मेरी निजी वेबसाइट पत्रकारिता के गुरु श्री राजेन्द्र माथुर को समर्पित। 23 साल पहले यह साइट अंग्रेजी में लांच की थी। हिन्दी के पहले वेबपोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम के संस्थापक कंटेंट एडीटर के रूप में भी तमन्ना थी कि साइट हिन्दी में होती तो बेहतर होता। करीब पांच साल पहले यह वेबसाइट हिन्दी में भी बनी और अब उसे नए रूप में पेश करते हुए मुझे खुशी हो रही है।
"लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे"
1963 में प्रदर्शित फिल्म 'दिल ही तो है' का गाना है -"लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे"! यह गाना दशकों बाद भी अपने बोल, संगीत, गायन, नृत्य और गाने की सिचुएशन के लिए याद किया जाता है।
कबीर का भजन है -मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया। अमीर खुसरो ने भी कुछ इसी भाव का शेर कहा था, शब्द अलग थे, पर मंतव्य ऐसा ही रहा होगा। साहिर लुधियानवी के लिखे इस गाने के भाव दार्शनिक हैं, लेकिन फिल्म में इसकी प्रस्तुति मजाकिया लहजे में थी। पर्दे पर यह गाना छद्म रूप धरे नकली दाढ़ी-मूंछ वाले राज कपूर गाते हैं और पद्मिनी प्रियदर्शिनी इस शास्त्रीय गीत पर लाजवाब कर देनेवाला नृत्य करती हैं।'दिल ही तो है' 1960 के दशक के मुस्लिम खान बहादुर परिवार की एक रॉम-कॉम फिल्म थी यानी रोमांटिक कॉमेडी।
"वो यार है जो ख़ुशबू की तरह, जिसकी जुबां उर्दू की तरह"
साहिर के दो गानों ('जो भी है, बस यही एक पल है' और 'मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया') की चर्चा के बाद अब आज गुलजार के लिखे गाने की चर्चा। जिसकी एक लाइन मुझे 'दिल से' पसंद है। वैसे तो पूरा गाना ही ज़बर्दस्त है। सूफ़ी संत बुल्ले शाह ने लिखा था -'"तेरे इश्क नचाया, करके थैया थैया!" गुलज़ार ने लिखा -"चल छैया छैया, चल छैया छैया!सवाल है कि वो कौन यार है जो खुशबू की तरह है? वो शायद ऊपरवाला है जिसकी ज़ुबान दुनिया की सबसे मीठी बोलियों में से एक, उर्दू जैसी है! इस गाने की सभी लाइन अनूठी थीं और फिल्मांकन बेजोड़! 1998 में आई यह फिल्म आज तक दिलों पर राज कर रही है।
"मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया"
पिछले सप्ताह मैंने साहिर लुधियानवी के एक गाने की बात की थी, जिसकी एक-एक लाइन में जिंदगी का पूरा दर्शन था - जो भी है, बस यही एक पल है!संयोग ही है कि आज जिस गाने की चर्चा कर रहा हूँ वह भी साहिर लुधियानवी का लिखा है। 1961 में आई फ़िल्म हम दोनों का गाना है यह :मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया
इसी में आगे एक लाइन है- बर्बादियों का सोग (दुःख, अफसोस) मनाना फिजूल था, बर्बादियों का जश्न मनाता चला गयासोग यानी दुःख! अफसोस! इसीलिए हीरो गीत गाते हुए धुएं में हर फ़िक्र को उड़ाने की बात करता है, जिससे मेरी असहमति है क्योंकि धुंआ उड़ाना सेहत के लिए हानिकारक है।
"जो भी है, बस यही एक पल है"
हर शुक्रवार फिल्म देखता हूँ, पर बीते कुछ शुक्रवार फ़िल्म देखने के बाद भी कुछ लिखने का मन नहीं हुआ!
मन उन पुरानी कुछ फिल्मों पर लौट गया, जब न तो VFX थे, न Dolby साउंड; न 3D-4D तकनीक थी, न Bigpix स्क्रीन, न ATMOS, न तमाम तामझाम! अब फ़िल्म बनाने और देखने-दिखाने का सलीका बदल गया है; पर लगता है फिल्मों की आत्मा कहीं भटक गई है!
याद आता है वह दौर, जब हीरोइन का एक पॉज़ दिल को चीर कर रख देता था, एक्टर आंखों से वह कह देता था जो किसी भाषा का मोहताज नहीं! गानों की एक लाइन पूरी ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा बयां कर देती थी! बरसों तक गाने की लाइन दिमाग़ और दिल में उतरी रहती थी।....और हां, अब तक उतरी हुई है!
वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक नई दुनिया के पूर्व संपादक, पद्मश्री अभय छजलानी अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार, 23 मार्च २०२३ को अल सुबह उनका निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। वे मध्य प्रदेश टेबल टेनिस संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (इलना) के पूर्व अध्यक्ष थे, इसके लिए उन्हें 2002 में चुना गया था। भारत सरकार ने उन्हें पत्रकारिता में योगदान के लिए 2009 में पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था। अभय छजलानी का जन्म 4 अगस्त 1934 में हुआ था।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक पत्रकार, वक्ता और शोधार्थी के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने हिन्दी को उचित सम्मान देने के लिए भी कार्य किया। एक राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार के रूप में उनकी उपस्थिति प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों देखी जा सकती है। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों के रूप में उनकी ख्याति है। वे करीब १० साल तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में कार्य कर चुके हैं। हिन्दी समाचार एजेंसी ‘भाषा’ के संस्थापक-सम्पादक के रूप में उन्होंने भाषा से जुड़े कई प्रयोग किए।
'प्यार का पंचनामा' बनाने वाले लव रंजन की 'माइंडलेस' और 'इमोशनलेस' फिल्म है 'तू झूठी मैं मक्कार' ! कहने को यह रॉमकॉम यानी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, पर वास्तव में यह है भेजा फ्रॉय ! यह पंजाबियों की कहानी है रोहन अरोड़ा (रणबीर कपूर) और निशा मल्होत्रा (श्रद्धा कपूर ) की। अब पंजाबियों में घरेलू नाम रखे ही जाते हैं इसलिए रोहन अरोड़ा मिक्की है और निशा मल्होत्रा टिन्नी।
होली-धुलेंडी के मौके पर एक अजीब नाम वाली फिल्म आ रही है। हिंदी की फिल्मों में ऐसे अजीबोगरीब नाम का चलन है जो कभी तो हंसाता है, कभी पकाता है और कभी सोचने पर विवश कर देता है कि क्या नाम का सचमुच इतना अकाल है? दोहरे मतलब वाले घटिया नाम रखने के मामले में दादा कोंडके सबसे आगे थे, लेकिन पहले भी अजीब नाम की फिल्में बनती रही हैं।
अपने 'गवालियर' वाले डॉक्टर तिवारी का छोरा कार्तिक तिवारी (आर्यन) अपनी गिरह के पैसे लगाकर शहजादा बना है, जो तेलुगू में अल्लू अर्जुन की सुपरहिट फिल्म 'अला वैकुंठपुरमलो' की रीमेक है। अब कार्तिक तो ठहरा कार्तिक! वह न तो अल्लू बन सकता है, न सल्लू ! हाँ, दर्शकों को उसने उल्लू बनाने की कोशिश ज़रूर की है। वो भी बना नहीं पाया।
यशराज फिल्म्स की ‘पठान’ में कुछु कुछु नहीं होता, केवल धूम धड़ाका, सूं-सां, फाइटिंग, रेस, मार पिटाई, यातना, बम विस्फोट आदि होते रहते हैं। और वह भी भारत के अलावा यूएई, फ़्रांस, रूस, स्पेन, अफगानिस्तान और साइबेरिया में। इत्ती सुन्दर जगहों पर जाकर हीरो लड़ता है तो अफ़सोस होता है। यशराज वाले पहले नफरत के बाजार में मोहब्बत की फ़िल्में बनाते थे और अब लड़ाई पर उतारू हो गए हैं। गन्दी बात ! यह नाच-गाने पर केंद्रित नहीं, एक्शन पर केंद्रित फिल्म है, जिसमें एक्शन, एक्शन और एक्शन ही है। ऐसे एक्शन सीक्वेंस पहले किसी हिंदी फिल्म में नहीं देखे! अगर आप एक्शन फिल्मों के शौकीन हैं तो निश्चित ही आपको मज़ा आएगा।
अगर आपने दृश्यम देखी होगी तो आप जानते ही होंगे कि 2 अक्टूबर को गांधी व शास्त्री जयंती मनाई जाती है। यह ड्राई डे भी होता है। और इसके अलावा 2 अक्टूबर को ही विजय सालगांवकर पणजी गया था सत्संग में। इसमें परिवार के साथ पाव-भाजी खाई थी और 'पिच्चर' भी देखी थी।
दृश्यम 2 में कहानी आगे बढ़ती है और गड़ा मुर्दा उखाड़ लिया जाता है। फिल्म का बहुप्रचारित ट्रेलर बताता है कि विजय सालगांवकर यानी अजय देवगन ने पुलिस बयान में कैमरे के सामने अपराध स्वीकार कर लिया है लेकिन अंत आते-आते फिल्म की कहानी एक और मोड़ लेती है और गैर इरादतन हत्यारे के लिए दर्शक ताली बजाते हैं। हीरो की एक अपील करती है कि मेरा परिवार मेरे लिए सबकुछ है और मैं उसकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूँ।
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal nehru) का नॉमिनेशन 11 बार किया गया था. 4 बार नेहरू की हत्या के प्रयास किए गए : 1947 में विभाजन के बाद उनकी हत्या की कोशिश हुई जो नाकाम रही। 1955 में एक रिक्शा चालक ने उनकी हत्या की कोशिश की थी लेकिन वह भी कामयाब नहीं हुआ। उसके 1 साल बाद 1956 में तीसरी बार और 1961 में चौथी बार मुंबई में जवाहरलाल नेहरू की हत्या की कोशिश की गई थी। 27 मई 1964 को हार्ट अटैक के कारण जवाहरलाल नेहरू का निधन हुआ.
