-कंगना रनौत इमरजेंसी फिल्म के बहाने अपनी वफ़ादारी साबित करने में लगी थीं, पर इसमें तो इंदिरा गांधी की तारीफें करनी पड़ी। दर्शकों को बताना पड़ा कि इंदिरा गांधी आयरन लेडी इसलिए कहलाई कि उन्होंने साहसिक फैसले लिये थे। बांग्लादेश की आज़ादी, पोखरण में शांतिपूर्ण परमाणु परिक्षण, विपक्षी नेता के रूप में गरीबों की हमदर्द बनकर हिंसा से जूझ रहे बेलछी में हाथी पर बैठकर जाना और अंतरात्मा की आवाज़ पर इमरजेंसी हटाने और चुनाव कराने की घोषणा और फिर सत्ता में आने की कहानी कंगना को दिखानी ही पड़ी। अगर यह फिल्म लोक सभा चुनाव के पहले लग जाती तो इससे कांग्रेस के वोट बढ़ जाते।
पुलिस की सेवा में रहे ज्यादातर अधिकारी सेवा से अलग होने पर या तो कवि कभी बन जाते हैं या गायक, लेकिन पीके नाम से चर्चित प्रवीण कक्कड़ ने भारतीय पुलिस की व्यवस्था को लेकर किताब लिखी है। वे जीवाजी विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट और राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ के ओएसडी रहे हैं। वे नेताओं और पुलिस की कारगुज़ारियों को बाखूबी जानते हैं। उन्होंने किताब लिखी - भारतीय पुलिस : कल, आज और कल - दण्ड से न्याय तक।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर
शिलान्यास किंग और लोकार्पण महारथी शिवराज सिंह
शिवराज सिंह ने छह ऑक्टोबर 2023 को एक ही दिन में 12000 से ज्यादा कार्यों का लोकार्पण और 2000 से ज्यादा निर्माण कार्यों का भूमिपूजन करके रिकॉर्ड बना लिया है। निश्चित ही यह आंकड़ा गिनीज़ बुक्स में दर्ज होना चाहिए। चुनाव की तारीखों का ऐलान होने का वक्त आ चूका है और कभी भी आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। एक साथ, एक ही दिन में इतने उद्घाटन और लोकार्पण प्रधानमंत्री ने भी नहीं किये हैं। एमपी में मामा हैं, तो यह मुमकिन है !
मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को सामने रखकर नहीं लड़ रही है, बल्कि नरेन्द्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर लड़ रही है। मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव बीजेपी के लिए कितने महत्वपूर्ण है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले 11 दिनों में तीन बार मध्य प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। छह महीने में वह मध्य प्रदेश की नौ यात्राएं कर चुके हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बारे में अमित शाह ने पिछले दिनों कहा था कि अगर मध्य प्रदेश का चुनाव हार गए तो केन्द्र में अगले 50 साल तक सरकार बनाना हमारे लिए मुश्किल होगा। अगर मध्य प्रदेश जीत गए तो हमारे लिए यह जीत दिल्ली की राह आसान करेगी।
मध्य प्रदेश में चुनाव जीतना बीजेपी के लिए इसलिए भी जरूरी है कि यहां लोकसभा की 29 सीट हैं, जिनमें से 28 बीजेपी के पास हैं। अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों में कमी होती है तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आम सभाओं में तवज्जो नहीं देते। प्रधानमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री को क्रेडिट देने में साधारण सौजन्य भी नहीं दिखाते, वह भी बीजेपी के मुख्यमंत्री को। प्रधानमंत्री ना तो शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते हैं और ना ही मध्य प्रदेश सरकार की योजनाओं की प्रशंसा में दो शब्द भी कहते हैं। क्या इसका कारण यह है कि नरेन्द्र मोदी 2012 से ही शिवराज सिंह चौहान में एक प्रतिस्पर्धी को देखते हैं?
''छोटी सी ये दुनिया, पहचाने रास्ते हैं''
फिल्मी गाने की एक लाइन में जीवन का दर्शन (24 ).
