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विगत 2 अक्टूबर को रायपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों ने अपनी मांगें सोशल मीडिया के माध्यम से रखी। अब जेल में सोशल मीडिया कैसे पहुंचा, यह अचरज की बात है। हो सकता है कि जेल के बाहर के किसी व्यक्ति ने, जो कैदियों का मित्र रहा हो; यह गतिविधि सोशल मीडिया पर डाली हो, लेकिन जो भी हो यह अपनी तरह का अजीब मामला है। कैदियों की मांगों में कोई भी मांग गैरसंवैधानिक नहीं कही जा सकती। लेकिन उनकी आवाज अब सोशल मीडिया के माध्यम से जेल के बाहर पहुंच गई है।

अपहरण और फिरौती के मामले में जेल में बंद नितिन चोपड़ा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। 2 अक्टूबर को जेल में भूख हड़ताल की बात भी सोशल मीडिया पर उछली। उसका दावा है कि रायपुर जेल के एक तिहाई कैदी उसके साथ है। नितिन चोपड़ा की मांगें एक नहीं, कई है। जिनमें से कुछ तो अजीबो-गरीब भी है। जैसे उसकी मांग है कि जेल में गुटखा और सिगरेट जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्हें जेल में अच्छी क्वालिटी का खाना भी मिले, जो थ्री स्टार होटल के जैसा हो। कैदियों को वोट देने का भी अधिकार दिया जाए। जेल में बंद होने का अर्थ यह नहीं कि उनका नागरिक का अधिकार भी नहीं रहे। जब जेल में रहकर चुनाव लड़ा जा सकता है, तब वोट देने से क्यों रोका जा रहा है?

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जेल का प्रशासन जब हरकत में आया, तब वह हड़ताल खत्म हुई। रविवार, 2 अक्टूबर से शुरू हुआ सत्याग्रह 3 अक्टूबर की शाम को खत्म हुआ, लेकिन सोशल मीडिया पर यह सत्याग्रह जारी है। छत्तीसगढ़ जेल विभाग के डीआईजी श्री के.के. गुप्ता ने पत्रकारों से कहा है कि हम उनकी सभी वाजिब मांगें पूरी कराने के लिए कोशिश करेंगे। कैदियों की मांगों को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा दिया गया है। जहां तक कैदियों की मांगों को लेकर बनाए गए सोशल मीडिया के पेज की बात है, इस बारे में पुलिस की सायबर सेल को जांच का मामला सौंप दिया गया है। इसके पहले छत्तीसगढ़ के डीजी (जेल) श्री गिरधारी नायक ने कहा था कि कैदियों के साथ हमें पूरी सहानुभूति है, लेकिन उनकी अवैध और अनैतिक मांगों को हम किसी भी तरह पूरा नहीं होने देंगे। इस मामले की पूरी जांच की जा ही है कि जेल में बंद कैदियों ने अपना फेसबुक पेज कैसे बनाया और ट्विटर पर वे अपना अकाउंट खोलने में कैसे सफल हुए। इतना ही नहीं, यह कैदी सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों को लगातार अपडेट भी करते रहे हैं। ये पंक्तियां लिखे जाने तक यह रहस्य उजागर नहीं हो पाया कि कैदियों का सोशल मीडिया पर पेज किसने बनाया और कौन उसे लगातार अपडेट कर रहा है।

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रायपुर सेंट्रल जेल के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि जेल में बंद 3391 कैदियों में से लगभग एक हजार कैदियों ने जेल के खाने को खराब बताकर उसे खाने से मना कर दिया था। कैदियों ने जेल प्रशासन के सामने 16 सूत्रीय मांग पत्र भी रखा है, जिसमें मांंग की गई है कि उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाए, टेलीफोन और मोबाइल की सुविधा उपलब्ध हो, उनके बैंक अकाउंट खोले जाए और उन्हें उनके परिवार के लोगों से और मित्रों से रोज मिलने की छूट दी जाए।

इन कैदियों ने गत 24 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी थी और मांग की थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो 2 अक्टूबर को वे अनशन करेंगे। फेसबुक पर अपलोड किए गए कैदियों के पेज के अनुसार उन्हें जेल में रहने के लिए मानवीय स्थितियां उपलब्ध कराई जाए। केन्द्र और राज्य सरकार जब गौ रक्षा जैसे मुद्दों पर गंभीर है, तब कैदियों के साथ भी मानवीय व्यवहार होना ही चाहिए। जेल में कैदियों को भेड़-बकरी से भी बुरी दशा में ठूंस दिया गया है। यह बात कही भी मानवीय नहीं कही जा सकती। दिलचस्प बात यह है कि कैदियों के सत्याग्रह वाले फेसबुक पेज पर सुंदर ग्रॉफिक्स भी बने है और कैदियों ने अपनी बात प्रभावी तरीके से लिखी है।

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