सद्दाम हुसैन ऐसे नेता है जो साहसी तो है, लेकिन षडयंत्रकारी भी। वे बुद्धिमान है, लेकिन व्रुâर भी है। लड़ाई के तौर-तरीकों का ज्ञान उन्हें अच्छा है, लेकिन ईरान से इतनी लम्बी लड़ाई लड़कर, पांच लाख लोगों को मरवाकर और खरबों के नुकसान के बाद उन्होंने क्या पा लिया? सद्दाम हुसैन का एक ही सपना लगता है कि पूरी मुस्लिम दुनिया में इराक का नाम अव्वल रहे और वैâसे केवल उनकी तूती बोले।
कुवैत पर हमला करने वाले इराक के राष्ट्रपति है सद्दाम हुसैन अल तक्रीती। उन्हें इराक का पर्याय कहा जाता है। (लेकिन उस तर्ज पर नहीं, जैसे इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा।) सद्दाम हुसैन एक ऐसे नेता हेै जो साहसी तो है, लेकिन उन्हें षडंयत्रंकारी भी माना जाता है। सद्दाम बुद्धिमान है, लेकिन व्रूâर भी है। लड़ाई के तौर तरीकों का ज्ञान उन्हें अच्छा है, लेकिन ईरान से इतनी लम्बी लड़ाई लड़कर, पांच लाख लोगों को मरवाकर और खरबों के नपकसान के बाद उन्होंने क्या पा लिया? सद्दाम हुसैन का एक ही सपना लगता है कि पूरी मुस्लिम दुनिया में इराक का नाम अव्वल रहे।
़कुवैत पर हमला करने के करीब दो हफ्ते पहले ही इराक के ३० हजार सैनिक कुवैत की सीमा पर तैनात हो गए थे। तभी से कुवैत चिंतित था और उसने इस चिंता से अमेरिका और सोवियत संघ को अवगत करा दिया था। सद्दाम हुसैन ने एक राजनीतिक लड़ाई पहले ही जीत ली थी जब ओपेक का समझौता तोड़कर ज्यादा तेल का उत्पादन करने के मामले में कुवैत ने अपनी गलती मान ली थी और एक अरब डॉलर का हर्जाना इराक को देना स्वीकार कर लिया था।
पश्चिम दुनिया में सद्दाम हुसैन एक गंदा नाम इसलिए माना जाता है कि उन्होंने पिछले साल एक ब्रितानी पत्रकार फरजाद बाजोफ्त को जासूसी के इल्जाम में न्यायालय के आदेश पर फांसी पर लटका दिया था, लेकिन इराक में सद्दाम हुसैन को एक अत्यंत न्यायप्रिय राष्ट्रपति माना जाता है, जिन्होंने एक हत्या के मामले में अपने स्वयं के सबसे बड़े बेटे को भी नहीं बख्शा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होने दी। इराक में उन्हें न्यायप्रिय और बहादुर माना जाता है, उनके नाम पर टी शर्ट और घड़ियां बिकती है। सद्दाम हुसैन को लगता है कि उनके जैसा सुन्नी शासक पूरे अरब विश्व का नक्शा बदल सकता है और तभी उन्होंने इस्राईल को कड़ी चेतावनी दे रखी है कि अगर उसने कुछ चूं चपड़ की तो अंजाम बुरा होगा। उन्होंने कहा है कि अगर इराक को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा तो इस्राईल पर रासायनिक हमला कर दिया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस्राईल उनकी इस बात को समझता है और इसीलिए शांत है क्योंकि ईरान के एक गांव में पिछले युद्ध के दौरान इराक द्वारा रासायनिक बम गिराए जाने से करीब ५ हजार बेकसूर स्त्री, पुरूष और बच्चे मारे गए थे।
२२ अप्रेैल १९३७ को जन्मे सद्दाम हुसैन ने किशोरावस्था से ही राजनीति में दिलचस्पी लेना शुरू कर दी थी। वे कम्युनिस्टों और क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति रखते थे। उन दिनों इराक पर ब्रिटेन समर्थित शाह पैâजल द्वितीय का राज था। उन्होंने न्यू अरब बाथ सोशलिस्ट पार्टी के विद्रोही के रूप में काम शुरू कर दिया था। शाह पैâजल की हत्या १९५८ में जनरल अब्दुल करीम कासिम के नेतृत्व में हुई और कासिम सेना का मुख्य नीति निर्णायक बन बैठे। उस वक्त सद्दाम हुसैन को यह काम सौंपा गया कि वे कासिम का सफाया करें। कासिम की हत्या में नाकाम और घायल होकर सद्दाम हुसैन सीरिया भाग गए थे। सीरिया में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाई और सत्ता में आने की तैयारियां शुरू की।
े९६८ में जब उनकी पार्टी रक्तपात रहित विद्रोह में सत्ता में आई तब मेजर जनरल अहमद हसन अल बकर राष्ट्रपति बने और सद्दाम हुसैन उनके खास सिपहसालार। १६ जुलाई १९७९ को सद्दाम हुसैन राष्ट्रपति बन गए क्योंकि राष्ट्रपति अहमद हसन ने बीमारी के कारण इस्तीफा दे दिया था। उनकी बीमारी मुख्य रूप से सद्दाम हुसैन के कारण ही थी।
सत्ता में आते ही हुसैन ने अपने ही दल के तीस लोगों को मरवा दिया था, क्योंकि उन पर विद्रोह का शक था। बड़ी ही बेरहमी से उन्होंने अपने राज को संभाला और इस कदर आतंक पैâलाया कि लोग उनमें हिटलर की झलक देखने लगे। लेकिन उनकी विदेश नीति एकदम प्रâी स्टाइल रही। उन्होंने सोवियत संघ के साथ मधुर रिश्ते रखे। मुस्लिम राष्ट्र होते हुए भी खुलेपन की नीति अपनाई और वैज्ञानिक नजरिया अपनाया।
सद्दाम हुसैन को बहुमुल्य विदेशी चीजों का चस्का है। महंगी-महंगी कार, महंगे विदेशी सिगार उन्हें पसंद है। खाने पीने के शौकीन है वे और इस कारण काफी मुटा गए हैं और कई छोटी-मोटी बीमारियों से त्रस्त है। १९६३ में उन्होंने अपनी चचेरी बहन साजिदा से शादी की थी। अब वे दो बेटे और दो बेटियों के बाप है और वे अपने एक बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाने की तैयारी में जुटे हैं।
प्रकाश हिन्दुस्तानी