खाद्य ऊर्जा सुरक्षा और कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य के मुद्दे पर केन्द्रित दुनिया के 20 बड़े देशों के सम्मेलन जी20 की अध्यक्षता भारत करने जा रहा है। इसी सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंडोनेशिया के बाली शहर में हैं। 16 नवंबर 2022 को जी20 शिखर सम्मेलन के समापन पर इस संगठन की अध्यक्षता का दायित्व आधिकारिक रूप से भारत को सौंपा जाएगा।
रंग बदल दिया राजीव के हत्यारों नलिनी और रविचंद्रन ने, 'विक्टिम कार्ड' खेलना शुरू कर दिया. रिहाई के बाद रविचंद्रन ने कहा कि समय और सत्ता यह तय करती है कि कौन आतंकवादी है और स्वतंत्रता सेनानी? नलिनी को पहले तीन अन्य दोषियों के साथ मौत की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन सोनिया गाँधी की अपील के बाद नलिनी की सज़ा को घटाकर उम्र क़ैद में तब्दील कर दिया गया था. सोनिया ने कहा था कि नलिनी की ग़लती की सज़ा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है.
भारत दुनिया के 20 बड़े देशों के सम्मेलन जी20 की अध्यक्षता करने जा रहा है। इसी सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंडोनेशिया के बाली शहर में हैं। 16 नवंबर 2022 को जी20 शिखर सम्मेलन के समापन पर इस संगठन की अध्यक्षता का दायित्व आधिकारिक रूप से भारत को सौंपा जाएगा।
'ऊंचाई' राजश्री प्रोडक्शन की साठवीं फिल्म है। जाहिर है यह फिल्म भी साठोत्तर लोगों के लिए ही है। शाकाहारी भोजनालय की थाली जैसी सादी, कम मसाले वाली, सात्विक थाली जैसी फिल्म है। आजकल की फिल्मों जैसी प्यार मोहब्बत, फाइटिंग, गाने, डांस और वल्गर दृश्य इसमें नहीं हैं। बिना प्याज लहसुन की इस थाली में कलाकारों के नाम पर अमिताभ बच्चन, डेनी, अनुपम खेर, बमन ईरानी, परिणीति चोपड़ा, नीना गुप्ता आदि हैं।
मेटा इंडिया में टेक स्कॉलर रहे जेड लिंगदोह का मानना है कि एलन मस्क का प्लेटफॉर्म टि्वटर अब फ्री स्पीच के बजाय हेट स्पीच को बढ़ावा देने का काम ज्यादा करेगा। एलन मस्क जिस फ्री स्पीच की बात करते हैं, वह एक तरह से हेट स्पीच के लिए ही फायदेमंद होगा। एलन मस्क ने स्पष्ट किया है कि टि्वटर फ्री फॉर ऑल मीडिया होगा, तो क्या इसका मतलब यह नहीं कि यह घृणा फैलाने वालों के लिए पसंदीदा प्लेटफॉर्म बन जाएगा?
प्रधानमंत्री चुने जाने के एक साल बाद जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे, तब वे सेन फ्रांसिस्को के पास टेस्ला मोटर्स के मुख्यालय भी गए थे। प्रधानमंत्री की इच्छा थी, वहां काम करने वाले भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात और एलन मस्क से भी बातचीत। प्रधानमंत्री ने एलन मस्क को कहा था कि अगर वे इलेक्ट्रिक कार टेस्ला का उत्पादन भारत में करना चाहें, तो उनका स्वागत होगा। प्रधानमंत्री टेस्ला की महंगी टेक्नोलॉजी को इम्पोर्ट करने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री के साथ गया दल इस बात में इच्छुक था कि टेस्ला में सौर उर्जा से चलने वाली बैटरी भारत को उपलब्ध हो सकें।
'मिली' में चूक गए हैं रहमान और जावेद अख्तर! केवल जाह्नवी कपूर के भरोसे है यह फिल्म !
'मिली' एक सर्वाइवल थ्रिलर फिल्म है। जान बचाने का संघर्ष ! फिल्म देखकर लगा कि इसमें एआर रहमान संगीत जगत में अपने सर्वाइवल के लिए काम कर रहे हैं और जावेद अख्तर जबरन गाने लिख लिख कर हाजिरी दिखा रहे हैं। इस फिल्म के ट्रेलर में ही दिखा दिया गया कि हीरोइन किसी फ्रीजर रूम जैसी जगह में कैद हो गई है और अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। यही कहानी है फिल्म की। अगर आप यह फिल्म नहीं देखेंगे तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
भारत एक फिल्म प्रधान देश है।
4 नवंबर को देश में 23 फिल्में रिलीज हो रही हैं, जिनमें हिन्दी की 7, तेलुगु की 6, मराठी की 5, तमिल की 3 और कन्नड़ की दो फिल्में शामिल हैं। (ओटीटी पर आने वाली फिल्मों की संख्या अलग है)।
राहुल की यात्रा से गुजरात को पैगाम, डीबी लाइव में प्रकाश हिन्दुस्तानी
इस फिल्म का असल के राम सेतु से वैसा ही नाता है जैसा कि मिया खलीफा का बुर्ज खलीफा से होगा। फिल्म में यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना की तुलना तालिबान द्वारा बामियान में बुद्ध प्रतिमाओं को उड़ा देने से की गई है। दीपावली पर यह अक्षय कुमार एंड कंपनी का ताजा फ़िल्मी शाहकार है! इसी साल उनकी बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज और रक्षा बंधन आई थी, जो नहीं चली। एक साल में चार-चार फ़िल्में देना कोई आसान काम नहीं है!
डॉक्टर जी (A) 'एडल्ट पिच्चर' है, लेकिन इसमें 'एडल्टों' वाले फूहड़ जोक्स नहीं हैं। इसमें उतना ही एडल्टपना है, जितना मेडिकल कॉलेज में गायनेकोलॉजी विभाग में होता होगा। आम तौर पर पुरुष चिकित्सक गायनेकोलॉजिस्ट यानी स्त्री रोग और प्रसव विशेषज्ञ बनाने से कतराते हैं क्योंकि हमारे यहाँ महिलाएं ऐसे पुरुष डॉक्टरों के पास जाने में हिचकिचाती हैं। उनका धंधा मंदा रहता है। देश के टॉप टेन गायनेकोलॉजिस्ट में आठ स्त्रियां ही हैं।
एमआर की टीऍफ़ पीएस वन का एफआर
इस हेडिंग का मतलब समझ में आया क्या? इसका अर्थ है -- एमआर यानी मणिरत्नम की टीऍफ़ (यानी तमिल फिल्म) पीएस वन (यानी ‘पोन्नियिन सेल्वन' पार्ट वन) का एफआर मतलब फिल्म रिव्यू !
