Bookmark and Share

BansiLal1अब बंसीलाल भले ही कहें कि राजीव गांधी गैर कांग्रेसी है, लोग यह बात तो नहीं ही भूल पाएंगे कि इन्हीं राजीव गांधी के छोटे भाई संजय गांधी की निजी सेवा में बंसीलाल ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। संजय गांधी का जनता कार बनाने का सपना साकार करने के लिए बंसीलाल ने कहां-कहां बुलडोजर नहीं चलवाए? बंसीलाल ने रक्षामंत्री पद तक का दुरुपयोग किया था। यह सच है कि बंसीलाल ने हरियाणा में कोई डिज्नैलैण्ड बनाने की योजना नहीं रखी थी, लेकिन मारुति कारखाना भी तो एक तरह का डिज्नेलैण्ड ही था, बंसीलाल का नहीं संजय गांधी का सही।

अजब है हरियाणा। वहां का हर विधायक संभावित मंत्री होता है, हर मंत्री संभावित मुख्यमंत्री और हर सांसद संभावित उपप्रधानमंत्री। अभी तो वहां विधानसभा चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है, पर अगर विधानसभा चुनाव हो गए तो अपने मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं बंसीलाल को भी होंगी। 

वैसे हरियाणा में मुख्यमंत्री पद से हटना और फिर मुख्यमंत्री बनना सामान्य बात है। ओमप्रकाश चौटाला की बात छोड़िए, वहां ऐसे कई नेता हैं, जिन्होंने एकाधिक बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। देवीलाल हैं, भजनलाल हैं, बंसीलाल हैं। अगर हरियाणा वालों को भजनलाल और बंसीलाल में से किसी एक को चुनना हो तो वे निश्चित ही बंसीलाल को चुनेंगे। भारतीय राजनीति में आया राम गया राम का मुहावरा बनाने वाले भजनलाल की तुलना में बंसीलाल साफगोई और सच्चे कांग्रेसी हैं। उन्हें तानाशाह कहे जाने की हद तक सख्त प्रशासक माना जाता है।

अब बंसीलाल भले ही कहें कि राजीव गांधी गैर कांग्रेसी हैं। लोग यह बात तो नहीं ही भूल पाएंगे कि इन्हीं राजीव गांधी के छोटे भाई संजय गांधी की निजी सेवा में बंसीलाल ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। संजय गांधी का जनता कार बनाने का सपना साकार करने के लिए बंसीलाल ने कहां-कहां बुलडोजर नहीं चलवाए? जगमोहन रेड्डी आयोग ने १९७८ में जो रिपोर्ट दी थी, उसके मुताबिक बंसीलाल ने रक्षामंत्री पद तक का दुरुपयोग किया था। हालांकि उन पर भ्रष्टाचार का आरोप गलत माना गया था। यह सच है कि बंसीलाल ने हरियाणा में कोई डिज्नैलैण्ड बनाने की योजना नहीं रखी थी, लेकिन मारुति कारखाना भी तो एक तरह का डिज्नेलैण्ड ही था। बंसीलाल का नहीं, संजय गांधी का सही। इमरजेंसी के बाद उन्हें संजय गांधी के प्रति वफादारी की कीमत भी चुकानी पड़ी थी, जब उन्हें हथकड़ियां डालकर जीप में घुमवाया गया था और इसी कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।

देवीलाल ने चुनाव जीतने के लिए किसानों के पांच-दस हजार के कर्ज माफ करवाए तो बंसीलाल ने इससे भी आगे बढ़कर १९८६ में लगान ही खत्म करा दी थी। किसानों के खेतों तक नहरें बनाने में सरकार ने जो खर्च किया था, वह किसानों से वसूला जाना था। बंसीलाल ने यह भी माफ करा दिया और इस तरह १ अरब १३ करोड़ रुपए का घाटा राज्य को कराया। १९८७ के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने चहेते उद्योगपति ओमप्रकाश जिन्दल को टिकट लगभग दिलवा ही दिया था, जिनकी कोई खास राजनैतिक समझ नहीं थी। भजनलाल ने वह टिकट कटवा दिया।

अब बंसीलाल कह रहे है कि उन्हें भजनलाल के इशारे पर कांग्रेस से निकाला गया। सच होगा यह! भजनलाल और बंसीलाल कब चाहते थे एक दूसरे को। बंसीलाल केवल ४१ साल की उम्र में ही १९६८ में हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए थे। सात साल तक वे लगातार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे, फिर वे केन्द्र में चले गए और इमरजेंसी की बदनामी के लिए काम करते रहे। बाद में जनता पार्टी और भजनलाल हरियाणा में छा गए थे। इंदिरा गांधी की प्रधानमंत्री पद पर वापसी हुई तब भजनलाल हरियाणा में जनता पार्टी के मुख्यमंत्री थे। बंसीलाल को तब लगा था कि हरियाणा विधानसभा भंग कराने का कोई बहाना इंदिरा गांधी जरूर ढूंढेंगी मगर भजनलाल तो पूरा का पूरा मंत्रिमंडल लेकर ही कांग्रेस में आ गए और मुख्यमंत्री भी बने रहे।

भजनलाल को हटाकर बंसीलाल को फिर १९८६ में मुख्यमंत्री बनाया गया। कारण बताया गया कि भजनलाल वेंकटरमैया आयोग के सामने हरियाणा के हितों की रक्षा ठीक से नहीं कर सके। राजीव-लोंगोवाल समझौते के बाद हरियाणावासी कांग्रेस से नाराज थे और तब बलि का बकरा बने भजनलाल।

१९८७ में जब चुनाव हुए तब भजनलाल के पूरे गुट ने कांग्रेस के लिए कोई खास काम नहीं किया। हवा देवीलाल की थी और उनका लोकदल (ब) जीता। भजनलाल यही चाहते थे कि क्योंकि अगर कांग्रेस जीतती तो बंसीलाल फिर मुख्यमंत्री बन जाते।

चुनाव में भ्रष्टाचार और गुण्डागर्दी के कई आरोप बंसीलाल पर लगे। तोशम सीट से बंसीलाल भी हार गए। उन्हें हराने वाला ३० साल का युवक धर्मवीर ओमप्रकाश चौटाला का चेला था। बंसीलाल की यह हार अजूबा थी, क्योंकि कुछ ही माह पूर्व उपचुनाव में यहां से बंसीलाल भारी वोटों से जीते थे।

बंसीलाल के निजी सचिव बहादुरसिंह और पुत्र सुरेन्द्रसिंह पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। बहादुरसिंह ने सिंचाई, लोक निर्माण और आबकारी विभाग में एक हजार ठेके ले रखे थे। उनका पुत्र भी कई धंधों में लगा था। चुनाव के काफी समय पहले हरियाणा में सूखा पड़ा था, पर तब किसानों को तकाबी नहीं बांटी गई। बांटी गई चुनाव के पहले। फिर भी कांग्रेस हार गई।

बंसीलाल वे राजीव के गुणगान नहीं करते। भजनलाल से तुलना कराना बंसीलाल अपना अपमान मानते हैं। २६ अगस्त १९२७ को जन्मे बंसीलाल पेशे से वकील रहे हैं। उनका हरियाणा का मुख्यमंत्री बनना वैसा ही अनपेक्षित था जैसा पुराने बम्बई राज्य में बाला साहब खेर का मुख्यमंत्री बनना।

-प्रकाश हिन्दुस्तानी (२४/०३/१९९१)

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com