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Janaki Ramachandran VNJतमिलनाडू की मुख्यमंत्री श्रीमती जानकी रामचंद्रन की जिंदगी वास्तव में किसी तमिल मसाला फिल्म की कहानी से कम नहीं है। जिसमें इमोशन, ड्रामा, एक्शन, ट्रेजेडी वगैरह के बाद क्लाइमेक्स आता है। लेकिन शायद करूणानिधि अभी इस बात को न माने कि तमिलनाडू की राजनीति में क्लाइमेक्स का सीन आ गया है। जानकी अम्मा का जीवन अपने आप में कोई कम ट्रेजेडी नहीं रहा। छुटपन में ही पिता की मौत और फिर मां का दूसरा विवाह, केरल का अपना पैतृक गांव छोड़कर तमिलनाडू में जाकर बसना, स्वूâली पढ़ाई विधिवत पूरी नहीं कर पाना और फिर विवाह, जो सफल नहीं हुआ। रामचंद्रन की तीसरी पत्नी कहलाने का सौभाग्य उन्हें मिला, पर जयललिता के कारण उनके मन में आशंकाएं पनपती रहती।

यह भी संयोग ही है कि आज वे जिन करूणानिधि की प्रमुख राजनैतिक विरोधी हैं, उन्हीं की एक फिल्म में वे नायिका थी, और रामचंद्रन उस फिल्म में नायक थे।

जब वे १५ साल की थी, तब ‘नाट्यकला सेवा’ नामक संगीत नृत्य मंडली में शरीक हो गई थी और देश भर में घूम-घूम कर नृत्य के कार्यक्रम पेश किया करती थी। १९३९ में उन्हें फिल्म में ब्रेक मिला। ‘मानमाता विजयम’ उनकी पहली फिल्म थी।

एम.जी.आर. के साथ उनकी पहली फिल्म १९४८ में बनी थी, जिसकी कहानी ‘बगदाद का चोर’ टाइप की थी। पर इस फिल्म में जानकी नायिका नहीं थी। ‘मरिधनात्तु इलावरसी’ (मदुरै की महारानी) फिल्म में रामचंद्रन और जानकी नायक-नायिका थे और यह फिल्म सुपर हिट हुई थी। दोनों ने नायक-नायिका की भूमिका में बस चार फिल्में ही की थीं, और फिर वे इस रिश्ते को जीवन में ले आए। किसी सच्चे कलाकार की तरह।

‘मदुरै की महारानी’ ही वह फिल्म थी, जिसमें अभिनय करते समय स्वाभाविकता का पुट आ गया। जब इस फिल्म की शूटिंग शुरू हुई थी, तब रामचंद्रन की दूसरी पत्नी बेहद बीमार थी। उनकी पहली पत्नी का पहले ही स्वर्गवास हो चुका था। जब उनकी दूसरी पत्नी का निधन हो गया, तब रामचंद्रन और जानकी का प्रेम परवान चढ़ा। कहते हैं कि रामचंद्रन अपनी दूसरी पत्नी को बेहद चाहते थे ओर जानकी की शक्ल उनसे बहुत मिलती थी।

१९५० में जानकी रामचंद्रन के साथ रहने के लिए चली गई। पहले जानकी की शादी फिल्मी दुनिया से ही जुड़े गणपति भट्ट से हुई थी। उन दोनों के एक पुत्र अप्पू को रामचंद्रन ने गोद ले लिया था। रामचंद्रन के भाई ने अपने स्टूडियो का नाम जे.आर. स्टूडियो रख दिया था।

शादी के बाद रामचंद्रन ने जानकी को फिल्म और राजनीति से बचाकर रखा। जानकी अम्मा भी अपने घर परिवार तक सिमर गई। इन दोनों की कोई संतान नहीं है।

१९८४ में जब रामचंद्रन बीमार हुए और एक के बाद एक बीमारी उन्हें घेरने लगी, तब जानकी ने एक सच्ची दोस्त, पत्नी और अनुयायी का फर्ज अदा किया। रामचंद्रन की बीमारी के दौरान उन्होंने जयललिता को उनके पास नहीं फटकने दिया और रामचंद्रन की मौत के बाद उनके शव के पास से भी उन्हें दूर होने पर मजबूर कर दिया।

जानकी अम्मा का ज्योतिष पर अपार भरोसा है, ज्योतिषियों ने उन्हें बताया था कि रामचंद्रन स्वस्थ हो जाएंगे। करीब ६३ साल की होंगी, क्योंकि उनकी उम्र रामचंद्रन से चार साल कम हैं। रामचंद्रन ६७ के थे।

प्रकाश हिन्दुस्तानी

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