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नकल करने में इन्दौर वालों को कोई जवाब नहीं। वे यह बात कहने में हमेशा फख महसूस करते हैं कि जो चीज मुम्बई या दिल्ली में हो चुकी है, अब वही चीज इन्दौर में भी होने वाली है। जैसे मुम्बई में ५५ फ्लाय ओवर बन रहे हैं तो इन्दौर में भी एक फ्लायओवर बन रहा है। दिल्ली में होर्डिग्ंस हटा दिए गए हैं तो इन्दौैर में भी हटाए जा रहे हैं। दिल्ली में अप्पूघर है तो इन्दौर में मंगल मेरी लैण्ड और ड्रीमवल्र्ड है। मुंबई में वाटर विंâगडम है तो इन्दौर में मयंक ब्ल्यू वाटर पार्वâ है। मुंबई में --- (टाटा इंस्ट्टियूट ऑफ पंâडामेंटल रिसर्च) है, तो इन्दौर में ---है।

इन्दौर में राजकपूर का आर.के. स्टूडियो तो नहीं है, पर इन्दौर के लोगों के कई आर.के. स्टूडियो हैं। इन्दौर में फिल्म उद्योग, बदंरगाह, संसद भवन या राष्ट्रपति भवन तो हो नहीं सकते, लेकिन इन्दौर में भी नरीमन प्वाइंट, ग्रीन पार्वâ, प्रेंâडस कॉलोनी, वैâलाश पार्वâ, वैशाली नगर, चित्ररंजन पार्वâ है। स्विमिंग पुल्स, स्टेडियम, क्लब, एअरपोर्ट आदि सभी प्रमुख शहरों में होते हैं।

 

इन्दौर भी बड़ा शहर है।

हर बड़े शहर की तरह इन्दौर में एमजीरोड़, जवाहर नगर, इंदिरा कॉलोनी, राजीव नगर, संजय नगर, अम्बेडकर नगर है। यहां भी दिल्ली की तरह सड़कों पर चलने के लिए जगह नहीं मिलती। जैसे मुम्बई में लोकल ट्रेन भरी होती है, वैसे इन्दौर में टेम्पो और नगर सेवा की बसें भरी होती है। इन्दौर में दिल्ली जैसी रेड गाइन, ग्रीन लाइन और ब्ल्यू लाइन बसें नहीं है, जो पैदल चलने वालों को कुचलने का काम करे। इन्दौर में इन वाहनों के बिना ही यह काम होता है।

इन्दौर में लगभग वे सारी चीजें है, जो मुम्बई और दिल्ली है। जो चीजें नहीं है, इन्दौर वाले उसके लिए आवाज उठाते रहते हैं। यह मांग करने में इन्दौर के लोग कभी भी वंâजूसी नहीं करते।

इन्दौर में भी इंटरनेशनल एअरपोर्ट की सुविधाएं प्रदान की जाए। (यह गत पूछिए कि इन्दौर से कितने लोग सीधे विदेश की उड़ान भरते हैं)।

इन्दौर में भी आई आई टी खोला जाए। (आई आई एम का अनुभव वैâसा रहा यह नहीं बताएंगे क्या?)

इन्दौर में भी दूरदर्शन का प्रसारण केन्द्र खोला जाए। (यह मांग मानी जा रही है)।

इन्दौर में भी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच होने चाहिए। (कहाँ? नेहरू स्टेडियम में?)

निष्कर्ष यह कि इन्दौर के लोग किसी भी चीज की मांग करने में कभी भी कोई वंâजूसी नहीं करते। उन्हें पता होता है कि वे जिस चीज की मांग कर रहे हैं वह मांग पूरी होने वाली है या नहीं। जैसे उन्हें पता है कि रोप वे की मांग करना बिल्कुल सही है और बिजासन तथा गोम्मटगिरी की पहाड़ी पर जाने के लिए तो वह होना ही चाहिए, पूरे शहर में आने जाने के लिए टोप वे होेना चाहिए।

इन्दौर की सड़कों का विकल्प तो टोप वे ही हो सकता है।

प्रकाश हिन्दुस्तानी

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