श्रीचेरूमुरि शर्माजी राव की इतनी चर्चा तब भी नहीं हुई थी, जब उन्होंने आंध्रप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के महाभारत की बागडोर सम्भाली थी। एक नवजात पार्टी को आंध्रप्रदेश में सत्ता दिलाने और इंका के आंध्रप्रदेश में पुनप्रवेश के रास्तों पर गतिरोध कायम करने में उनकी निर्णायक भूमिका थी। तेलुगु देशम को उन्होंने जन्म दिया, पाला-पोसा और राजनैतिक लड़ाई के पैंतरे सिखाए।
एक संवैधानिक विवाद का केन्द्र बनकर श्री रामाजी राव सुर्खियों में छा गए है। उनके अखबार ‘ईनाडु’ में गत ९ मार्च को आंध्रप्रदेश विधान परिषद की कार्रवाई की रिपोर्ट के साथ छपे शीर्षक पर विधान परिषद ने आपत्ति की। विशेषाधिकार का मामला बनाकर उन्हें दोषी ठहराया गया और गिरफ्तार करके सदन में पेश करने के आदेश दिए गए, ताकि उन्हें प्रताड़ित किया जा सके। इस पर श्री रामाजी राव सर्वोच्च न्यायालय में गए और विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच अचानक खड़े हुए ऐतिहासिक विवाद के कन्द्र बिन्दु, बन गए।
श्री नंदमुरि तारक रामाराव आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगें, यह बात श्री रामाराव से भी पहले श्री रामाजी राव जानते थे। १९७७ के चुनाव के बाद उन्होंने देखा था कि आंध्रप्रदेश में इन्दिरा कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता खत्म होती जा रही है। उन्होंने पाया कि ऐसे में याद विपक्ष कोई अच्छी पहल करे और विपक्ष के पास कोई ईमानदार नेता हो तो इन्दिरा कांग्रेस का आंध्रप्रदेश में भट्टा बिठाया जा सकता है।
उन्होंने इसकी पहल शुरू की। एन.टी.आर. के साथ उन्होंने लम्बी-लम्बी गोष्ठियां की और उम्हें तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना के लिए प्रेरित किया। बात सिर्पâ प्रेरणा तक ही सीमित नहीं थी, उन्होंने पार्टी को सूरत भी दी और सीरत भी। तेलुगु देशम का चुनावी घोषणा पत्र बनाने में उन्होंने मदद की। उसके प्रचार के बोर्डों का डिजाइन तैयार करवाया। रामाराव की छवि बनाने के लिए अपने अखबार में उनके दौरों की रपट लगातार छापी। रामाराव की शेयरलेट गाड़ी के चित्र छाप-छाप कर लोगों को बताया कि यह गाड़ी ही चुनाव के दिनों में एन.टी.आर. का घर थी। रामाराव के भाषण भी उन्होंने अविकल छापे। हरिजनों के साथ नाचते-गाते और खाना खाते हुए श्री रामाराव के चित्रों को ‘ईनाडु’ ने लगातार प्रकाशित किया।
जिस दिन आंध्रप्रदेश में चुनाव थे, उस दिन ‘ईनाडु’ ने पहले पैज पर श्री रामाराव का पुरे तीन कालमों का चित्र छापा, जबकि श्रीमती गांधी का चित्र दो कालम में और श्री गुंडुराव का चित्र एक कालम में छापा गया। अखबार ने उस दिन अग्रलेख भी छापा, जिसमें मतदाताओं से गुजारिश की गई थी कि चुनाव में तेलुगु देशम को ही वोट दें।
मतगणना के बाद जब बधाइयों का तांता शुरू हुआ तो सबसे ज्यादा बधाइयां रामाजी राव को ही मिली। रामाराव से भी ज्यादा। जिस दिन नतीजे खुले उसके अगले दिन ‘ईनाडु’ की डेढ़ लाख प्रतियां बिकी।
इसके बाद भी जब रामाराव मुख्यमंत्री बने, तब ‘ईनाडु’ उनकी नीतियों का खुला समर्थन और प्रचार देता रहा। विधान परिषद को खत्म करने के विधानसभा के पैâसले का श्री रामोजीराव अपने अखबार के मार्पâत समर्थन देते रहे है।
नौ साल पहले रामोजीराव ने विशाखापट्टनम से ‘ईनाडु’ का प्रकाशन शुरू किया था। अपनी लगन, सूझबूझ और निष्ठा से उन्होंने इस अखबार को बढ़ाया। आजकल वे ‘ईनाडु’ के चार संस्करणों के मालिक और प्रधान सम्पादक है। ‘ईनाडु’ हैदराबाद, विजयवाड़ा और तिरूपति से भी प्रकाशित होता है। चुनाव के पहले उनके अखबार के सभी संस्करणों का प्रिंट आर्डर २ लाख ३० हजार था, जो अब करीब साढ़े तीन लाख है।
हालांकि मुख्यमंत्री श्री रामाराव का यह बयान सुखकर है कि वे श्री रामोजी राव का कोई बचाव नहीं केरंगे। लेकिन वे वास्तव में ऐसा करेंगे, यह बात लोगों के गले कम ही उतर रही है। बेशक श्री रामोजी राव एक लोकप्रिय और निर्भीक पत्रकार है लेकिन बेहतर होता कि वे एक तटस्थ पत्रकार भी होते।
प्रकाश हिन्दुस्तानी