फिल्म का नाम बड़ा कठिन है ! क्यों रखा? अपनी ज्ञानचंदी दिखाने के लिए? मुग़ल-ए-आज़म फिल्म का नाम 'मुगल शहंशाह की मोहब्बत में गिरफ़्तार हुस्न की मलिका" रखा जाता तो? या शोले का नाम 'कानून के रखवाले ठाकुर का खतरनाक दस्युओं से इंतक़ाम' होता तो? कितने लोग जाते फिल्म देखने? इंदौर में एक होटल खुला था, जिसका नाम था 'एमसी स्क्वायर टू', तभी मैंने कहा था कि ये होटल का नाम है या किसी कोचिंग इंस्टीट्यूट का? दुकान बंद हो जाएगी। हो गई। इतना बड़ा टाटा ग्रुप कोई गेला तो है नहीं, जिसने भारत के सबसे भव्य होटल का नाम दो अक्षरों में 'ताज' रखा। वह भी कोई कठिन सा नाम रख सकता था। पीएस मतलब क्या? प्राइवेट सेक्रेटरी? पोलिस सार्जेंट? पोस्ट स्क्रिप्ट? पैसेंजर स्टीमर?
विक्रम वेधा की सामग्री : ढिशुम ढिशुम धांय धांय सुरर्र ,सुर्र, झीं ईं ईं, पीं ईं, गाना, भड़ भड़, फट्ट फट्ट, सूं ऊँ ऊँ, भम भूम, तड़ तड़, फिर गाना, चोर, पुलिस, गैंगस्टर, एसएसपी, खूंखार क्रिमिनल, स्पेशल टास्क फ़ोर्स, भागम-भाग, नाचना, गाना, कूदना, फांदना, छलांगे मारना, फरार होना, पकड़ा जाना, आतंक फ़ैलाना, नेता, एमएलए, आईजी, भ्रष्ट पुलिसवाले, स्माल लोन बिग प्रॉफिट, एक जैसा अपराध एक जैसा दंड, पुलिसवाले का बेटा पुलिसवाला, क्रिमिनल का बेटा क्रिमिनल ! मर्डर यानी मर्डर और एनकाउंटर मतलब भी मर्डर! गुंडे की मर्यादा, पुलिसवाले का ईमान, इत्तेफ़ाक़ इत्तेफ़ाक़ और इत्तेफ़ाक़! और हाँ, इत्तेफ़ाक़ जैसी कोई चीज नहीं होती! अपराध के पीछे न्याय की मंशा और वर्दी पर अपराध का रंग!
जूनी-पुरानी केसरिया 'लव स्टोरियों' और शानदार VFX का संयोग है ब्रह्मास्त्र ! माइथोलॉजिकल फैंटेसी एडवेंचर फिल्म !अगर आप इसे थ्री डी में देखते हैं तब तो पैसे वसूल हैं वरना यह फिल्म किसी टार्चर से कम नहीं! करीब 400 करोड़ की यह फिल्म VFX के लिए ही याद की जाएगी।
यह फिल्म 'आमिर मियां का मुरब्बा’
बहुत प्रचार किया गया था आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का। इस फिल्म के नेगेटिव प्रचार या बहिष्कार की अपील का फायदा मिला, लेकिन सिनेमाघर में टिकट खरीदकर पहले दिन, पहला शो देखने के बाद मुझे लगा कि यह फिल्म “आमिर मियां का मुरब्बा’ है। रक्षाबंधन के मौके पर रिलीज होने वाली फिल्म में रक्षा बंधन की कोई बात नहीं है।
अक्षय कुमार की फिल्म रक्षा बंधन का नाम होना चाहिए था -'दहेज का दानव' या 'दहेज की कु परंपरा' अथवा 'जानलेवा दहेज'। फिल्म में यही सब दिखाया गया है। रक्षा बंधन के दिन रिलीज इस फिल्म की मार्केटिंग बहुत ही अच्छे तरीके से की गई है।
तेलंगाना की सरकार ने 35 साल पुराना अपना ही एक आदेश फिर से लागू कर दिया है। इस आदेश के अनुसार सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। यह भी तय किया गया है कि अब सरकारी अस्पतालों के लिए जो भी डॉक्टर नियुक्त होंगे, उन पर यह आदेश लागू रहेगा। तेलंगाना सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन डॉक्टरों को प्रशासकीय ड्यूटी में नियुक्त कर दिया जाता है, उन्हें वहां से हटाकर वापस उनके मूल चिकित्सा कार्य में तैनात किया जाएगा।
गत दो सप्ताह से भारतीय राजनायिकों को इस्लामिक देशों से राब्ता बैठाने में भारी परेशानी और चुनौती का सामना करना पड़ रहा हैं। आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी ) के 57 में से 16 देशों ने भाजपा प्रवक्ता के बयान पर बखेड़ा कर दिया था, जिसके बाद भारत को रक्षात्कम पहल करनी पड़ीं। यह भारत के लिए अच्छा अनुभव नहीं रहा। भारत की मुस्लिम आबादी बांग्लादेश और इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा हैं। इस हिसाब से भारत इस्लामिक देशों के संगठन में शामिल होने की योग्यता रखता हैं। यह सच्चाई हैं कि ओआईसी की स्थापना में भारत की प्रमुख भूमिका रही हैं। इतना ही नहीं इस संगठन के बनने के बाद पहली बैठक का नेतृत्व भी भारत ने ही किया था। इस्लामिक देशों के संगठन को लेकर शुरू से दो पेंच रहे हैं। पहला तो यह कि इसका सदस्य वही देश हो सकता है, जिसकी आबादी का बहुमत मुस्लिम हो। दूसरी शर्त यह थी कि भले ही मुस्लिम आबादी बहुमत में न हो, लेकिन उस देश का शासक मुसलमान हैं, तो उसे संगठन का सदस्य बनाया जा सकता हैं।
ख़ास बातें पूर्व उपराष्ट्रपति की
1 ये फ्रिंज एलिमेंट नहीं है. ये पार्टी की आइडियोलॉजी है. ये आज से नहीं कई सालों से चल रही है. 2009 का जो इलेक्शन मेनिफेस्टो है वो पढ़ लीजिए, 2014 मेनिफेस्टो को पढ़ लीजिए उसमें भी यहीं बाते हैं. एक संविधान है वो हमारा धर्म है. इसके आगे जो धर्म को मानते हैं वो प्राइवेट बात है. सरकारी धर्म हमारा संविधान है. ये एक्सीडेंटल बात नहीं है उस पार्टी ने ये आइडियोलॉजी बनाई हुई है और उसका ये ही नतीजा है. जिसने जो कहा वो अनपढ़ नहीं है." अंसारी ने कहा, "ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी. इस तरह से धार्मिक मामले में गालीगलौज पर उतर आना गलत है,अगर हुआ है ठीक करने में समय लगेगा और इसके तरीके हैं."
2. इंडोनेशिया के बाद हमारे देश का तीसरा नंबर है. हमारे लिए इस्लाम कोई अजूबा नहीं है ये धर्म यहां हजारों सालों से है. हम मिलजुल कर रहे हैं, अचानक जो हुआ है ये क्यों हुआ? क्योंकि किसी एक पार्टी की तरफ से और आइडियोलॉजी की तरफ से ये कहा जा रहा है कि इस्लाम खराब है, इसे मानने वाले भारतीय नहीं है तो सब बातें गलत हैं. हम नागरिक हैं हम आपस में भाई हैं. ऐसा तो किसी दुश्मन के साथ भी नहीं करते.
3. खाड़ी देशों की प्रतिक्रिया जेनिइन थी और होनी भी चाहिए. बात केवल खाड़ी देशों की नहीं है. बात इंडोनेशिया से शुरू होती है और नार्थ अफ्रीका तक जाती है. ऐसी बात कही गई कि हर वह आदमी जो एक धर्म को फॉलो करता है उसे इससे ठेस पहुंची है."
4. आप हमको नागरिक मानते हैं या नहीं मानते? क्या मुसलमानों को बराबरी की फेसेलिटीज मिल रही हैं?
5. हमारी आबादी 14. 5 परसेंट है 20 करोड़ से ज्यादा है , हमर रिप्रेजेंटेशन एप्रोप्रिएट है या नहीं?
ट्रेलर देखकर ही दर्शक समझ गए कि पृथ्वीराज और धाकड़ नहीं देखना! मूर्ख नहीं है दर्शक !
