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भारतीय संसद पर हमले के अपराधी अफजल गुरू की फांसी की बरसी पर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कुछ तथाकथित छात्रों ने भारत विरोधी नारे लगाए। एबीवीपी के छात्रों ने इसका विरोध किया, तब जमकर उत्पाद हुआ। अफजल गुरू की याद में भाषण दिए गए और अफजल गुरू जिंदाबाद के साथ ही पाकिस्तान जिंदाबाद और भारत मुर्दाबाद के नारे भी लगे। हद तो तब हो गई, जब कुछ लोगों ने यह नारे लगाए-

‘‘कश्मीर की आजादी तक, जंग रहेगी... जंग रहेगी।
भारत की बर्बादी तक, जंग रहेगी... जंग रहेगी’’

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जिस किसी ने भी यह खबर पढ़ी, उसके दिमाग में हैदराबाद विश्वविद्यालय में याकूब मेमन की फांसी का विरोध करने वालों की बात गूंज गई। इतना कुछ हो रहा है और यह देश सहिष्णु बना बैठा है। सोशल मीडिया में जेएनयू के घटनाक्रम पर लोगों ने तीखी टिप्पणियां की। यह पूछा कि क्या जेएनयूू भारत में ही है या पाकिस्तान में? यह संदेश भी दिया गया कि आतंकवादियों का धर्म भी होता है और यूनिवर्सिटी भी।

कई लोगों ने लिखा कि जेएनयू देश विरोधी गतिविधियों का अड्डा हो गया है। बीजेपी और आरएसएस के विरोध के नाम पर देश विरोधी आंदोलन आम हो गए है। जेएनयू को केन्द्र सरकार अच्छी खासी मदद देता है। यह मदद प्रति विद्यार्थी 2,93,192 रूपए प्रति वर्ष है। कई विद्यार्थी यहां 40-40 साल की उम्र तक डटे रहते है। ये विद्यार्थी कम होते है और एंटी नेशनल और जिहादी किस्म के लोग ज्यादा। इन लोगों के बयान भी सुनो तो अचरज होता है। वहां के एक छात्र नेता ओमर खालिद का कहना है कि अफजल गुरू को फांसी देने वाले तीन-चार जज कौन होते थे, जिन्होंने तय कर दिया कि वह आतंकवादी था। लोगों ने उससे पूछा कि अगर सुप्रीम कोर्ट यह तय नहीं करेगी, तो क्या ढाबे पर बैठकर आतंकवाद का माल सप्लाय करने वाले आप छात्र नेता तय करोगे?

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हैदराबाद में दूध से जली भारत सरकार जेएनयू में छाछ भी फूंक-फूंककर पी रही हैं। हैदराबाद की तरह ही जेएनयू मेंं भी नारे लगे- ‘कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा’। इसके जवाब में किसी ने लिखा कि यह बात सही लगती है, क्योंकि हर घर में अफजल, मकबूल बट, कसाब, याकूब बैठे है, वरना की किसी की इतनी हिम्मत होती?

आमतौर पर लोगों ने लिखा कि ये सब गतिविधियां देशविरोधी है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप देशविरोधी गतिविधियां जारी रखे। छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर भी कार्रवाई की मांग उन्होंने की है। उन्हें लगता है कि अगर यहां ढील दी गई, तो इसकी आवृत्ति दूसरी जगहों पर भी हो सकती है।

जेएनयू में लगे नारों- ‘गो इंडिया गो बेक, कश्मीर की आजादी तक जंग चलती रहेगी, भारत की बर्बादी तक जंग चलती रहेगी’ के बारे में मीडिया में आई खबरों पर भी लोगों ने टिप्पणी की। लिखा कि यह सब कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं है, ब्रेकिंग न्यूज तो तब बनेगी, जब इन छात्र नेताओं को हममें से कोई एक तमाचा भी मार देगा, तब ब्रेकिंग न्यूज का शीर्षक होगा- भगवा आतंक।

कांग्रेस का एक वर्ग छात्रों की गतिविधियों के बचाव में सामने आया है। कुछ लोगों ने लिखा है कि अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। यह भी लिखा है कि अगर बीजेपी इस तरह के अलगाववादी तत्वों से मिलकर सरकार बना सकती है, तो यह विद्यार्थी अपराधी कहां से हो गए? कुछ लोगों ने लिखा कि जेएनयू और वामपंथ को बदनाम करने के लिए झूठे वीडियो पोस्ट किए जा रहे है। ये वीडियो फर्जी है और एक साजिश का परिणाम हैं। कुछ लोग तो इतने नाराज नजर आए कि उन्होंने जेएनयू को बंद करने या जेएनयू केम्पस में बीएसएफ या सीआरपीएफ की बटालियन तैनात करने की बात कही। इसी बहाने जेएनयू के छात्रों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और केम्पस का दुरूपयोग रोकने की बात भी कही। नाराजगी भरे लहजे में कई लोग सोशल मीडिया पर गालियां देने तक उतारू हो गए।

13 Feb 2016

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