फिल्म गुड न्यूज ऐसे वयस्कों के लिए है, जिन्होंने विकी डोनर और बधाई हो जैसी फिल्में पसंद की है। यह विकी डोनर से आगे की कहानी है, जिसमें कॉमेडी और इमोशन का कॉकटेल है। भारत में गुड न्यूज का अर्थ एक ही बात से लिया जाता है और वहीं इस कहानी के केन्द्र में है। कॉमेडी से शुरू हुई फिल्म धीरे-धीरे ऐसे गंभीर और भावनात्मक मोड पर पहुंच जाती है, जब दर्शक भावुक हो जाते है। आज से 20 साल पहले हिन्दी में इस तरह की फिल्मों की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
फिल्म के सभी कलाकार मेच्योर है और उन्होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। तैमूर अली खान की मां करीना कपूर ने एक गर्भवती महिला की भावनाएं बहुत कुशलता से व्यक्त की है और अक्षय कुमार ने पिता की जिम्मेदारी से भागने वाले व्यक्ति की भावनाओं को उभारा है। कॉमेडी के नाम पर कहीं-कहीं अति भी हो गई है, लेकिन दर्शक उन्हें झेल जाते है। दिलजीत डोसांझ ने अक्षय कुमार के सामने बराबरी से अभिनय किया है और कहीं भी कमजोर नहीं पड़े। अक्षय कुमार ने कुछ-कुछ आयुष्मान खुराना जैसा रोल निभाया है।
पूरी फिल्म कसी हुई है और दर्शकों को बोर नहीं होने देती। खाते-पीते घरों के लोगों की कहानी है यह, जहां पैसे की कोई कमी नहीं होती और माता-पिता बच्चों के लिए कुछ भी लुटाने के लिए तैयार रहते है। फिल्म के संवाद कई जगह इतने चुटिले है कि हंसते-हंसते पेट में बल पड़ जाते है। एक-दो जगह वे द्विअर्थीय भी है। एक ही जैसी स्थिति दो परिवारों के लिए कितनी अलग हो सकती है। इसका वर्णन भी इस फिल्म में दिलचस्प तरीके से किया गया है। फिल्म का विषय आईवीएफ तकनीक के जरिये मां बनने के मामले में स्पर्म एक्सचेंज होना है। इतना गंभीर विषय होते हुए भी फिल्म में भावनाओं को अच्छी तरह व्यक्त किया गया है, जहां कॉमेडी की जरुरत थी, वहां कॉमेडी का उपयोग हुआ है। फिल्म के गाने सीन को बदलने के लिए उपयोग में लाए गए है और वे औसत है।
दिलजीत दोसांझ की पत्नी के रूप में कियारा आडवाणी ने भावपूर्ण अभिनय किया हैं और आईवीएम डॉक्टर दंपत्ति के रूप में आदिल खान और टिस्का चोपड़ा ने दृश्यों को वास्तविक बनाने की कोशिश की है। फिल्म या तो हंसाती है या इमोशनल कर देती है, बोर नहीं करती। अगर आप परिपक्व दर्शक है, तो यह फिल्म पसंद आएगी।