तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन वाकई हीरो हैं। जो चाहते हैं, कहते हैं। जो इच्छा होती है, करते हैं। हाल ही उन्होंने अपने प्रशंसको से कहा है कि वे आत्मरक्षा के लिए अपने पास चावूâ रखा करें, क्योंकि पुलिस उनके दुश्मनों से निपटने में समर्थ नहीं है। यह तो उन्होंने तब कहा जबकि वे मुख्यमंत्री हैं। अगर वे मुख्यमंत्री नहीं होते, तो शायद प्रशंसकों को सलाह देते कि आत्मरक्षा के लिए अपने पास मशीनगन या तोप रखा कीजिए, क्योंकि सरकार हमारी नहीं है।
कुछ अरसा पहले उन्होंने अपनी एक अदब सहयोगी को विधान परिषद में नामदज करने के लिए राज्यपाल से कहा था। राज्यपाल ने कहना नहीं माना। नतीजा यह निकला कि विधान सभा में प्रस्ताव रखा गया कि विधान परिषद फिजूल है, उसे खत्म कर देना चाहिए। वे मद्रास में घुड़दौड़ खत्म कराने का पैâसला कर चुके हैं और शराबबंदी लागू करके, पैâसला वापस भी ले चुके हैं।
उनकी पार्टी का नाम भी अजीब है - अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम। जबकि उनकी पार्टी अखिल भारतीय नहीं है। अन्नादुरे का स्वर्गवास हो गया है। न ही तमिल लोग द्रविड़ है। मुनेत्र का अर्थ है प्रगतिशील, जबकि उनकी पार्टी है घोर परम्परावादी। कड़गम यानी पार्टी - जबकि उनकी पार्टी दरअसल उनके प्रशंसकों के संघों का महासंघ है।
एम.जी.आर. के प्रशंसकों (या भक्तों) के संघों का जाल तमिलनाडू के अलावा श्रीलंका, नैरोबी और मलयेशिया में भी पैâला है। ये ‘रसिगार मनरम’ ही उनकी सबसे बड़ी राजनैतिक पूंजी है। वे ‘मक्कल पिलकम’ यानी तमिल जनता के चहेते हैं। वे अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए वैसे ही फार्मूले अपनाते हैं - जैसे मनमोहन देसाई अपनी फिल्मों के लिए।
तमिल बुद्धिजीवी कहते हैं कि एम.जी.आर. उत्तर भारत के साम्राज्यवाद का दक्षिणी जवाब है। एम.जी.आर. कहते हैं कि पूरे देश में दो भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए - अंगे्रजी और स्थानीय भाषा। वे कहते हैं कि केन्द्र में राष्ट्रीय सरकार होनी चाहिए, जो सबको साथ लेकर चले और प्रधानमंत्री का पद ‘रोटेशन’ से पार्टियों का दिया जाना चाहिए ताकि अ.भा. अन्ना द्रमुक का नेता भी प्रधानमंत्री बन सके।
एम.जी.आर. फरमाते हैं कि शुरू में उन्होंने अपनी रूचि और पैसे के लिए फिल्मों में काम किया। लेकिन बाद में उन्हें इसलिए फिल्मों में काम करना पड़ा ताकि वे इंकम टैक्स चुका सवेंâ। जब वे द्रमुक की राजनीति में सक्रिय हुए तब उनके प्रशंसकों का गुट तगड़ा था। जब द्रमुक में पुâट पड़ी तब वे तमिलनाडू की राजनीति पर हावी हो गए। तमिलनाडू में राजनैतिक लड़ाई भी सिनेमाघरों में लड़ी जाती है। उनके विरोधियों ने एक बार जनता से अपील की थी कि वे एम.जी.आर. की फिल्में न देखें।
एम.जी.आर. भ्रष्टाचार व पत्नीवाद के आरोपों से घिरे हैं। आरोप है कि उन्होने पिछले साल अपनी बीमारी में ९५ लाख रूपए खर्च किए। एक विशेष विमान से उन्हें इलाज के लिए अमेरिका ले जाया गया। उस विमान में ही अस्पताल की सभी व्यवस्थाएं कर दी गई थी। उनके विरोधी उन्हें तमिल नहीं मानते, वे कहते हैं कि एम.जी.आर. का जन्म वैâरल में हुआ था।
जो भी हो, एम.जी.आर. एक कुशल प्रशासक हैं। तमिलनाडू देश के सबसे सुप्रसिद्ध सुप्रशासित राज्यों में से है। वहां बच्चों को स्वूâल में दोपहर का भोजन दिया जाता है और लक्ष्य से ज्यादा परिवार नियोजन आपरेशन होते हैं।
७३ वर्षीय एम.जी.आर. के बच्चे नहीं है। एक अदद पत्नी और चंद अदद प्रेमिकाएं जरूर हैं। काला चश्मा उनका ‘रेडमार्वâ’ बन गया है। उन्होने अपनी सम्पत्ति पार्टी के नाम लिख दी है।
प्रकाश हिन्दुस्तानी