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सम्राट पृथ्वीराज में अक्षय कुमार सम्राट पृथ्वीराज के अलावा सबकुछ लगते हैं। राजेश खन्ना के दामाद, टि्वंकल खन्ना के पति, खिलाड़ी, छिछौरे हीरो की तरह। फिल्म में अक्षय कुमार से ज्यादा निर्देशक चन्द्रप्रकाश द्विवेदी की झलक मिलती हैं। संजय दत्त इस फिल्म में पृथ्वीराज के काका के बजाय मुन्ना भाई ही लगे। 2017 की मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर ने फिल्म में अपनी छाप छोड़ी हैं। अक्षय कुमार अपनी बार-बार खिलाड़ी की छवि लेकर ही आते हैं। आमिर खान जैसा धीरज उनमें नहीं हैं।
रनवे 34 भारत की पहली एविएशन फिल्म कही जा सकती है। दोहा से कोच्ची आने वाली जेट एयरवेज की एक फ्लाइट की कहानी को बदलकर दुबई से कोच्ची जाने वाली कहानी बना दिया गया है। इसके पहले 2009 में अमेरिका में हडसन नदी में उतारे गए एक विमान पर अंग्रेजी में सली नामक फिल्म बन चुकी हैं। सली वैश्विक घटना की अमेरिकन फिल्म थीं और यह भारतीय विमान को लेकर भारतीय फिल्म हैं। हालांकि इस फिल्म को देखते हुए लगता हैं कि यह कोई अंग्रेजी फिल्म की नकल हैं। दक्षिण भारत में स्थानीय कहानी पर तमिल या तेलुगु में वैश्विक फिल्म बनती हैं और हिन्दी में इसका उल्टा होता हैं।
आर आर आर (हिन्दी नाम राइज़ रौर रिवोल्ट, मूल तेलुगु नाम रौद्रम रानम रुधिरम ) देखनीय है फिल्म है। फिल्म की पृष्ठभूमि स्वतंत्रता संग्राम बनाई गई है हालांकि यह फिल्म वास्तविकता के धरातल से दूर है तार्किक दृष्टि से भी फिल्म खरी नहीं उतरती , लेकिन फिल्म की नयनाभिराम प्रस्तुति, शानदार नृत्य-संयोजन, जबरदस्त एक्टिंग और डायरेक्शन इस फिल्म को देखनीय बना देते हैं। अगर आप इस फिल्म को थ्री डी में फिल्म देखें तो आपका अनुभव और भी जबरदस्त हो सकता है. कुल मिलाकर तीन घंटे की शानदार फिल्म है। मनोरंजन से भरपूर! पैसा वसूल !
द कश्मीर फाइल्स फिल्म कश्मीर के पुराने जख्मों पर बंधी पट्टी हटाने जैसा है। 1990 के दशक में कश्मीर में पाक समर्थक आतंकियों द्वारा कश्मीरी पंडितों पर किए गए जुल्मों की दिल दहला देने वाली तस्वीर। राधेश्याम देशभर में 18000 से ज्यादा स्क्रीन्स पर प्रदर्शित हैं और द कश्मीर फाइन्स करीब 500 स्क्रीन्स पर, लेकिन फिर भी पहले दिन जिस तरह द कश्मीर फाइन्स का स्वागत किया गया, वह उल्लेखनीय हैं। फिल्म के दौरान कई बार दर्शक आंसू पोंछते नजर आए और कई बार भारत माता की जय के नारे भी सुनने को मिले। पहले दिन दर्शकों का जबरदस्त रिस्पांस इस फिल्म को मिला।
भिया, अक्षय कुमार की बच्चन पांडे को झेलना आसान बात नहीं है। अगर कोई आपको फिल्म का टिकट फ्री में दें तो भी यह फिल्म देखने मत जाइए और अगर कोई पॉपकॉर्न का कूपन भी साथ दे तो भी फिल्म देखने जाने का कष्ट ना करें। इस फिल्म को देखने से तो अच्छा है कि सोनी पर ठाकुर साहब वाली फिल्म सूर्यवंशम 1084 बार देख लो। यह अक्षय कुमार की गोविंदा छाप फ़िल्म है। बेसिर पैर कहानी और हिंसा का अतिरेक।
अगर आपने राधेश्याम फिल्म का ट्रेलर देखा हो, तो उसे ही 25-30 बार देख लीजिए, इंटरवल तक फिल्म वैसी ही है। उसके बाद एक मिक्सी में थोड़ी टाइटेनिक, थोड़ी बाहुबली और थोड़ी सी साहो मिलाकर घोंट लीजिए, हो गई राधेश्याम तैयार। फिल्म में वीएफएक्स का बेहतरीन उपयोग किया गया है और लोकेशन्स काफी सुंदर है। जिंदगी में पहली फिल्म देखी, जिसमें हीरो कोई हस्तरेखाविद की भूमिका में है और हस्तरेखाविद भी ऐसा कि जो भूत, भविष्य, वर्तमान सभी पढ़ लेता हैं। उसकी कोई भविष्यवाणी गलत साबित नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री इमरजेंसी लगाएगी यह घोषणा भी हस्तरेखाविद प्रधानमंत्री की हथेली देखकर कर देता है। अब फिल्म देखने के बाद यह बात कही जा सकती है कि अगर आपके भाग्य में राधेश्याम देखना होगा, तो वह आप देखेंगे ही। चाहे फिल्म कितनी भी झेलनीय क्यों न लगे।