क्यों फ्लॉप हुई सम्राट पृथ्वीराज, क्यों फ्लॉप हुई धाकड़
ट्रेलर नहीं दिखाते तो चल जाती सम्राट पृथ्वीराज ! ट्रेलर देखकर ही समझ गए दर्शक कि यह फिल्म नहीं देखना है, बकवास है यह फिल्म !
भारतीय जनता पार्टी वैसे तो हमेशा ही चुनाव के मोड में रहती है, लेकिन मोदी सरकार के 8 साल पूरे होते ही वह फिर से 2024 की तैयारियों में जुट गई है। भारतीय जनता पार्टी के 2 राष्ट्रीय प्रवक्ताओं नुपूर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ कार्रवाई करके सरकार ने यह बताने की कोशिश की है कि यह एक ऐसी सरकार है, जो सभी के लिए कार्य कर रही है। आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली प्रवक्ता के खिलाफ कार्रवाई से भारतीय जनता पार्टी में भी हलचल बढ़ गई है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अब फूंक-फूंककर कदम रखने की कोशिश कर रही है।
करीब 300 करोड़ के खर्च से बनी सम्राट पृथ्वीराज रिलीज़ हो गई है। अक्षय कुमार कितना न्याय कर पाए हैं सम्राट की भूमिका में?
केन्द्रीय गृह मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा कर चुके हैं इसका फिल्म के धंधे पर क्या असर पड़ सकता है? दर्शक क्या कह रहे हैं इस फिल्म पर?
प्रसिद्ध फिल्म लेखक-समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज और प्रकाश हिंदुस्तानी की चर्चा
सम्राट पृथ्वीराज में अक्षय कुमार सम्राट पृथ्वीराज के अलावा सबकुछ लगते हैं। राजेश खन्ना के दामाद, टि्वंकल खन्ना के पति, खिलाड़ी, छिछौरे हीरो की तरह। फिल्म में अक्षय कुमार से ज्यादा निर्देशक चन्द्रप्रकाश द्विवेदी की झलक मिलती हैं। संजय दत्त इस फिल्म में पृथ्वीराज के काका के बजाय मुन्ना भाई ही लगे। 2017 की मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर ने फिल्म में अपनी छाप छोड़ी हैं। अक्षय कुमार अपनी बार-बार खिलाड़ी की छवि लेकर ही आते हैं। आमिर खान जैसा धीरज उनमें नहीं हैं।
अशोक ओझा 3 दशकों से अमेरिका में हिन्दी शिक्षण को बढ़ावा देने में जुटे हैं। इन दिनों वे फुलब्राइट हेस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं और उसी संदर्भ में भारत भ्रमण पर हैं। हिन्दी युवा संस्थान के संस्थापक के रूप में उन्होंने अमेरिका में हजारों अमेरिकी और एनआरआई युवाओं को हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित किया हैं। वे अमेरिका में हिन्दी के राजदूत कहे जा सकते हैं। वे और उनका संगठन अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भी करता हैं और आगामी अक्टूबर में ऐसा पांचवां सम्मेलन न्यूयॉर्क में करने जा रहे हैं।
अशोक ओझा न्यू जर्सी के पत्रकार और शिक्षक हैं, जहां वे दो NGO संचालित करते हैं - युवा हिन्दी संस्थान और वैश्विक स्तर पर हिन्दी संगम फाउंडेशन। दोनों ही संस्थाएं हिन्दी के प्रचार के लिए समर्पित हैं.
जयंती रंगनाथन कहानीकार और उपन्यासकार हैं और वे हर विधा में प्रयोग करती रहती हैं। उनका नया उपन्यास ‘शैडो’ एक अलग तरह का उपन्यास हैं, जिसमें मुख्य पात्र के साथ बहुत सारे पात्र हैं। कहानी में कहानियां और उन कहानियों में भी कहानियां। कुल मिलाकर यह एक सस्पेंस थ्रीलर का काम करता हैं।
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के अंतिम परिणाम आते ही यह बात फिर चर्चा में आ गई है कि किस तरह भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में बदलाव हो रहा हैं। ये आरोप फिर से लगने लगे हैं कि वर्ग विशेष के लोगों को प्राथमिकता मिली हैं। पिछले दरवाजे से प्रशासकीय सेवाओं में भर्ती का मुद्दा भी फिर चर्चा में हैं। भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में प्रशासकीय सेवाओं का महत्व किसी से छुपा नहीं हैं। क्या यह उपलब्धि चयनित युवाओं की व्यक्तिगत होती हैं या इसके पीछे कोई और बड़ी ताकत या शक्ति होती हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को गुजरात के अटकोट में एक रैली को सम्बोधिक करते हुए कहा था कि हम गांधी जी के सपनों का भारत बनाने के कार्य में आठ साल से जुटे हैं। गांधी जी चाहते थे कि गरीबों, दलितों, पीड़ितों, आदिवासियों और महिलाओं को अधिक अधिकार मिले। हमारी सरकार इसी के लिए कार्य कर रही है। स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाएं हमारी सरकार की प्राथमिकता है और भारतीय संस्थानों से हम अपनी जरूरतों की पूर्ति में लगे हैं। इसके बाद की रैली में उन्होंने गांधीजी के साथ साथ सरदार पटेल का भी जिक्र किया और उनके सपनों के भारत की बात भी कही। ये दोनों ही नेता गुजरात के थे, जहाँ के मोदी भी हैं।
कोई भी राजनीतिक पार्टी परिवारवाद से अछूती नहीं हैं। राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा होते ही यह तथ्य फिर जगजाहिर हो गया। परिवारवाद के खिलाफ बयान देने में तो कोई भी पार्टी पीछे नहीं हैं। आखिर दूसरी प्रतिभाओं को मौका क्यों नहीं मिलता?
प्रसिद्ध वक्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता मृणाल पंत और प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत
जैन धर्म की पहली आचार्य पद प्राप्त करने वाली साध्वी म.सा. चंदनाजी से मिलना एक विलक्षण अनुभव रहा। साध्वी जी को हाल ही में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। 86 वर्ष की उम्र में भी वे मानव सेवा के कार्य में सतत् जुटी हैं। इंदौर प्रवास के दौरान उनसे निजी मुलाकात प्रेरणादायी रहीं। कई विषयों पर उन्होंने अपनी बेबाक राय व्यक्त की।
गिरीश मालवीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ, लेखक और पत्रकार हैं। अर्थव्यवस्था को लेकर वे लगातार लिखते रहे हैं। उनकी कई संभावनाएं सच में बदली है और कई आशंकाएं विकराल रूप में सामने आई हैं।
पिछले 8 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था कहां पहुंच चुकी है! इस चर्चा में अर्थव्यवस्था से जुड़े सवालों को जानने और उसके परिणामों को समझने की कोशिश होगी।
आप भी अपनी जिज्ञासा और टिप्पणी कमेंट बॉक्स में करके चर्चा में शामिल हो सकते हैं।
2014 से अब तक भारत की अर्थव्यवस्था कहां पहुंची। जीडीपी, रोजगार, महंगाई, मुद्रा स्फीती, प्रतिव्यक्ति आय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के क्षेत्र में हम कहां पहुंचे? एफडीआई के भरोसे शेयर बाजार का क्या हाल है और डॉलर कितना ऊंचा हो गया है? 8 साल पहले जिन वादों के साथ सरकार आई थीं, वे वादे अब कहां है?
आर्थिक क्षेत्र में लगातार लिखने वाले और अर्थव्यवस्था को भीतर तक समझने वाले पत्रकार आलोक ठक्कर से बातचीत।
मशहूर उर्दू साहित्यकार और कथाकथन के संस्थापक जमील गुलरेज़ विज्ञापनों की दुनिया से जुड़े रहे हैं। उन्होंने देश की नामचीन विज्ञापन एजेंसियों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया हैं और विज्ञापन की फील्ड में नए कॉपीराइटर्स तैयार करने के लिए AAAI (एडवारटाइिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया) संगठन के लिए कई कोर्सेस संचालित किए हैं।
उनके शिष्य देश की बड़ी एजेंसियों में शीर्षस्थ पदों पर हैं। अब विज्ञापनों की दुनिया कैसी हैं, क्या-क्या बदलाव हुए हैं और हो रहे हैं? डिजिटल क्रांति ने विज्ञापनों की दुनिया को कैसे बदला हैं?
राहुल गांधी अपेक्षाकृत युवा हैं, पढ़े लिखे हैं, सक्रिय हैं, कांग्रेस के सांसद हैं; वे जो भी कहते हैं चर्चा में आ जाता है! जो करते हैं उस पर सवालों की बौछार होने लगाती है, मीम्स बनाये जाते हैं, तंज़ किये जाते हैं, लेकिन उनकी हर बात पर सरकार प्रतिक्रिया अवश्य देती है !