इस शुक्रवार एक और गाने की बात :
महान गीतकार शैलेन्द्र के जन्म की शताब्दी मनाई जा रही है। उन्होंने केवल 43 वर्ष का जीवन पाया और सैकड़ों अद्भुत गीत रचे। सभी एक से बढ़कर एक! हर मूड और हर मिजाज़ के गाने। 1962 में आई 'रंगोली' फिल्म का यह गाना कई कारणों से यादगार है। जिस मूड और सिचुएशन में उसका मुखड़ा तैयार हुआ, वह अलग ही दास्तान है। गाना कहता है कि छोटी से ये दुनिया है और इसमें बिछड़ने या जानबूझकर अलग हो जाने के बाद भी मेल मुलाकात अवश्यंभावी है।
छोटी सी ये दुनिया, पहचाने रास्ते हैं
तुम कहीं तो मिलोगे, कभी तो मिलोगे
तो पूछेंगे हाल...
''छोटी सी ये दुनिया, पहचाने रास्ते हैं''
फिल्मी गाने की एक लाइन में जीवन का दर्शन (24).
इस शुक्रवार एक और गाने की बात :
महान गीतकार शैलेन्द्र के जन्म की शताब्दी मनाई जा रही है। उन्होंने केवल 43 वर्ष का जीवन पाया और सैकड़ों अद्भुत गीत रचे। सभी एक से बढ़कर एक! हर मूड और हर मिजाज़ के गाने। 1962 में आई 'रंगोली' फिल्म का यह गाना कई कारणों से यादगार है। जिस मूड और सिचुएशन में उसका मुखड़ा तैयार हुआ, वह अलग ही दास्तान है। गाना कहता है कि छोटी से ये दुनिया है और इसमें बिछड़ने या जानबूझकर अलग हो जाने के बाद भी मेल मुलाकात अवश्यंभावी है।
छोटी सी ये दुनिया, पहचाने रास्ते हैं
तुम कहीं तो मिलोगे, कभी तो मिलोगे
तो पूछेंगे हाल...
वैसे हमारी दुनिया जो केवल पृथ्वी के इर्द गिर्द है, जो इस आकाशगंगा का उतना ही बड़ा हिस्सा है जितना कि सुई की नोक! हबल लॉ की मदद से प्रोफेसर गैरी ने आकाशगंगा की चमक और हमसे उसकी दूरी के बारे में पता लगाने की कोशिश की थी। ब्रह्मांड में 10 हज़ार करोड़ आकाशगंगाएं हैं और हर आकाशगंगा में करीब 20 हज़ार करोड़ तारे हैं। अब इन संख्याओं का गुणा करके ब्रह्मांड में तारों की संख्या का पता लगाया जा सकता है। अनुमान कहते हैं कि ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है. प्रकाश वर्ष वो पैमाना है जिससे हम लंबी दूरियां नापते हैं। (प्रकाश की रफ़्तार एक सेकेंड में क़रीब दो लाख किलोमीटर होती है) यानी मानव क्षमता से बहुत ही आगे !
जयंती रंगनाथन का नया उपन्यास 'मैमराज़ी' कई बातों से ख़ास है। यह सरल भाषा में है, दिलचस्प है, किस्सागो शैली में है और भिलाई जैसे शहर की 'सेलेब्रिटी टाइप' भाभियों और देवर की जिंदगी के बारे में व्यंग्यात्मक लहजे में है। कभी लगता है कि वापस छोटे शहर की जिंदगी में लौट आये हैं, कभी लगता है कि कोई सीरियल डीडी पर देख रहे हैं!
'मैमराज़ी' की जान उसके कैरेक्टर हैं। सभी उपन्यासों के होते हैं, लेकिन इसमें वे जीवंत लगते हैं। व्हाट्सप्प पर घूमते किस्से हैं। यहाँ गर्लफ्रेंड का मारा बेचारा है, जिसे गे समझ लिया गया है। भिलाई का लोकल रणवीर सिंह हैं, भाभी या कहें कि भाभियाँ हैं, देवर है, गर्लफ्रेंड के मामले में तंगहाल लड़के हैं, भाभी के स्कर्ट और उससे जुड़े गॉसिप हैं. और भी किस्से हैं। उपन्यास नहीं, दिलचस्प किस्सों का गुलदस्ता या कहें चटखारे हैं। उस शहर के चटखारे, जहाँ की लेडीज़ लोगों का फेवरेट टाइमपास है - दूसरों की हेल्प करना, दूसरों का लाइफ कंट्रोल करना ... पर ये नहीं करेगा तो फिर वह लोग क्या करेगा ! अगर आप इस किताब का बीच में भी कोई भी पन्ना खोल लें तो भी आपको उसकी रोचकता वैसी ही लगेगी।