बंबई के पत्रकारों को इस बार अपेक्षाकृत ज्यादा दिन बाद नए मुख्यमंत्री से मिलने का सौभाग्य मिल रहा है। वैसे तो उनकी आदत है हर साल नए मुख्यमंत्री से मिलने की। इस बार उन्हें सौभाग्य मिला है मुख्यमंत्री शरद पंवार से। उनसे, जो लंबे समय तक इस अटकल का केन्द्र बने रहे थे कि वे कांग्रेस में आ रहे हैं या नहीं। उनका मुख्यमंत्री बनना उन लोगों के लिए प्रेरणादायी रहेगा जो अवसर की तलाश में कांग्रेस की ओर ताकते रहते हैं।
देवीलाल ने साबित कर दिया कि वे ही हरियाणा के असली लाल हैं। उनका कहना है कि चुनाव लड़ना और जीतना तो हमारा खानदानी धंधा है। उनके खानदान की तीन पीढ़ियों ने २७ चुनाव लड़े हैं, जबकि मोतीलाल नेहरू के खानदान ने सिर्पâ १८ चुनाव लड़े हैं। (मोतीलाल नेहरू के खानदान में उनके अलावा जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, विजयलक्ष्मी पंडित, संजय गांधी, मेनका गांधी और राजीव गांधी शामिल हैं।)
उत्तर प्रदेश में लोकदल भले ही परलोकदल बन जाए, उसके अगुवा चौधरी अजीतसिंह ही रहेंगे। इस पार्ची का नैतृत्व करने के तमाम गुण उनमें भरपूर हैं। वे पढ़े-लिखे आदमी हैं और गुडबाजी के साहे हुनर जानते हैं। मुलायमसिंह यादव की तरह अपराधियों से उनके रिश्ते नहीं है। ये जाट हैं और मुख्य बात यह है कि वे चौधरी चरणसिंह के बेटे हैं।
एक लंबे अंतराल के बाद सांसद कमलनाथ का नाम फिर से सुर्खियों में आया है। पहले वे संजय गांधी के दोस्त के रूप में जाने जाते थे। फिर वे मध्यप्रदेश में अर्जुसिंह के खास सिपहसालार समझे जाने लगे और मोतीलाल वोरा के खिलाफ हो रही गतिविधियों में उनका नाम आया। अब वे उन कारणों से चर्चा में है, जिन कारणों से बच्चन बंधु चर्चा में रहे थे।
जब पाकिस्तान से यह खबर आई कि बेनजीर मां बनने वाली है, तभी लगने लगा था कि जिया उल हक चुनाव कराएंगें। पर, इतनी जल्दी तिनी उथल-पुथल की आशा नहीं थी। यों तो वे पिछले दस साल ग्यारह महीनों से लगातार नाटकीय पैâसले करते रहे हैं। इस बार के चुनाव वास्तव में चुनाव होंगे। इसकी तो गारंटी केवल जिया ही दे सकते हैं।
सुनील दत्त की पदयात्रा एक अलग किस्म की पदयात्रा थी। उन्होंने बंबई से अमृतसर की २५०० किलोमीटर की ‘महाशांति यात्रा’ पूर्ण शांति के साथ पूरी कर ली। बीच-बीच में वे कार में बैठकर डाक-बंगलों में नहीं गए और न ही वे अपने साथ मालिश करने वालों, सेवकों और चमचों की फौज लेकर चले। लेकिन उनकी बेटी प्रिया दत्त उनके साथ थी। सुनील दत्त अभिनय से राजमीति के क्षेत्र में आए हैं। पर अगर कहा जाए कि वे अभिनय से सामाजिक क्षेत्र में आए हैं, तो ज्यादा ठीक रहेगा।