प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री... जो भी बात कहते हैं, कहीं न कहीं राहुल गांधी का सन्दर्भ आ ही जाता है। देश का एक बड़ा वर्ग मानता है कि राहुल गांधी बहुत नेकदिल और सरल हृदय शख्स हैं, इसीलिए वे राजनीति में मिसफिट हैं! खुद उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ लोग उन्हें नेता कहते हैं, लेकिन उनके निर्देश नहीं मानते।
क्या राहुल गांधी निरे आदर्शवादी हैं या वर्तमान दौर की राजनीति के उपयुक्त नहीं हैं? क्या वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पासंग नहीं बैठते? क्या अमरिंदर, ज्योतिरादित्य और हार्दिक पटेल आदि की तरह पूरी कांग्रेस राजनीति के अवसाद में है ?
मध्यप्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव की तैयारियां की जा रही हैं। अध्यक्ष और महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष कराए जाने पर कमलनाथ सरकार की नीति को ही वर्तमान शिवराज सिंह सरकार बरकरार रखा हैं। इसकी क्या वजहें हैं? क्या असर पड़ेगा इसका चुनाव पर? क्या अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया महापौर और अध्यक्ष उतना शक्ति संपन्न नहीं होगा? द सूत्र के एडिटर इन चीफ आनंद पाण्डे और मीडिया में विभिन्न पदों पर रहें कमलेश पारे से विमर्श।
केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीज़ल के दाम में कमी करने से लोगों ने मामूली राहत महसूस की है, लेकिन वह काफी नहीं है। सरकार ने यह कदम अनायास नहीं उठाया। महंगाई इतनी उच्च पहुँच चुकी है कि आम जनता के लिए वह असहनीय हो चुकी है। पिछले सप्ताह ही वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किये थे उसके अनुसार अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक 15.1 प्रतिशत ऊपर रहा। यह थोक मूल्यों की महंगाई का चरम कहा जा सकता है। यह सूचकांक पिछले 11 साल में कभी इतना ज्यादा नहीं रहा। उस पर भी खास बात यह है कि पिछले 13 महीनों से थोक मूल्य सूचकांक लगातार डबल डिजिट में बना हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक वास्तव में 11 वर्ष नहीं, बल्कि 30 वर्षों में सबसे ज्यादा है। हालांकि आरबीआई इसकी पुष्टि नहीं करता।
जम्मू-कश्मीर की स्थानीय पार्टियों ने राज्य के परिसीमन का विरोध करते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी की मनमानी करार दिया है। इस परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर के राजनैतिक समीकरण बदल जाएंगे। महबूबा मुफ्ती तो साफ-साफ कह रही हैं कि यह तो बीजेपी का विस्तार का कार्यक्रम हैं। परिसीमन में जनसंख्या के आधार की अनदेखी की गई। हमें इस परिसीमन पर भरोसा नहीं है। हम इसे रिजेक्ट करते हैं। महबूबा ने यह भी कहा कि यह परिसीमन तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का एक एक्सटेंशन मात्र हैं।
जबलपुर में दुष्कर्म के आरोपी को जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद शहर भर में ‘भैया इज बैक’ के पोस्टर लगवाना महंगा पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की जमानत रद्द कर हुए वापस जेल भेजने का आदेश सुना दिया। चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने पीड़िता की याचिका पर फैसला सुनाते हुए आरोपी को एक हफ्ते में पुलिस के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया।
बॉलीवुड के बिना साउथ का काम नहीं चल सकताहाल के दिनों में दक्षिण भारत की 3 फिल्में क्या सुपरहिट हुई, मुंबई फिल्म उद्योग यानी बॉलीवुड का मजाक उड़ाया जाने लगा हैं। कहा जाने लगा कि अब बॉलीवुड के दिन गए। अगर किसी को यह लगता है कि अब बॉलीवुड का महत्व जीरो हो गया है, उन्हें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बढ़िया जवाब दिया है। नवाजुद्दीन ने कहा कि अगर हिन्दी फिल्मों का महत्व खत्म हो गया, तो दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिन्दी में क्यों डब करके रिलीज करते हो?
कोई कुछ भी कहे आरआरआर जैसी फिल्म को भी अजय देवगन और आलिया भट्ट की जरूरत पड़ती हैं। केजीएफ को संजय दत्त और रवीना टंडन की आवश्यकता होती है। दक्षिण की सभी सुपरहिट फिल्मों के वितरकों की छानबीन की जाए, तो पता चलेगा कि उनकी फिल्में वितरित करने वाले वे ही है, जो बॉलीवुड की फिल्में रिलीज करते हैं।हाल ही में लगी पुष्पा, आरआरआर और केजीएफ-2 में केवल आरआरआर ही तर्कपूर्ण फिल्म थी। पुष्पा और केजीएफ-2 की कहानी बॉलीवुड की किसी भी घटिया फिल्म की कहानी से बदतर कही जाएगी।
बाहुबली भी एक तरह से कहानी के मामले में दिवालिया ही थी। बाहुबली और आरआरआर में हिन्दुत्व का छोंक मारा गया और लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश भी की। आज के माहौल में यह फॉर्मूला चल गया। बाहुबली में भगवान शिव की भक्ति और आरआरआर में राम और सीता की जोड़ी बनाने की जो कोशिश की गई, वह धार्मिक भावनाओं को बनाने की ही कोशिश थी।हाल ही में केजीएफ-2 को लेकर मीडिया में बहुत खबरें आ रही हैं। फिल्म की कहानी बेतुकेपन की हद तक फॉर्मूला हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि केवल 15 लाख लोगों का सरगना माना जाने वाला हीरो भारत जैसे विशाल देश के लिए चुनौती बन जाता है, जिससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री को आर्मी, नेवी और एयर फोर्स तीनों को झोंक देना पड़ता है। इसके बाद भी हीरो को कुछ ऐसा दिखाया गया, मानो वो हीरो न होकर भगवान का कोई रूप हो।
जय संतोषी मां से लेकर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म दंगल तक। 1975 में शोले रिलीज हुई थी, जिसके 10 करोड़ टिकिट बॉक्स ऑफिस पर बिके थे। उस दौर में सिनेमा के टिकिट के दाम 1-2 रूपये हुआ करते थे। मल्टीप्लेक्स बने ही नहीं थे। आज के दौर में अगर 10 करोड़ सिनेमा टिकटों का औसत मूल्य 200 रुपये प्रति टिकट भी मानें, तो 2000 करोड़ का बिजनेस यह फिल्म कर चुकी थी।
47 साल पहले भारत में सोने का दाम था 540 रूपये प्रति तोला। आज सोना करीब 50 हजार रूपये तोला हैं। इस फिल्म ने 35 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था। अंदाज लगाया जा सकता है कि आज की तारीख में यह बिजनेस 3000 करोड़ का होगा।2001 में रिलीज गदर-एक प्रेम कथा के भी करीब 10 करोड़ टिकट बिके थे। इस फिल्म ने पहले ही हफ्ते में 9 करोड़ 14 लाख रुपये का बिजनेस किया था। दूसरे हफ्ते में यह बढ़कर 9 करोड़ 69 लाख हो गया। 11 हफ्ते में इस फिल्म ने 76 करोड़ 65 लाख रुपये अर्जित किए थे और इसका वर्ल्डवाइड कलेक्शन 132 करोड़ 60 लाख रूपये था। तत्कालिन सोने के भाव की तुलना अगर आज से करें, तो इस फिल्म का कारोबार भी 1600 करोड़ रुपए कहा जा सकता है। बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार 2017 तक यह फिल्म 486 करोड़ रूपए कमा चुकी हैं।
अरुंधति राय ने 'आज के भारत' के बारे में बात की, इसे ' शर्म की बात' कहा. 1960 के दशक में धन और भूमि के पुनर्वितरण के लिए "वास्तव में क्रांतिकारी आंदोलनों" का नेतृत्व करने वाले नेता अब वोट चाहते हैं और ‘‘पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम नमक बांटने के नाम’’ पर चुनाव जीत रहे हैं.
बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधति रॉय (Booker Prize winner Arundhati Roy) ने भारत की तुलना ऐसे विमान से की जो पीछे की ओर उड़ान भर रहा है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा विमान है जो ‘‘दुर्घटना'' की ओर बढ़ रहा है. राय ने यह टिप्पणी ‘वाई डू यू फियर माइ वे सो मच'' (Why do you fear my way so much ) शीर्षक से प्रकाशित किताब के लोकार्पण के अवसर पर की. इस किताब में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता जीएन साईबाबा (GN Saibaba) की कविताओं और पत्रों का संकलन है.
मई के महीने में जब पारा एकदम ऊपर जा रहा है, तब कोयले की कमी से होने वाली बिजली की कमी अखरने वाली है। देश के कई भागों में तो 10-10 घंटे बिजली कटौती हो रही है। भारतीय रेलवे ने 753 यात्री रेल गाड़ियों को रद्द कर दिया है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि कोरोना के लॉकडाउन के बाद नीचे गिरती हुई अर्थव्यवस्था को कोयले की कमी और नीचे ले जाने पर आमादा है।
रनवे 34 भारत की पहली एविएशन फिल्म कही जा सकती है। दोहा से कोच्ची आने वाली जेट एयरवेज की एक फ्लाइट की कहानी को बदलकर दुबई से कोच्ची जाने वाली कहानी बना दिया गया है। इसके पहले 2009 में अमेरिका में हडसन नदी में उतारे गए एक विमान पर अंग्रेजी में सली नामक फिल्म बन चुकी हैं। सली वैश्विक घटना की अमेरिकन फिल्म थीं और यह भारतीय विमान को लेकर भारतीय फिल्म हैं। हालांकि इस फिल्म को देखते हुए लगता हैं कि यह कोई अंग्रेजी फिल्म की नकल हैं। दक्षिण भारत में स्थानीय कहानी पर तमिल या तेलुगु में वैश्विक फिल्म बनती हैं और हिन्दी में इसका उल्टा होता हैं।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने पिछले दिनों कहा था कि हिन्दी, अंग्रेजी भाषा का विकल्प बनें। राजभाषा (Rajbhasha) को देश की एकता का अहम अंग बनाने का समय आ गया है। अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के लोग आपस में संवाद करते हैं, तब हिन्दी भारत की भाषा होनी चाहिए।
दक्षिण भारत के कई नेता, लेखक, संगीतकार आदि इस बात का विरोध कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि इससे हिन्दी का साम्राज्यवादी रूप बढ़ेगा। एआर रहमान (AR Rehman) ने तो यहां तक कहा कि हिन्दी कभी संपर्क भाषा थी, लेकिन अब तमिल संपर्क भाषा हैं।
प्रसिद्ध पत्रकार, शोधार्थी और हिन्दी के लिए आवाज़ उठानेवाले राहुल देव इस विषय में क्या कहते हैं, उन्हीं से चर्चा।
अब क्या कहते हैं अभा कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव पंकज शर्मा। जिन्होंने Indore Dialogue के 18 अप्रैल 2022 के कार्यक्रम में कहा था कि कांग्रेस 137 साल पुरानी पार्टी हैं, जिसे अभी भी 12 करोड़ लोग वोट देते हैं। ऐसी पार्टी का भविष्य पाण्डेय जी (प्रशांत किशोर) जैसा कोई मार्केटिंग का व्यक्ति तय नहीं कर सकता। हजारों लोगों ने कांग्रेस के झंडे तले आजादी की लड़ाई लड़ीं और आज भी लोगों के अधिकारों के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।
अपनी मार्केटिंग विशेषज्ञता के बदले पाण्डेय जी कांग्रेस का पूरा डाटा बेस चाहते थे। वे यह भी चाहते थे कि पार्टी कैसे चुनाव लड़ें और कैसे संसाधन जुटाए, यह भी वह ही तय करेंगे। लाखों कार्यकर्ताओं के बलिदान से खड़ी हुई पार्टी ऐसे किसी प्रस्ताव पर कैसे मान सकती है?
इसलिए पाण्डे जी का जाना तो तय था। वे अब भी झूठ बोल रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। हां, कांग्रेस ने उन्हें एक ग्रुप में सदस्य बनाने की पहल की थी, लेकिन वे चाहते थे कि कम से कम उपाध्यक्ष की कुर्सी उन्हें मिले। जिस पर बैठकर वे पूरी पार्टी को डिक्टेट कर सकें।
दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क (Elon Musk) ने लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) को खरीद लिया (Elon Musk Buys Twitter) है। उनके पास ट्विटर को खरीदने से पहले ही कंपनी में 9.1 फीसदी हिस्सेदारी थी। हालांकि, ट्विटर इसके लिए शुरुआत में तैयार नहीं था।
मस्क ने 'फ्री स्पीच' का झंडा बुलंद करते हुए ट्विटर को खरीदा है तो माना यही जा रहा है कि अब प्लेटफॉर्म पर सस्पेंशन के डर के बिना काफी कुछ पोस्ट कर पाएंगे। मस्क के ट्विटर टेकओवर से वाइट हाउस तक में हलचल है। डेमोक्रेट्स में चिंता की लहर है कि इस टेकओवर का असर 2024 राष्ट्रपति चुनाव पर देखने को मिल सकता है।
जब एलन मस्क का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड किया गया था, तब उन्होंने सोशल मीडिया पर सन्देश पोस्ट किया था -"सोच रहा हूँ, ट्विटर खरीद लूं!" इसे तब मजाक समझा गया था, पर आज यह सच्चाई है। मस्क ने इस माइक्रो ब्लॉगिंग साइट को खरीदने के लिए 44 बिलियन डॉलर, यानी 3,36.800 करोड़ रुपये की डील की हैं।
क्या होगा इसका असर, इसी पर चर्चा डॉ. अमित नागपाल और डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
राम मंदिर, सीएए, ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 के बाद अब कॉमन सिविल कोड का मुद्दा उठाया जा रहा है। इसी मुद्दे पर संविधान के अध्येता और सामाजिक कार्यकर्ता सचिन कुमार जैन से चर्चा शाम 6 बजे
भोपाल में गृहमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाना है। उसका ड्रॉफ्ट तैयार किया जा रहा है। कॉमन सिविल कोड के बाद आम जनजीवन पर क्या असर पड़ेगा? इसी की पड़ताल लाइव में...
Uniform Civil Code: देश में एक बार फिर से समान नागरिक संहिता पर बहस शुरू हो गई है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है. लेकिन सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार का ऐसा करने का अधिकार है.
Uniform Civil Code: उत्तराखंड में बीजेपी के पुष्कर सिंह धामी को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद मिल गया है. मुख्यमंत्री के लिए जैसे ही उनका नाम तय हुआ, वैसे ही उन्होंने फिर से समान नागरिक संहिता का सुर छेड़ दिया. उन्होंने कहा कि सत्ता संभालते ही सारे वादों को पूरा किया जाएगा, जिसमें समान नागरिक संहिता का वादा भी शामिल है. धामी चुनाव प्रचार के दौरान भी कई बार समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कर चुके हैं.
समान नागरिक संहिता एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से बीजेपी के एजेंडे में रहा है. 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का मुद्दा शामिल किया. 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था. बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाता, तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती.
समान नागरिक संहिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट तक सरकार से सवाल कर चुकी है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई. वहीं, पिछले साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा था कि समान नागरिक संहिता जरूरी है.
समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून. अभी होता ये है कि हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है.
- हिंदुओं के लिए अपना अलग कानून है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़ी बातें हैं. मुस्लिमों का अलग पर्सनल लॉ है और ईसाइयों को अपना पर्सनल लॉ. - समान -नागरिक संहिता को अगर लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लिए फिर एक ही कानून हो जाएगा. मतलब जो कानून हिंदुओं के लिए होगा, वही कानून मुस्लिमों और ईसाईयों पर भी लागू होगा. - अभी हिंदू बिना तलाक के दूसरे शादी नहीं कर सकते, जबकि मुस्लिमों को तीन शादी करने की इजाजत है. समान नागरिक संहिता आने के बाद सभी पर एक ही कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या मजहब का ही क्यों न हो.
