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photoपिछले विधानसभा चुनाव के वक्त यह चर्चा थी कि अगर विधान सभा पर भगवा फहराने की नौबत आई तो हो सकता है कि भगवा फहराने वाले का नाम छगन भुजबल हो। आखिर वे बाल ठाकरे के बाद शिव सेना के शीर्ष नेताओं में गिने जाते है। मगर इस १५ अगस्त को उन्हें मनपा कार्यालय पर ही तिरंगा फहरा कर ही संतोष कर लेना पड़ेगा।

‘सुंदर मुम्बई, मराठी मुम्बई’ के प्रणेता छगन भुजबल अब फिर बम्बई (क्षमा करें मुम्बई) के महापौर बनने जा रहे हैं। अब महानगरपालिका की खबरें लाने वाले पत्रकारों का काम फिर से दिलचस्प हो जाएगा और बम्बई के हुतात्मा चौक के सुन्दरीकरण का अभियान फिर छिड़ेगा। मुम्बईकरों को शायद अब निर्माता-निर्देशक छगन भुजबल की ‘सुंदर मुम्बई’, मराठी, मुम्बई’ फिल्म भी देखने को मिल जाए, जिसमें दादा कोंडके और उषा चव्हाण ने शिव-पार्वती का रोल किया है, जिसमें दादा कोंडके और उषा चव्हाण ने शिव-पार्वती का रोल किया है।

पिछले विधान सभा चुनाव के वक्त यह चर्चा थी कि अगर विधान सभा पर भगवा फहराने की नौबत आई तो हो सकता है कि भगवा फहरानेवाले का नाम छगन भुजबल हो। आखिर वे बाल ठाकरे के बाद शिव सेना के शीर्ष नेताओें में गिने जाते हैं। मगर इस १५ अगस्त को उन्हें मनपा कार्यालय पर ही तिरंगा फहरा कर ही संतोष कर लेना पड़ेगा।

छगन भुजबल पहले जब बम्बई के महापौर थे, तब वे तमाम गतिविधियों के सूत्रधार थे। वे नई-नवेली कटिसा कार में घूमते थे। किसी समारोह के सिलसिले में जुहू चौपाटी गए तो प्रेस फोटोग्राफरों के सामने वहां पर बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने लग गए। अखबारों ने तब उनके जो चित्र छापे, उनमें क्रिकेट खेलते और मेरी गो राउंड पर घूमते महापौर शामिल थे। गणेश विसर्जन के शुभ मौके पर उन्होंने मनपा के पंâड से ५,००० रूपए घंटा की दर पर हेलीकॉप्टर किराए पर लिया था - गणेशजी पर पूâल बरसाने के लिए आ सकते थे। तीसरा आदमी कौन हो, यह तय करना मुश्किल था। छगन भुजबल ने सोचा कि क्यों न अपनी पत्नी को ही हेलीकॉप्टर की सैर करा दूं। सो उन्होंने करा दी।

छगन भुजबल मझगांव इलाके में रहते हैं, जहां मुस्लिमों की संख्या भी काफी है। लेकिन उनके इलाके के मुस्लिम उनके मित्रवत है। शिव सेना के नेता छगन भुजबल के प्रयासों से ही इस क्षेत्र की एक मस्जिद का जीर्णाद्वार किया गया था। दीपावली पर जब वे मित्रों को दावत देते हैं तो दो तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन मुसलमान दोस्तों के लिए और शाकाहारी हिन्दू दोस्तों के लिए। बम्बई में कभी उन्होंने गैर हिन्दुओं के खिलाफ बयान नहीं दिए। झोपड़पट्टी वालों के बारे में वे हमेशा से यही कहते आए है कि इस समस्या का हल मानवीय. तरीके से होना चाहिए, लेकिन टैक्स देने वाले नागरिक की उपेक्षा नहीं करना चाहिए। अगर सरकार ट्रस्टों की फालतू पड़ी जमीन ले ले तो बम्बई की आवास समस्या अपने आप हल हो सकती है। अवैध झोपड़ियों के लिए वे पुलिस विभाग को भी दोषी मानते है। उनका कहना है कि बम्बई में पुलिस को इतने अधिकार है कि अगर वे उनका उपयोग करने लगे तो कोई परेशानी पैदा हो ही नहीं।

छगन भुजबल ने महापौर के पद पर रहते हुए निजी तौर पर ‘सुन्दर मुम्बई, मराठी मुम्बई’ नामक फिल्म बनाई थी। इसमें दादा कोंडके, उषा चव्हाण आदि कलाकारों ने मुफ्त में काम किया था। २० मिनट की यह फिल्म १६ और ३५ एम.एम.में बनी थी। यह फिल्म खूब चर्चित हुई थी। भुजबल की कल्पना थी कि अगर शिव और पार्वती बम्बई में आ जाएं तो उन पर क्या बीतेगी। लोग उन पर भी कचरा पैâकेगं और पुâटपाथ पर चलने के लिए उन्हें भी जगह नहीं मिलेगी। इसके कई सम्वाद हिन्दुस्तानी भाषा में है और इसी कारण यह आरोप लगाने वाले लोग आ गए कि यह फिल्म हिन्दीभाषियों का मजाक उड़ाने के लिए बनाई गई। छगन भुजबल इस फिल्म में पुलिसवाले के रोल में थे।

यों तो छगन भुजबल ने फिल्मों मेंभी अभिनय किया है लेकिन परदे के बाहर उनका अभिनय ज्यादा चर्चित रहा है। महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के सिलसिले में उन्होंने धारवाड़ जाकर प्रदर्शन किया था। पुलिस उन्हें पकड़ने की फिराक में थी तो वे दाढ़ी-मूंछ लगाकर एक मुस्लिम व्यापारी का वेश धरकर धारवाड़ पहुंच गए। उनका वह फोटो भी अखबरों में छपा। विधानसभा के नागपुर अधिवेशन में उनकी हरकतें चर्चा में रही। जब पंजाब समझौता हुआ था तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से भांगड़ा करके अपनी खुशी जाहिर की थी। जब तंजानिया के राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे बम्बई आए थे और भुजबल उनका सम्मान नहीं कर पाए थे, तब उनका विरोध-प्रदर्शन भी लोगों ने देखा। अब मनपा आयुक्त तिनईकर से उनकी पटरी वैâसी बैठती है यह दर्शनीय होगा।

छगन भुजबल ४३ साल के हैं। वे किसान परिवार के हैं। उनके बड़े भाई ने फलों की दूकान चलाकर किसी तरह उन्हें पढ़ाया-लिखाया। १९६३ में छगन भुजबल एस.एस.सी. पास हो गए। अपने बल पर उन्होंने वी.जे.टी.आई. में प्रवेश पाया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। इसी दौरान उन्हें अभिनय का शौक हुआ और यह शौक गहरा होता गया। यह आज भी कायम है। आज उनके दोस्तों में अभिनेता, नेता, सेठ और पहलवान सभी शामिल है।

प्रकाश हिन्दुस्तानी

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