकते हैं कि पत्रकारिता का आकाश कितना विशाल है और हमारी उड़ान कितनी सीमित। जिन लोगों की कोई आवाज नहीं सुने उनकी आवाज बनो, पर अफसोस है कि जनपक्ष धर पत्रकारिता नहीं हो रही है।
इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएचडी कर चुके प्रकाश को धर्मवीर भारती, डॉ विद्यानिवास मिश्र, राहुल बारपुते, कन्हैयालाल नंदन, वेद प्रताप वैदिक और सुरेंद्र प्रताप सिंह का सानिध्य मिला। 1982-83 में धर्मयुग, नवभारत टाइम्स में 16 साल, दैनिक भास्कर में 1997-99 तक सेवा दी। इसके बाद वेबदुनिया डॉट कॉम के संस्थापक संपादक की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। इसके अलावा प्रकाश कई साल सहारा न्यूज में रहे। वर्तमान में डीजी न्यूज-सेंट्रल इंडिया में मप्र-छग-राजस्थान के हेड हैं।
प्रकाश के चर्चित ब्लॉग को कई अवार्ड मिले। उनका ब्लॉग एबीपी के शीर्ष 10 में शुमार है। ब्लॉग के लिए प्रकाश को परिकल्पना सार्क ब्लॉगर्स अवार्ड मिला है। हिंदी में इटरनेट पत्रकारिता के लिए ही उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। उनकी चर्चित स्टोरी-मैं सीआईए का एजेंट नहीं था, रही। इसके अलावा नवभारत टाइम्स, जीने की राह-हिन्दुस्तान टाइम्स, माय हैशटेग-वेबदुनिया में रोजाना कॉलम भी खूब चर्चित रहा। फिलहाल वे एक नई किताब लिख रहे हैं, जिसकी सोशल मीडिया की ही भूमिका होगी नरेंद्र मोदी को हटाने में।