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इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनता है और डॉक्टर का बेटा डॉक्टर। ऐसे में काम वाली बाई की बेटी क्या बन सकती है? बनेगी तो वह भी काम वाली बाई ही। यह विचार था काम वाली बाई की बेटी का, लेकिन काम वाली बाई है, जो इसे मानने से इनकार करती है। वह चाहती है कि उसकी बेटी भी पढ़ लिख कर अच्छी जिंदगी जिए। अपनी बेटी की पढ़ाई में वह कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती, लेकिन बेटी है जो पढ़ाई से ज्यादा टीवी देखने में ध्यान देती है। पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता और गणित में तो निल बटा सन्नाटा। मां को इसकी चिंता होती है, तो वह मोहल्ले की डॉक्टरनी से बात करती है, जिसके यहां वह साफ-सफाई करने जाया करती है। डॉक्टरनी कहती है कि तुम पढ़ा दो उसे। काम वाली कहती है कि मैं कहां गणित जानती हूं। डॉक्टरनी का जवाब होता है कि तुम भी सीख लो और वह उसे स्कूल में भर्ती करने के लिए प्रेरित करती है। अब मां-बेटी दोनों एक ही कक्षा में पढ़ती हैं। शर्म के मारे बेटी अपनी सहपाठियों से यह बात छुपाती है कि उसकी मां भी उसी क्लास में है।
शाहरुख खान को ‘बॉलीवुड का बादशाह’, ‘किंग खान’, ‘रोमांस किंग’ और ‘किंग ऑफ बॉलीवुड’ के नामों से पुकारा जाता है। फैन के बाद उन्हें ‘किंग ऑफ पकाऊराम’ के नाम से भी जाना जा सकता है। फैन उनकी पिछली फिल्म दिलवाले से भी ज्यादा पकाऊ है। फैन जैसी स्टुपिड फिल्म बनाने के बाद ऐसा लगता है कि शाहरुख खान को अपने अलावा और कुछ नजर नहीं आता। इस फिल्म में तो शाहरुख खान का डबल रोल है, इसलिए पर्दे पर केवल शाहरुख खान ही नजर आता है। अब इस बुढ़ऊ हीरो को ढाई घंटे कैसे झेले? उन्हें वो ही झेल सकता है, जो उनका अंधभक्त हो।
बच्चों के साथ देखने लायक है जंगल बुक। थ्री डी और अपनी मातृभाषा में इसे देखने का मज़ा ही ख़ास है। (भारत में यह फिल्म अंग्रेजी के अलावा हिन्दी, तमिल और तेलुगू में लगी है). रुडयार्ड किपलिंग की कहानी के अनुसार इस फिल्म का हीरो बालक मोगली मध्यप्रदेश के बालाघाट-सिवनी जिले के पेंच जंगल का रहनेवाला था। इसलिए इस फिल्म का मुख्य कलाकार भारतीय मूल का ( न्यू यॉर्क निवासी) बालक नील सेठी है. 2000 बच्चों में से नील को इस रोल के लिए चुना गया था।
फिल्म का नाम 'रॉकी हैंडसम' नहीं, 'रॉकी ढिशुम ढिशुम' होना चाहिए था. इस फिल्म में जॉन अब्राहम ने एक्टिंग नहीं, मॉडलिंग की है. बचे वक़्त वे मारधाड़ में बिजी हो जाते है. हिंसा, हिंसा और हिंसा का वीभत्स रूप! बीच-बीच में सात बेसुरे गाने और वे भी वीभत्स! पूरे 126 मिनट 10 सेकंड्स का टॉर्चर ! भिया जॉन, आप कोई (बजरंगी) भाईजान थोड़े ही हो, कि दर्शक तालियां बजाएगा; वह तो तुम्हारी 'एक्टिंग' देखकर माथा पीटता है माथा ! रहम करो बाबा ! जॉन और डायरेक्टर निशिकांत कामत दोनों एक्टिंग करने आये हैं, इसमें। फिल्म बनाने में रुपये लगाए हैं तो क्या एक्टिंग भी झिलवाओगे? जॉन के चेहरे पर भावभंगिमा होती नहीं और निशिकांत कामत (केविन परेरा) ओवर एक्टिंग करते हैं. छह साल पहले आई कोरिया की फ़िल्म The Man from Nowhere हिन्दी में बनाई गई है.
‘की एंड का’ मनोरंजक फिल्म है। शहरी मध्यवर्ग को यह फिल्म खास पसंद आएगी। मल्टीप्लेक्स और गोल्ड क्लास वालों के लिए आर. बाल्की की यह पेशकश दिलचस्प है, लेकिन विचार के स्तर पर अंत तक जाते-जाते फिल्म फुस्स हो जाती है। शुरू में जो भ्रम होता है कि यह कोई क्रांतिकारी कहानी पर बनी फिल्म है, वह टूटने लगता है। कहानी के अनुसार लगता है कि औरतें कितनी भी पढ़-लिख जाएं, कितनी भी बड़ी हैसियत पा लें, लेकिन उनके भीतर पुरुषों के प्रति ईष्र्या बनी ही रहती है। ‘की’ की ही रहती है, ‘का’ बनने की कोशिश भी करें, तब भी की ही रहती हैं।
हिमेश रेशमिया ने सिक्स पैक्स बना लिए हैं। हिमेश रेशमिया ने डोले-शोले भी बना लिए हैं। हिमेश रेशमिया ने हेयर विविंग भी करा ली हैं। हिमेश रेशमिया ठंड प्रूफ भी हो गए हैं, जो आयरलैंड की भीषण सर्दी में भी बनियान और जैकेट में रह सकते हैं, लेकिन हिमेश रेशमिया अभी तक एक्टिंग नहीं सीख पाए हैं। न ही हिमेश रेशमिया नाक के बजाय गले से गाना सीख पाये हैं।