अरबों लोगों का बोझ ढोने वाली पृथ्वी अनेक पर्यावरण चुनौतियों से जूझ रही है। 1970 से मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस एक औपचारिकता बनता जा रहा है। पूरी दुनिया आपसी युद्ध, आर्थिक प्रतिबंध, हथियारों की होड़ और पर्यावरण की बेफिक्री में जुटी हैं। अरबों लोगों के जीवन का आधार पृथ्वी की उपेक्षा हो रही हैं। यह उपेक्षा हमें कहा तक ले जाएगी, इसी पर चर्चा।
क्यों प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की कांग्रेस (AICC) से नहीं बनी बात? यह साफ नहीं हो सका है कि पीके (PK) अपने लिए क्या भूमिका चाहते थे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व के साथ पीके की किसी बड़े पद को लेकर बात चल रही थी इसीलिए महज एक कमिटी का सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव पीके को रास नहीं आया. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सबसे बड़ा पेंच टीआरएस जैसे कांग्रेस के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के साथ पीके की कंपनी I Pac का काम करना था.
क्या आपको मालूम था कि भारत से उच्च शिक्षा के लिए भी सैकड़ों विद्यार्थी #पाकिस्तान जाते हैं?...जबकि विश्वभर के 164 देशों के विदेशी छात्र भारत में पढ़ते हैं। नेपाल , अफगानिस्तान, बांग्लादेश , सूडान, नाइजीरिया, अमेरिका, यमन, श्रीलंका, ईरान के छात्र। बी-टेक, बीबीए, बीएससी, बीए, बी-फार्मा, बीसीए, एमबीबीएस, नर्सिंग और बीडीएस लोकप्रिय हैं।
पाकिस्तान जाकर वे करते क्या हैं? पंचर बनाना सीखते हैं या ब'म' बनाना?
शुक्रवार को University Grants Commission (UGC) and All India Council for Technical Education (AICTE) ने बाकायदा एक एडवाइजरी जारी की और कहा कि भैया, अब 'उच्च शिक्षा' के लिए पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप पाकिस्तान गए तो आपको भारत में न तो नौकरी करने दी जाएगी, और न ही धंधा करने दिया जाएगा।
सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प के बाद भारत सरकार ने अपनी तमाम टेली कम्युनिकेशन कंपनियों को कहा था कि चीन से उपकरण मंगाना बंद करें। बीएसएनएल और एमटीएनएल ने चीनी उपकरण मंगाने बंद कर दिए। इसका असर नेटवर्क अपग्रेडिंग पर भी पड़ा है। भारत सरकार ने चीन के 56 मोबाइल ऐप एक साथ बैन कर दिए। बाद में यह बैन स्थाई भी हो गया, लेकिन चीनी मोबाइल भारत में आना जारी है।चीनी पटाखे, मांझा, खिलौने आदि के बहिष्कार की बातें धरी की धरी रह गई और चीन भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर बन गया। जी हां यही सच्चाई है।
क्या आपको मालूम था कि भारत से उच्च शिक्षा के लिए भी सैकड़ों विद्यार्थी #पाकिस्तान जाते हैं?...जबकि विश्वभर के 164 देशों के विदेशी छात्र भारत में पढ़ते हैं। नेपाल , अफगानिस्तान, बांग्लादेश , सूडान, नाइजीरिया, अमेरिका, यमन, श्रीलंका, ईरान के छात्र। बी-टेक, बीबीए, बीएससी, बीए, बी-फार्मा, बीसीए, एमबीबीएस, नर्सिंग और बीडीएस लोकप्रिय हैं।
पाकिस्तान जाकर वे करते क्या हैं? पंचर बनाना सीखते हैं या ब'म' बनाना?
शुक्रवार को University Grants Commission (UGC) and All India Council for Technical Education (AICTE) ने बाकायदा एक एडवाइजरी जारी की और कहा कि भैया, अब 'उच्च शिक्षा' के लिए पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप पाकिस्तान गए तो आपको भारत में न तो नौकरी करने दी जाएगी, और न ही धंधा करने दिया जाएगा।
चीनी पटाखे, मांझा, खिलौने आदि के बहिष्कार की बातें धरी की धरी रह गई और चीन भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर बन गया। जी हां यही सच्चाई है। आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते। आंकड़े कहते हैं कि चीन से भारत का कारोबार तमाम प्रतिबंधों के नारों के बावजूद बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
2021 में भारत में चीन से आयात 43.3 प्रतिशत बढ़ गया है। यह अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है। पिछले साल भारत में चीन से 125.7 अरब डॉलर का सामान आयात किया। चीन की सरकारी एजेंसी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना के बावजूद चीन का निर्यात तेजी से बढ़ा और उसका सामान खरीदने वालों में भारत भी एक प्रमुख देश हैं।
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय विश्नोई (BJP MLA Ajay Vishnoi) ने बेबाकी से शिवराज सिंह चौहान की सरकार को सलाह दी है कि उत्तरप्रदेश के योगी आदित्यनाथ की शराब नीति को फॉलो करें, तो बीजेपी को ज्यादा वोट मिलेंगे। अजय विश्नोई की शराब बंदी, मध्यप्रदेश के भाजपा सरकार और बुलडोजर मामा के बारे में राय।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आगामी चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए प्रशांत किशोर यानी पीके की सेवाएं ले रही है। प्रशांत किशोर कांग्रेस नेताओं के सामने चुनाव लड़ने का खाका पेश कर चुके हैं। अभी पीके ने कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है, लेकिन चर्चा है कि वे जल्द ही कांग्रेस में किसी पद पर विराजित होंगे। क्या कहते हैं इस बारे में एआईसीसी के पूर्व सचिव पंकज शर्मा।
भारत सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने में रिटेल महंगाई की दर 6.25 प्रतिशत रहीं। इसके पहले फरवरी माह में यह दर करीब 1 प्रतिशत कम थीं। मुद्रा स्फीति की दर भी परेशान करने की हद तक बढ़ चुकी हैं। रिजर्व बैंक ने इसके लिए जो टॉलरेंस बैंड बनाया है, यह उससे काफी ऊपर है। सबसे ज्यादा महंगाई खाने-पीने की चीजों की बढ़ी हैं। इसका असर गरीबी रेखा के नीचे जीने वालों पर सबसे बुरी तरह से पड़ रहा हैं। अन्य वर्ग के लोग तो खैर खाने-पीने की चीजें खरीद ही लेते हैं।
कुछ महीने से महंगाई बहुत ही तेज गति से बढ़ रही है। ऐसा होने पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रुझान होता है। दो साल से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को नीचे की ओर ही रखा है। यदि महंगाई में इसी प्रकार की तेजी बनी रहती है तो ब्याज दरों में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है। जून में आरबीआई रेपो रेट को बढ़ाने पर विचार कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो होम लोन में बाज़ की दरें बढ़ जाएगी, जिसका असर महंगाई पर और पड़ेगा। सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने में रिटेल महंगाई की दर 6.25 प्रतिशत रहीं। इसके पहले फरवरी माह में यह दर करीब 1 प्रतिशत कम थीं। मुद्रा स्फीति की दर भी परेशान करने की हद तक बढ़ चुकी हैं। रिजर्व बैंक ने इसके लिए जो टॉलरेंस बैंड बनाया है, यह उससे काफी ऊपर है।
क्या खरगोन में रामनवमी को हुई हिंसा साजिश थी? एक ही पैटर्न पर सांप्रदायिक दंगे की आग क्यों धधकती है? दंगे में ना सिर्फ पथराव बल्कि लाठी-डंडे, पेट्रोल बम और छर्रे वाली देसी पिस्तौले भी इस्तेमाल की गई। रामनवमी की शोभायात्रा पर चौतरफा पत्थरों की बरसात, लाठी-डंडों-तलवारों से लैस अचानक घरों से निकले लोग, आगजनी की वारदातें क्या इशारा है? 22 अक्टूबर 2015 को रावण दहन कर लौट रहे लोगों पर इसी तरह पत्थर बरसाए गए थे।
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र वैद्य बताएँगे कि इन दंगों का पॉलिटिकल कनेक्शन क्या है? सख़्ती और बुलडोज़र एक्शन का क्या रिएक्शन हो सकता है?
