अर्जेण्टीना में मेराडोना की राष्ट्रपति के बाद सबसे ज्यादा इज्जत है। लेकिन वे कोई खास हैंडसम नहीं है। हाल में इटली के एक अखबार ने 18 से 30 के बीच की युवतियों की पसंद पूछी तो मेराडोना का नाम अंतिम था। मेराडोना के पास आज सब कुछ है। अर्जेण्टीना और इटली में उनके मीलों में पैâले हुए मकान है। कारों के काफिले, निजी जेट विमान है। मेराडोना की दो बेटियां है, जिनके जन्म के काफी समय बाद उन्होंने ब्याह रचाया।
पूरी दुनिया डिएगो आर्माण्डो मेराडोना से केवल एक आशा करती है। चमत्कार ! करोड़ों पुâटबाल प्रेमियों की यह आशा इस बार मेराडोना पूरी नहीं कर पाए। पूरी दुनिया समझती थी कि अगर यह नाटा खिलाड़ी पुâटबाल के मैदान में अपना रंग दिखा रहा हो तो यह अपने आप में एक पूरी टीम होता है, मैदान में पुâटबाल उसके पांव के इशारों पर नाचता है। लेकिन विश्व कप पुâटबाल में ऐसा तो अब तक हुआ ही नहीं।
विश्व कप पुâटबाल के अब तक के अपने दो मैचों में मेराडोना कोई चमत्कार नहीं दिखा पाए। दर्शकों ने उन्हें मैदान में देखा तो सिर्पâ पुâटबाल के पीछे भागते हुए और दूसरे खिलाड़ियों द्वारा उन्हें गिराते हुए। कुछ लोग कहते हैं कि वे अपनी सेहत के कारण अपना चमत्कार नहीं दिखा पा रहे हैं। कुछ कहते हैं कि उनके साथ ज्यादा ही सावधानी बरत रहे है दूसरी टीमवाले। कुछ तो यह भी कहते हैं कि मेराडोना का जादू उतर गया है अब।
1986 में मैक्सिको के विश्वकप पुâटबाल में धूमकेतू थे मेराडोना। इस बार अर्जेण्टीना ने अपना पहला ही मैच वैâमरून से खेला था। कहा जा रहा है कि मेराडोना वैâमरून के साथ पहला मैच नहीं खेलना चाहते थे। पर उन्हें खेलना पड़ा। पहले ही मैच में अर्जेण्टीना शून्य एक से हार गया। मैदान के बीच जादूगरी दिखाने वाले मेराडोना को वैâमरून के खिलाड़ी बार-बार गिराते रहे। अर्जेण्टीना का दूसरा मैच रूस के साथ हुआ, जिसमें भी मेराडोना असहाय से ही रहे।
भले ही 1986 में अर्जेण्टीना ने विश्व कप जीता हो, पर उसके बाद उसने चार साल में 80 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। 80 में से अर्जेण्टीना केवल 30 में जीता, 24 में बराबरी पर रहा और 26 में हारा। पिछले चार साल में अर्जेण्टीना का सबसे बढ़िया प्रदर्शन 21 दिसंबर 1989 को रहा था, जब उसने इटली को अपने घरेलू मैदान पर 0-0 से रोके रखा। जीत तो नहीं मिली थी, पर अर्जेण्टीना की इज्जत रह गई।
अभी अर्जेण्टीना की टीम में मेराडोना के अलावा पेड़ों ट्रेज्लिओ है जो मध्य मैदान मैें अपनी तेज गति और दांए तथा बांए पैरों की जबर्दस्त ठोकरों के लिए मशहूर है। आक्रामक पंक्ति में वैâनेगिया है और मोरेना डेजोरी है जिनकी प्रतिपक्षी टीम के गोलकीपर से सीधी ठनती है और वे हर मूव को गोल तक ले जाने की वूâबत रखते हैं। पर इस बार सब ठण्डे है, शायद इसलिए कि मेराडोना ही ठण्डे हो गए हैं।
सेहत मैराडोना का साथ ठीक नहीं दे रही। वजन बढ़ा चुके थे मेराडोना। अब जाकर दस पौण्ड कम किया है। पीठ का दर्द ऐसा कि बार बार इंजेक्शन लगवाने पड़ते है, दवाएं खानी पड़ती है। पिछली चोटों का दर्द अब तक गया नहीं है। कहा यह भी जाता है कि उन्होंने अपने प्रशिक्षण के मैच ठीक से खेले भी नहीं।
मेरीडोना को अल सेबेलिटो (छोटा प्याज) कहा जाता था, जब वे युवा थे। बहुत ही छोटी उम्र में उन्होंने पुâटबाल खेलना शुरूकर दिया था। उनके पिता गरीब थे, ब्यूनस आयर्स की एक झोपड़पट्टी में रहते थे। वहां मेराडोना सुबह से शाम तक पुâटबाल खेलते रहते थे। १६ साल के होते-सोते उन्होंने अर्जेण्टीना की जूनियर टीम में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया था। १७ साल के होने पर उन्हें हंगरी के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में खेलने का मौका मिला। लेकिन उसके अगले साल विश्व कप पुâटबाल में उन्हें मौका नहीं मिला। इस पर उन्होंने अर्जेण्टीना की टीम के मैनेजर से कुट्टी कर ली और महीनों बातचीच बंद कर दी। इन्हीं मैनेजर ने उन्हें इतना ऊंचा उठाया था। आगामी वर्ष 1979 में वल्र्ड यूथ चैम्पियनशिप के लिए अर्जेण्टीना का नैेतृत्व कर, उसे विजेता बनाने का श्रेय जब मेराडोना को मिला, तभी यह बातचीत फिर शुरू हो सकी।
1982 के बार्सेलोना में हुए विश्व कप में मेराोडना अपनी प्रतिभा का लाभ अर्जेण्टीना को नहीं दिलवा सके। वह दिलवा सके 1986 मेैं ही क्वार्टर फाइनल में इंगलैंड के खिलाफ एक गोल करते समय कथित रूप से उनका हाथ पुâटबाल को छू गया था, जिसे उन्होंने ‘खुदा का हाथ’ कहा था। यही ‘खुदा का हाथ’ इस बार रूस से गोल बचाते समय भी कथित रूप से हो गया था।
30 अक्टूबर 1960 को जन्मे मेराडोना पिछले विश्व कप में सबसे नाटे खिलाड़ी थे। इस बार उनसे भी नाटा एक खिलाड़ी है। अर्जेण्टीना ैें मेराडोना को राष्ट्रपति के बाद सबसे ज्यादा सम्माननीय माना जाता है। लेकिन वे कोई खास हैंडसम नहीं माने जाते। हाल ही में इटली के एक अखबार ने 18 से 30 के बीच की युवतियों की हैंडसम खिलाड़ी की पसंद पूछी तो मेराडोमा का नाम अंतिम था।
पुâटबाल से बेहिसाब दौलत कमानेवाले मेराोडना के पास आज सब कुछ है। अर्जेण्टीना और इटली में उनके मीलों में पैâले हुए मकान है। कारों के काफिले, निजी जेट विमान है। मेराडोना की दो बेटियां है, जिनके जन्म के काफी समय बाद उन्होंने ब्याह रचाया। मेराडोना की पत्नी उन्हें जीनियस कहती है और यह भी कहती है कि जीनियस तो सदा जीनियस ही रहता है।
-प्रकाश हिन्दुस्तानी