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नया वैâलेण्डर, नया ईयर प्लानर, नई डायरी, नई पंचांग मुबारक। इनके अलावा और क्या बदलता है नववर्ष में? क्या हमारा संकल्प, चरित्र, भावना बदलती है? क्या सड़वेंâ, ट्रैफिक, व्यापार और पिच बदलती हैं? आशा है इस वर्ष संस्कृति और संस्कार इंदौर वालों के चरित्र में बसेंगे, केवल स्टोर्स के नाम नहीं होंगे। नया साल है, कुछ आब्जर्वेशन और एक्सपेक्टेशन (बट एवरीथिंग इस पर्सनल, नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट)।

इस साल कुछ माह हम ५० साला जश्नों से मुक्त रहेंगे। हमने स्वर्ण जयंती के नाम पर क्या किया? उद्घाटन समारोह का जश्न और फिर समापन समारोह का जश्न। समाज को उससे क्या मिला। इल्ले। इन जश्नों में समय गंवाकर हमने आजादी के महत्व को कम ही किया। इंदौर में तो कई संस्थाएं हैं, जिनकी मात्र दो गतिविधियां होती हैं- उद्घाटन और सम्मान। क्या केवल राजनीतिक दल ही टूटकर बिखरते हैं, सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं नहीं?

पूरे देश में हर साल एक दिन एड्स विरोधी दिवस मनाया जाता है। इंदौर में भी लोग इसे मनाने लगे हैं। क्या होता है उस दिन? बच्चों को नाहक बैनर-प्ले कार्डस थमाकर सड़कों पर खड़ा कर दिया जाता है। अब एड्स विरोधी अभियान इतना पूâहड़ हो गया है कि...। भोपाल रोड पर होर्डिंग्स लगे हैं, जिसमें ट्रक ड्रायवर को यह कहते दिखाया गया है कि वंâडोम बचाए मेरी जान। एक अन्य होर्डिंग्स में लिखा है बगैर वंâडोम के एक से अधिक महिलाओं के पास न जाएं? वैâसे वाहियत बातें? क्या इंदौर-भोपाल के लोगों में एड्स की महामारी पैâली है? यहां एड्स से ज्यादा लोग मरते हैं या हैजा, मलेरिया और गंदा पानी पीने से? पहली बात तो यह कि यहां एड्स अभियान की इस रूप में कोई जरुरत ही नहीं है और विज्ञापनबाजी ही करनी है तो यह क्यों नहीं करते कि एड्स की बचाव का सबसे अच्छा है सच्चरित्र रहें। चरित्रवानों को एड्स का खतरा निश्चित ही कम है। क्या हम इसे स्वर्ग नहीं कह सकते कि हम विदेशियों की तुलना में ज्यादा चरित्रवान हैं?

पिछले दिनों अखबारों में यातायात पुलिस की विज्ञप्ति आई कि वाहन चालकों से चार लाख रुपए से भी ज्यादा वसूले गए। पुलिस इसे उपलब्धि मानती है पर यह है कलंक। यातायात संबंधी इतने अपराध हुए हैं क्या? वाहन चालक पहले ही टैक्स और सरचार्ज से दबे हुए हैं। फिर जगह-जगह पार्विंâग के नाम पर उन्हें लूटा जा रहा है और फिर पुलिसवालों के चालान। इसके अलावा भी खर्चे ट्रैफिक चौराहों पर होते ही हैं।

इंदौर की बैंकों में एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन, जिसे लोग एनी टाइम मनी भी कहते हैं) लगने लगे हैं। हो सकता है कुछ वर्षों बाद एसटीडी बूथ की तरह एटीएम भी नजर आने लगे।

मुंबई में देश का पहला फाइव स्टार इकोटेल खुला है। होटल और मोटल की तर्ज पर खुला इकोटेल पर्यावरण की रक्षा के इरादे से खुला होटल ही हैं, जहां प्रकृति और पर्याववण का संरक्षण होता है या इसकी कोशिश की जाती है। आश्चर्य है कि इंदौर में अब तक इसकी नकल नहीं हुई। हाल में मुंबई के अंधेरी में महाराष्ट्र का पहला प्रायवेट आरटीओ खुला है, जिसका संचालन वेस्टर्न इंडिया ऑटोमोबाइल एसोसिएशन कर रही है। इंदौर में इसकी पहल अब तक नहीं हुई, यह भी आश्चर्य की बात है।

पुछल्ला- सुमित्रा महाजन का प्रिय खेल कौन-सा है?

जवाब- ताईक्वांडो।

-प्रकाश हिन्दुस्तानी
९ जनवरी १९९८

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