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्र में मंत्री रहीं उमा भारती अपनी ही सरकार के लिए आए दिन चुनौतियां खड़ी करती रहती हैं। वे शिवराज सिंह को अपना भाई कहती हैं, लेकिन भाई ही अपनी बहन की गतिविधियों के सामने असहाय नजर आता हैं।
कभी वे शराबबंदी की घोषणा करती हैं और शराब की दुकान में पत्थर फेंकती हैं, तो कभी रायसेन के सदियों पुराने शिव मंदिर में जलाभिषेक की घोषणा करके सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर देती हैं। उनकी यह फितरत सत्ता के लिए बेचैनी हैं या अपनी अहमियत दिखाने की कोशिश? इसी पर चर्चा करेंगे वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित से।
कनिष्क तिवारी (Kanishk Tiwari) सीधी (Sidhi) के रहने वाले पत्रकार हैं। वे एक नेशनल न्यूज चैनल से जुड़े हैं और अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं।
पुलिस ने रंगकर्मी और इंद्रावती नाट्य समिति के निदेशक नीरज कुंदेर को बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे गुरुदत्त के बारे में अभद्र टिप्पणी करने पर जेल भेज दिया था। जिस पर कनिष्क साथियों के साथ कोतवाली में पहुंचे थे। यहां पुलिस ने मामले को कवर करने पहुंचे कनिष्क को दूसरे लोगों के साथ गिरफ्तार कर लिया
कनिष्क और साथियों के बदसलूकी करनेवाले थाना प्रभारी और एसआई को निलंबित कर दिया गया था।
सीधी पुलिस के कोतवाली थाने में दो अप्रैल को पत्रकारों और रंगकर्मियों के साथ अमानवीय कृत्य किया गया और उन्हें निर्वस्त्र कर दिया गया। पिछले दिनों यह घटना जब सुर्खियां बनी तब दो दिन से हल्ला मचा और टीआई व सब इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर कर दिया गया।
पुलिस के इस अमानवीय कृत्य पर राज्य मानव अधिकार आयोग ने पुलिस महानिदेशक व आईजी रीवा से सात दिन में रिपोर्ट मांगी और पुलिस मुख्यालय ने एसएसपी रेडियो अमित सिंह को जांच अधिकारी बनाकर भेजने के आदेश दिए।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने इस बारे में गृह मंत्रालय से दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की गुजारिश की है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक नया कदम उठाया और एक विधायक एक पेंशन योजना लागू कर दी। उसके पहले पंजाब के पूर्व विधायकों को तरह-तरह के मापदंडों के आधार पर पेंशन मिल रही थी। किसी को पेंशन 50 हज़ार रुपये महीना तो किसी को पांच लाख रुपया महीना तक। जिस तरह वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम है, उसी तरह अब पूर्व विधायकों को एक निश्चित राशि अधिकतम 75 हजार रुपये ही मिलेंगे।
भारत के एक प्रमुख आर्थिक अखबार 'इकॉनामिक टाइम्स' ने खबर दी है कि दिसम्बर 2021 तक भारत में 5 करोड़ 30 लाख लोग बेरोजगार हैं। इनमें से साढ़े तीन करोड़ ऐसे लोग हैं, जो बड़ी बेताबी से नौकरी की तलाश कर रहे हैं। इनमें भी 80 लाख युवतियां हैं, जो कोई भी नौकरी करने के लिए तैयार हैं। करीब दो करोड़ लोग ऐसे हैं जो रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। विश्व बैंक ने कोरोना काल में वैश्विक रोजगार दर 55 प्रतिशत आंकी थी, जबकि भारत में रोजगार का प्रतिशत 43 ही था। अगर भारत को ग्लोबल स्टैण्डर्ड तक पहुंचना है तो उसे कम से कम 18 करोड़ 75 लाख लोगों को रोजगार देना होगा।
राजेंद्र माथुर के बारे में गुंजन सिन्हा
१९८६ में स्व. राजेंद्र माथुर ने नवभारत टाइम्स, पटना, के लिए युवाओं की एक टीम चुनी और उससे कहा कि “हिंदी पत्रकारिता की मशाल हम यहाँ तक ले आये हैं. अब ये मशाल हम आपको सौंपना चाहते हैं, लेकिन हमे ज्यादा ख़ुशी होगी अगर आप इसे हमसे छीन सकें.”
हम नहीं छीन सके. हम क्या कोई नहीं छीन सका. उन्हें दिवंगत हुए २७ बरस बीत गए और उनके जाने के चार बरसों के भीतर नवभारत टाइम्स पटना बंद कर दिया गया. उन्होंने हमें जो स्नेह भरी चुनौती दी थी, वो ३२ साल बाद भी अनुत्तरित है.
पुण्य तिथि ( 9 अप्रैल )
(श्री राजेन्द्र माथुर का यह फोटो 1982 का है और यह उन्होंने नवभारत टाइम्स के प्रधान संपादक बनने पर बैनेट, कोलमैन एंड कंपनी के एच आर विभाग के आग्रह पर दफ्तर में जमा करने के लिए खिंचवाया था.)
मैंने राजेन्द्र माथुर जी के साथ दो पारियों में काम किया। पहले नईदुनिया और बाद में नवभारत टाइम्स में। आज उनके बिना हिन्दी पत्रकारिता को 31 साल हो गए हैं।जब राजेन्द्र माथुर पत्रकारिता के संसार से विदा हुए, तब इंटरनेट और मोबाइल चलन में नहीं थे। सोशल मीडिया और वाट्सएप मीडिया भी नहीं था। टीवी के इतने प्राइवेट चैनल भी नहीं थे। पत्रकारिता मूल रूप से प्रिंट तक ही सीमित थी और प्रिंट में भी पत्रकारिता की अलग-अलग शाखाएं थी। राजेन्द्र माथुर के दौर में पत्रकारिता में जिस तरह के बदलाव हो रहे थे, अब उससे अलग तरह के बदलाव हो रहे है। ये बदलाव तेज गति वाले है, किसी आंधी या तूफान की तरह। जिस बात को हम हिन्दी पत्रकारिता में दस साल पहले सत्य मानते थे, अब वह कहीं नजर नहीं आती और आज हम जिस पत्रकारिता को देख रहे है, वह पांच साल बाद अलग होगी।
जाने-माने पत्रकार और इतिहास के शोधार्थी विजय मनोहर तिवारी से बातचीत।
धार की भोजशाला जैसा ही विवाद अब रायसेन में सोमेश्वर मंदिर को लेकर चल रहा हैं। भोजशाला में वाग्देवी की प्रतिमा ताले में बंद हैं, उसी तरह मध्यप्रदेश के रायसेन में सोमेश्वर मंदिर के शिव ताले में बंद हैं।
अयोध्या में बाबरी ढांचे को गिराने में भूमिका निभाने वाली मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अब रायसेन के सोमेश्वर मंदिर के शिव को तालों से मुक्त कराने की घोषणा की हैं। उमा भारती 11 अप्रैल को सोमेश्वर धाम महादेव मंदिर में गंगा जल से अभिषेक करने वाली हैं।
सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा कथावाचक ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया हैं और संभव है कि आगामी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले रायसेन भी धार की तरह हो जाए।
रायसेन में बाहरवीं सदी के इस मंदिर के पठ साल में केवल महाशिवरात्रि के दिन खुलते हैं। जैसे भोजशाला में वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की इजाजत है।
मुझे पत्रकारिता में लाने वाले श्री राजेन्द्र माथुर को समर्पित यह पर्सनल वेबसाइट पत्रकारिता पर चर्चा करने का निमित्त मात्र है। मैं कुछ भी कर लूं- पूरे जीवन में पत्रकार के रू में मेरा कद श्री माथुर के घुटनों तक भी नहीं पहुंच सकता।
श्री राजेन्द्र माथुर पारस समान थे और मैंने हमेशा उनके पास जाने की, उन्हें छूने की कोशिश की। गाली और दलाली में तब्दील होती जा रही पत्रकारिता के इस दौर में भी श्री राजेन्द्र माथुर कभी अप्रासंगिक नहीं होंगे। श्री राजेन्द्र माथुर के प्रशंसकों का बड़ा वर्ग रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह से लेकर टाइम्स ऑ इंडिया के सम्पादक श्री गिरिलाल जैन तक उनके लेखन के कायल रहे।
पत्रकारिता में एक नई रुपक शैली, भाषा को एक नया मुहावरा देने वाले श्री राजेन्द्र माथुर के बारे में जितना भी कहा जाए, कम ही होगा।
सीधी पुलिस ने किया कानून, संविधान और इंसानियत को शर्मसार, बीजेपी विधायक के खिलाफ़ ख़बर लिखने वालों पर FIR दर्ज़। सीधी जिले की पुलिस ने पत्रकारों को थाने में बुलाकर अर्धनग्न अवस्था में खड़ा कर दिया है। बताया गया है कि इन पत्रकारों ने भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ ख़बरें चलाई थीं, जिससे शुक्ला नाराज़ थे। उनके कहने पर सीधी पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि ये लोग फर्जी आईडी से भाजपा सरकार और विधायकों के खिलाफ लिखते और ख़बरें दिखाते हैं।