कर्पूरी ठाकुर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से फिर हटा दिए गए हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। १९८२ में भी वे विधानसभा में विपक्ष के नेता थे और विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें उनके पद से हटा दिया था। तब वे उच्च न्यायालय में गए थे और इस पैâसले को चुनौती दी थी। उन्होंने उस पैâसले को अवैधानिक, दुर्भावनापूर्ण और राजनैतिक मकसद से किया गया काम बताया था।
सेम नुयोमा अब गोरों की मदद चाहते हैं, उनका कहना है कि हमें पिछली बातें भूल जानी चाहिए। उन्होंने दक्षिण अप्रâीका की श्वेत सरकार से भी रिश्ते बना लिए हैं।शेफीशुना सेम्युअल नुयोमा आजाद नामीबिया (दक्षिण पश्चिम अप्रâीका) के पहले राष्ट्रपति बने हैं। नुयोमा ही है, जिन्होंने नामीबिया की आजादी के लिए तीस साल से भी ज्यादा समय तक संघर्ष किया। यह खूनी संघर्ष और यातनापूर्ण था। कामरेड नुयोमा ने अंतत: विजयश्री पाई।
कांग्रेस छोड़कर जद में जाने वाले सुनील शास्त्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र और विश्वनाथ सिंह के ‘भाई’ समान है। वे लेखक, गायक और फिल्मी गीतकार भी है। उनके लिखे गीतों का रिकार्ड भी जारी हो चुका है।स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री ने भी कांग्रेस छोड़ दी। जनता दल में चले गए। कारण? वे कहते हैं कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। जब वे इलाहाबाद लोकसभा चुनाव क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ खड़े हुए थे, तब उन्हें यह बात शायद पता नहीं थी।
एक अरसा पहले मशहूर मलयालम लेखक टी. शिवशंकर पिल्लै से बंबई में रूबरू होने का मौका मिला था। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा आयोजित ‘सृजन पर्व’ में वे आये थे। पिल्लै साहब ने उसमें अपनी एक मशहूर कहानी का सारांश सुनाया था। ‘चेम्मीन’ यानी ‘झींगा मछली’ नाम था उस कहानी का। जलसे में कई नामी-गिरामी लेखक और भी थे। मगर पिल्लै साहब की कहानी ने श्रोताओं पर जरा ज्यादा प्रभाव छोड़ा था। अपने लेखन और व्यवहार में वे बहुत सीधे-सादे व्यक्ति हैं। लोग उन्हें लेखक मानते हैं पर वे अपने आपको किसान मानते हैं। भाषा के फालतू जंजाल में वे नहीं पड़ते।
सरकारें तीन तरह की होती है : (१) ईमानदार और योग्य (२) ईमानदार और अयोग्य (३) बेईमान लेकिन योग्य। जापान में नोबोरू ताकेशिता की सरकार तीसरे किस्म की थी। पाक-साफ दामन का कोई मंत्री उनके विभाग में नहीं बना। जापान में ३२ साल से सत्ता में बैठी लिबरल डेमोव्रेâटिक पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ जितना इस समय नीचे आया है, उतना दूसरे विश्वयुद्ध के बाद वहां की किसी भी सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ नहR गिरा था। ताकेशिता यों ही बूढ़े हैं। तोहमतों का दौर शुरू हुआ तो वे अपना आत्मविश्वास ही खो बैठे। वे पत्रकारों - टी.वी. वैâमरों के आगे कुछ भी कहने लगे। कभी-कभी तो उनकी आवाज एकदम नहीं निकलती।
विनी मंडेला का ब्याह १९५८ में हुआ था, मगर वे लगातार अकेली है। उनके पति १९६३ से जेल में है और दक्षिण अप्रâीका की गोरी हुवूâमत के खिलाफ जंग कर रहे हैं। उनकी शादी का केक आज भी बिना कटा घर पर एक बक्से में बंद पड़ा है।विनी भी अपने पति की तरह दक्षिण अप्रâीका की मुक्ति के लिए लगातार लड़ रही है।