संसदीय कार्य मंत्री हरकिशनलाल परमानंद भगत ने कांग्रेस सदस्यों को सचेकक जारी करके बड़ी गलती की है। वैसे तो उसके पहले भी वे कई-कई ऐसी गलतियां कर चुके हैं, जो अक्षम्य हैं। मगर इस बार मामला जरा जटिल है। करीब ३० साल पहले की बात है, जब श्री भगत ने अपने पिता के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर कोई गड़बड़ी करने की कोशिश की थी। हालांकि तब श्री भगत पार्टी के मामूली कार्यकर्ता थे, पर मामला तूल पकड़ चुका था और पं. नेहरू तक चला गया था। नेहरू जी ने तब उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया था और कहा था कि इस आदमी को फिर कभी भी कागं्रेस में मत घुसने देना।
दुनिया के एक और देश में भारतीय मूल का व्यक्ति राष्ट्रपति चुना गया है। वह देश है सूरीनाम और वहां के राष्ट्रपति चुने गए हैं-रामसेवक शंकर। हालांकि आबादी के मान से सूरीनाम कोई बहुत महत्वपूर्ण देश नहीं है, लेकिन इससे क्या फर्वâ पड़ता है। सूरीनाम की आबादी करीब पांच लाख है और दुनिया में उससे भी छोटे देश मौजूद हैं।
शिवचरण माथुर १०६२ दिन की जोड़तोड़ के बाद फिर से राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए। १३१९ दिन तक मुख्यमंत्री कहने के बाद २२ फरवरी १९८५ को जब उन्होंने इस्तीफा दिया था, तब वे यही सोच रहे होंगे कि उन्हें वापस मुख्यमंत्री बनना है। यह महज संयोग ही नहीं है कि फिर मुख्यमंत्री बने है।
गिरगिट के रंग का और हरिायणा के नेताओं की पार्टी का क्या भरासा? रोहतक के संसद सदस्य हरद्वारीलाल कांग्रेस का द्वार छोड़कर देवीलाल के साथ बहुगुणा गुट के लोकदल को द्वार पर आ गए हैं। उन्होंने लोकसभा से भी इस्तीफा दे दिया है। पहले ही हरियाणा में कांग्रेस का स्वास्थ्य कमजोर है। इस इस्तीपेâ से कांग्रेस के कष्ट बढ़ेगें। शायद हरद्वारीलाल को लगता है कि अगले चुनाव में देवीलाल मुख्यमंत्री बन जाएंगे और वे मंत्री।
भूतपूर्व सेक्स बम जयललिता भले ही एम.जी.आर. की फिल्मों की नायिका रही हों - जानकी रामचंद्रन के लिए तो वे खलनायिका ही है। तमिलनाडू की राजनीति में वे छत पर से वूâदी थीं-तब तक तो उनका नाम हिन्दी विरोधी विचारों और टेक्स की चोरी की खबरों के कारण ही अखबारों की सुर्खियों में आता था। यों दक्षिण की सारी राजनीति ही फिल्मी है और फिल्में राजनीतिक है।
रूसी खुर्शीद करंजिया भारत में भंडाफोड़ पत्रकारिता के जनक हैं। इस पेशे मे उन्हें पचास बरस हो गए। राष्ट्रपति ने परंपराओं को त्यागकर उनके सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। करंजि.ा अपने आप में एक संस्था हैं। वे सफल संपादक, उद्यमी, संगठक और जनसंपर्वâ अधिकारी है। वे भारत के दस बेहतरीन पौशाक पहननेवालों में है, नफासतपसंद, स्पष्टवक्ता और तहजीब वाले।