आखिर नंदमुरि तारक रामाराव ने यह घोषणा कर ही दी कि उनका उत्तराधिकारी उनका बेटा नंदमुरि कृष्णाराव ही होगा, कोई दामाद नहीं। इससे स्पष्ट है कि रामाराव भी चरणसिंह, इंदिरा गांधी या शेख अबदुल्ला से किसी प्रकार भिन्न नहीं है। एन.टी.आर. अपने १३ बच्चों में सबसे ज्यादा कृष्णराव को ही चाहते हैं। कृष्णाराव अपने पिता के पद चिन्हों पर चलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, राजनीति में भी और फिल्मों में भी। यह बात भी सच है। कृष्णाराव अपने पिता से ज्यादा लोकप्रिय नेता और अभिनेता हैं।
राजनीति में लोग उन्हें तेलगु देशम का राजीव गांधी कहते हैं और फिल्मों में भी वे उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने कि एन.टी.आर. रहे हैं। यहां मामूली सा फर्वâ यह है कि फिल्मों के जरिए एन.टी.आर. ने राम, कृष्णा और शिव की छवि बना रखी है, लेकिन कृष्णाराव की छवि छेल-छबीले हीरो की है। वे तेलगु फिल्मों के शम्मी कपूर हैं।
जब बालकृष्ण कालेज में थे, तभी एन.टी.आर. ने उन्हें फिल्मों में पेश कर दिया। बालकृष्ण को स्थापित करने के लिए एन.टी.आर. ने अपनी एक प्रमुख फिल्म ‘श्रीमद विराट वीर ब्रजरेन्द्र स्वामी चरित्र’ में एक विशेष भूमिका रखवाई। जिससे बालकृष्ण को फिल्मों में स्थापित होने में मदद मिली। इस फिल्म में बालकृष्ण का एक नृत्य गीत उतना ही लोकप्रिय हुआ, जितना कि अमिताभ का ‘खइके पान बनारस वाला’ हुआ था।
एक्टर बालकृष्ण में भीड़ को आकर्षित करने की व गजब श्रमता है। मूंगफली क्लास के दर्शक उनकी फिल्म देखने के लिए टूट पड़ते हैं। वे हर फिल्म में एक नई अदा, नया स्टाइल लेकर आते हैं। उनकी अधिकांश फिल्मों की नायिकाएं एकदम नई अभिनेत्रियां होती है।
जब एन.टी.आर. की सरकार को राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया था, तब बालकृष्ण अपने पिता के पक्ष में सड़क पर उतर आए थे। जब एन.टी.आर. के विरोधी अभिनेता कृष्णा ने एक फिल्म बनाकर एन.टी.आर. के राज की प्रतिष्ठा का भट्ठा बैठाने की कोशिश की, तब कृष्णा राव ने फिल्म का जवाब फिल्म से देने की घोषणा की। और अब वे एक ऐसी फिल्म बनाने में जुटे हैं, जो एन.टी.आर. की छवि उजली बनाएगी और अपने राजनीतिक विरोधी को करारा जवाब देगी।
कृष्णराव का कहना तो यह है कि मैं अपने पिता को परमेश्वर मानता हूं औैर जो भी उनका विरोध करेगा में उसकी फिल्म को रिलीज भी नहीं दूंगा। यही पितृभक्ति कृष्णाराव की राजनीतिक पूंजी है।
कृष्णराव का राजनीतिक जीवन तो अभी बहुत छोटा है, लेकिन उनमें संभावनाएं अनंत है। आगामी चुनावों में ही संभावनाओं के दरवाजे खुलेंगे। वैसे एन.टी.आर. का तो कहना यह है कि आंध्र प्रदेश की राजनीति में मैं अपराजेय हूं। लेकिन मुझे अगर कोई पराजित कर सकता है तो वह मेरा बेटा बालकृष्णा ही हो सकता है।
नंदमुरि बालकृष्णा राव भगवान वैंकटेश्वर के परम भक्त हैं। वे हर पखवाड़े तिरूपति जाते हैं। आंध्रप्रदेश में परम्परा के अनुसार अपने नाम के पहले अपने गांव का नाम लिखा जाता है। बालकृष्ण अपने नाम के पहले अपने पैतृक गांव नंदमुरि का ही जिक्र करते हैं, हालांकि उनका जन्म मद्रास में छुपा था। इस हिसाब से उनका नाम मद्रास बालकृष्ण राव होना चाहिए।
प्रकाश हिन्दुस्तानी