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दिलों की बात करता है जमाना, लेकिन मोहब्बत अब भी चेहरे से ही शुरू होती है। चेहरे और शरीर की बनावट को लेकर बनी उजड़ा चमन फिल्म में सब कुछ साधारण है। अभिनय, निर्देशन, गीत-संगीत, छायांकन, सभी कुछ औसत दर्जे का। इस कारण फिल्म दर्शकों को बांधे रखने में सफल नहीं हो पाई। दो घंटे की फिल्म भी लंबी लगने लगती है। कहां लिखा है कि गोरा होना अच्छा है और सांवला होना अच्छा नहीं। यह भी कहां लिखा है कि बाल वाले ज्यादा हैंडसम लगते है और गंजे हैंडसम नहीं लगते। यह भी कहीं नहीं लिखा कि अच्छा डीलडौल होना कोई बड़ी अयोग्यता है, लेकिन फिर भी समाज में ये सब चलता रहता है।
ताजमहल बहुत सुंदर है, हमने सुना है, उसे देखा नहीं। हवाई जहाज में बैठने में बहुत मजा आता है, हमने सुना है पर हम कभी हवाई जहाज में नहीं बैठे। समंदर में बहुत ज्यादा पानी होता है, हमने सुना है पर हमने उसे देखा नहीं, लेकिन हमारे बच्चे यह सब देखेंगे। हमारी बेटियों के नाखूनों पर गोबर लगा है, लेकिन वहां भी कभी नेल पॉलिश लगेगी। यही मूल स्वर है सांड की आंख फिल्म का। जेंडर इक्वेलिटी पर बनी यह फिल्म अतिनाटकीय है। फिल्म मन को छूं जाती है और छोटी-मोटी कमियों को भुला दें, तो यह एक शानदार फिल्म है।
जिंदगी में खुशियां ही सबकुछ नहीं होती। कभी पैसे खर्च करके भी रोने का मन करें, तो प्रियंका चोपड़ा की नई फिल्म हाजिर है। फिल्म देखकर लगा कि जायरा वसीम ने हिन्दी फिल्म दर्शकों पर बड़ा उपकार किया कि अभिनय की दुनिया त्याग दी। अगर आपके पास दिल्ली के पास छतरपुर में स्वीमिंग पुल वाला शानदार फॉर्म हाउस है, पैसे की कोई कमी नहीं है, घर नौकर-चाकरों से भरा पड़ा है, तनख्वाह पाने के लिए बॉस से डांट नहीं खानी पड़ती या कारोबार में कोई झिकझिक नहीं करनी पड़ती, भूतपूर्व मिस वर्ल्ड जैसी बीवी, दो बच्चे और एक कुत्ता आप अफोर्ड कर सकते है, तो आपको पूरा हक है कि इमोशनल हुआ जाए। अगर आपके पास यह सब नही और जबरन इमोशनल होना ही हो, टसुएं बहाने का मूड हो, तब प्रियंका चोपड़ा के नाम पर 200-500 रुपये स्वाहा किए जा सकते हैं।
सनी देओल ने एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जो फिल्म बनाई है उसमें अपने बेटे को हीरो बनाया है। आधी फिल्म एडवेंचर टूरिज्म को समर्पित है और बाकी आधी फिल्मी फॉर्मूले को। जिस तरह कहानी का ताना-बाना बुना गया है, वह दिलचस्प है। सोलो ट्रेवलिंग करने वाली वीडियो ब्लॉगर मनाली के पास एक ऐसे कैम्प में जाती है, जहां 5 दिन का खर्च 5 लाख रुपये है। इस फाइव स्टार कैम्प में ट्रेकिंग के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। हीरोइन यहां अपने ब्लॉग के लिए नकारात्मक विचार लेकर आती है, लेकिन जब वह कैम्प में अद्भूत जीवन का अनुभव करती है, तब उसका वीडियो ब्लॉग नेगेटिव से पॉजिटिव हो जाता है। देश के लिए सनी देओल का यह योगदान है कि उन्होंने इस फिल्म में पीर पांजल पर्वत समूह की स्पिति वैली, चंद्रा ताल, कजा, लाहौल वैली और देवभूमि हिमाचल प्रदेश के मनाली क्षेत्र की अनेक सुरम्य वादियों की सैर करा दी। पर्यटन विभाग को चाहिए कि वह इस फिल्म के फुटेज को जी भरकर प्रचारित करें। इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों को एडवेंचर टूरिज्म का मजा तो आ ही जाता है।
ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ की मुख्य भूमिका वाली वॉर पैसा वसूल फिल्म है। एक्शन, सस्पेंस और थ्रिल के शौकीन दर्शकों को यह फिल्म निश्चित ही पसंद आएगी। फिल्म की कमजोर कड़ी है, तो इसके गाने। फिल्म की कहानी में जबरदस्त टि्वस्ट है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखते है। फिल्म देखते हुए कभी बोरियत नहीं होती। फिल्म रिलीज होने के पहले ही 30 करोड़ के अधिक के टिकटों की बुकिंग हो चुकी थी। हॉलीवुड की फिल्मों जैसी इस फिल्म में एक्शन के अलावा गाने और इमोशनल दृश्य भी हॉलीवुड की फिल्म की तरह है, जो पचते नहीं।
ड्रीम गर्ल कहते ही हेमा मालिनी की छवि सामने आती है, लेकिन एकता कपूर की इस ड्रीम गर्ल को देखने के बाद शायद आयुष्मान खुराना का चेहरा सामने आने लगे। फिल्म का एक डायलॉग है कि जब सही गलत हो, तब सही वो होता है, जो सबसे कम गलत हो। एकता कपूर की लगभग सभी फिल्में फूहड़ हैं, ऐसे में ड्रीम गर्ल सबसे कम फूहड़ फिल्म कही जा सकती है। यह पैसा वसूल कॉमेडी फिल्म है, जिसमें झूठ की पराकाष्ठा से उपजा हास्य छाया रहता है। बीच-बीच में कुछ घटिया लतीफे भी है और दो अर्थों वाले संवाद भी। आज के डिजिटल दौर में यह फिल्म बताती है कि सोशल मीडिया के जरिये कनेक्ट से बेहतर है अपने दोस्तों से जीवंत संपर्क रखना।