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11-Octomber-2014

'वीकेंड पोस्ट' में मेरा कॉलम (11 अक्टूबर 2014)

वैसे तो उनके हिन्दी में एक से बढ़कर एक शब्द हैं-चोर, चोट्टा, अमानत में खयानत करने वाला, गबनकर्ता, जेबकतरा, लुंठन, डाकू आदि-आदि। अंग्रेजी में भी इसके लिए एक से बढ़कर शब्द हैं, लेकिन जो मजा 'विलफुल डिफाल्टर' में है, वह कहीं नहीं ! विलफुल डिफाल्टर भी क्या गजब के 2 शब्द हैं। बेहद इज्जतदार! विलफुल डिफाल्टर शब्दों में गरिमा है। विलफुल डिफाल्टर बोलो तो लगता है कि टॉम क्रूज टाइप किसी महान इनसान की चर्चा हो रही है! भारत में विलफुल डिफाल्टर का जिक्र आते ही विजय माल्याजी का खयाल मन में आता है।

विजय माल्या बेहद अनूठे कार्य करते हैं। वे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े दारू भट्टीवाले हैं। बियर पिलाने वाले दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक। सुंदर कन्याओं के अर्ध या उससे ज्यादा नग्न कन्याओं के कैलेंडर छापते हैं। फार्मूला वन रेस और घुड़दौड़ में दिलचस्पी रखते हैं। मीडिया जगत में भी उनकी दिलचस्पी है। वे एशियन एज और सिने ब्लिट्ज के मालिक हैं। ब्रिटेन में एक नीलामी में वे टीपू सुल्तान की असली तलवार लगभग पौने दो लाख ब्रिटिश पाउंड में खरीद लाए। शराब के अलावा उनका फर्टिलाइजर का भी धंधा है उनका। किंग फिशर विमान कंपनी भी उन्होंने ही शुरू की थी, जिस पर बैंकों का अरबों रुपया बकाया है और कर्मचारियों की महीनों की तनख्वाह खाकर वे बैठे हैं। वे कर्नाटक से चुनकर राज्यसभा में जा चुके हैं, वह भी निर्दलीय। उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता के लिए करोड़ों खर्च किए थे। राज्यसभा में उन्होंने अपने सभी सदस्यों को गिफ्ट में अपनी कंपनी की शराब के बक्से भिजवो थे, जिस पर मप्र से गए सांसद अनिल माधव दवे ने आपत्ति की थी और उनका 'गिफ्ट' बैरंग वापस कर दिया था।

ऐसा नहीं है कि विजय माल्या कड़कनाथ हो गए हैं। उनके पास दूसरी कंपनियों में खासा धन है, लेकिन उन्होंने तय किया कि वे अपनी दूसरी कंपनियों का पैसा भोग-विलास में खर्च करेंगे। उनका बेटा सिद्धार्थ भी उन्हीं के नक्शेकदम पर है और कुछ समय पहले तक दीपिका पादुकोण का खास ब्वॉयफ्रेंड था। कहते हैं उसने दीपिका को 16 करोड़ का मामूली-सा फ्लैट गिफ्ट किया था। ये वही सिद्धार्थ है, जिसकी मां एयर इंडिया में एयर होस्टेस थी और विमान के यात्री विजय माल्या से इश्क लड़ाकर विवाह रचा बैठी थी। बाद में विजय माल्या अपनी एक भूतपूर्व पड़ोसन पर फिदा हो गए तो होस्टेस वाली बीवी को त्यागकर पड़ोसी का फर्ज निभाने लगे।

विलफुल डिफाल्टर घोषित होने के बाद माल्या कोर्ट में गए। अर्जी दी थी कि उन्हें 'विलफुल डिफाल्टर' ना कहा जाए। गाँधी जयंती के एक दिन पहले कोलकाता की कोर्ट ने माल्या की अर्जी पर सुनवाई करते हुए उन्हें टेम्परेरी रूप से विलफुल डिफाल्टर की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। इसका मतलब समझे आप? कोर्ट भी चाहता है कि अब आप उन्हें विलफुल डिफाल्टर नहीं, सीधे-सीधे चोर या चोट्टा कह सकते हैं। पर याद रखिए यह आदेश टेम्परेरी है। विश्वास है कि वे जल्द ही अपनी विलफुल डिफाल्टर वाली गरिमामयी पदवी पर कामयाब होंगे।

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'वीकेंड पोस्ट' में मेरा कॉलम (04 अक्टूबर 2014)

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