पागलपंती फिल्म देखना वैसे ही है जैसे कि किसी बेवकूफी का ऐप डाउनलोड करना। मल्टी स्टारर पागलपंती के निर्देशक इसके पहले नो एंट्री, वेलकम, सिंग इज किंग, भूल भुलैइया, रेडी, मुबारका जैसी फिल्में बना चुके हैं, लेकिन पागलपंती में पागलपंती थोड़ी ज्यादा ही हो गई है। जॉन अब्राहम, अनिल कपूर, अरशद वारसी, पुल्कित सम्राट, सौरभ शुक्ला, कृति खरबंदा, उर्वशा रौतेला, इलियाना डिक्रूज जैसे अनेक कलाकारों के होते हुए भी फिल्म अतिरेक की शिकार हो गई है। ओवरएक्टिंग और हंसाने की जबरदस्ती कोशिश मजा किरकिरा कर देती है। इस फिल्म की कहानी और निर्देशन है अनीज बज्मी का। फिल्म में मुकेश तिवारी और डॉली बिंद्रा के भी छोटे-छोटे रोल है, लेकिन कोई भी फिल्म को बहुत प्रभावित नहीं कर पाया।
इस कॉमेडी फिल्म की कहानी जॉन अब्राहम नामक एक ऐसे दुर्भाग्यशाली युवक के साथ शुरू होती है, जिसे ज्योतिषी पनौती कहते हैं। वह जो काम करता है, वहीं उसे असफलता मिलती है। वह जहां जाता है, वहां दुर्भाग्य साथ-साथ चलता है। कहानी में नीरव मोदी की पैरोडी बनाते हुए नीरज मोदी का भी रोल है। यह नीरज मोदी असली नीरव मोदी जैसी शक्ल-सूरत का है और बैंक से 32 हजार करोड़ रुपये लेकर भाग चुका है। अंत तक आते-आते फिल्म में कॉमेडी के साथ-साथ देश प्रेम का घाल-मेल भी हो जाता है। इस कारण कहानी बोझिल होने लगती है। फिल्म में एक से बढ़कर एक नमूने पात्र है, जो मूर्खता की सीमा से आगे जाकर कार्य करते है।
सब कुछ दिखाने की कोशिश में फिल्म चू चू का मुरब्बा हो गई है। पूरी फिल्म की शूटिंग ब्रिटेन की सुंदर लोकेशन पर हुई है। एक्शन के सीन जबरदस्त है। एक के पीछे एक दौड़ती कारें और विस्फोटों में उड़ती हुई कारों में भी जबरदस्त है। कहानी में भूत प्रेत के किस्से और प्यार मोहब्बत भी ठूंसा गया है। अंत में अफ्रीकन शेरों को भी शूटिंग में शामिल कर लिया गया है। फिल्म में कॉमेडी के सीन अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला ने बहुत अच्छे से किए है। जॉन अब्राहम ने हाथ पैर ज्यादा चलाएं है। कॉमेडी फिल्म के लीड रोल में जॉन अब्राहम फीट नहीं बैठते। दर्शकों के एक वर्ग को यह फिल्म बेतूकी कॉमेडी जैसी लगती है। इस फिल्म में जॉन अब्राहिम का एक डायलॉग है कि जरूरी नहीं है कि हर बात का कोई मतलब हो। इस फिल्म का भी कोई मतलब नहीं है। कमजोर स्क्रिप्ट के कारण फिल्म दर्शकों को शायद ही पसंद आए।