करीब 300 करोड़ के खर्च से बनी सम्राट पृथ्वीराज रिलीज़ हो गई है। अक्षय कुमार कितना न्याय कर पाए हैं सम्राट की भूमिका में?

केन्द्रीय गृह मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा कर चुके हैं इसका फिल्म के धंधे पर क्या असर पड़ सकता है? दर्शक क्या कह रहे हैं इस फिल्म पर?

प्रसिद्ध फिल्म लेखक-समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज और प्रकाश हिंदुस्तानी की चर्चा

 अशोक ओझा 3 दशकों से अमेरिका में हिन्दी शिक्षण को बढ़ावा देने में जुटे हैं। इन दिनों वे फुलब्राइट हेस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं और उसी संदर्भ में भारत भ्रमण पर हैं। हिन्दी युवा संस्थान के संस्थापक के रूप में उन्होंने अमेरिका में हजारों अमेरिकी और एनआरआई युवाओं को हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित किया हैं। वे अमेरिका में हिन्दी के राजदूत कहे जा सकते हैं। वे और उनका संगठन अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भी करता हैं और आगामी अक्टूबर में ऐसा पांचवां सम्मेलन न्यूयॉर्क में करने जा रहे हैं।

अशोक ओझा न्यू जर्सी के पत्रकार और शिक्षक हैं, जहां वे दो NGO संचालित करते हैं - युवा हिन्दी संस्थान और वैश्विक स्तर पर हिन्दी संगम फाउंडेशन। दोनों ही संस्थाएं हिन्दी के प्रचार के लिए समर्पित हैं.

 

संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के अंतिम परिणाम आते ही यह बात फिर चर्चा में आ गई है कि किस तरह भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में बदलाव हो रहा हैं। ये आरोप फिर से लगने लगे हैं कि वर्ग विशेष के लोगों को प्राथमिकता मिली हैं। पिछले दरवाजे से प्रशासकीय सेवाओं में भर्ती का मुद्दा भी फिर चर्चा में हैं। भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में प्रशासकीय सेवाओं का महत्व किसी से छुपा नहीं हैं। क्या यह उपलब्धि चयनित युवाओं की व्यक्तिगत होती हैं या इसके पीछे कोई और बड़ी ताकत या शक्ति होती हैं।

गिरीश मालवीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ, लेखक और पत्रकार हैं। अर्थव्यवस्था को लेकर वे लगातार लिखते रहे हैं। उनकी कई संभावनाएं सच में बदली है और कई आशंकाएं विकराल रूप में सामने आई हैं।

पिछले 8 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था कहां पहुंच चुकी है! इस चर्चा में अर्थव्यवस्था से जुड़े सवालों को जानने और उसके परिणामों को समझने की कोशिश होगी।

आप भी अपनी जिज्ञासा और टिप्पणी कमेंट बॉक्स में करके चर्चा में शामिल हो सकते हैं।

कोई भी राजनीतिक पार्टी परिवारवाद से अछूती नहीं हैं। राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा होते ही यह तथ्य फिर जगजाहिर हो गया। परिवारवाद के खिलाफ बयान देने में तो कोई भी पार्टी पीछे नहीं हैं। आखिर दूसरी प्रतिभाओं को मौका क्यों नहीं मिलता?

प्रसिद्ध वक्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता मृणाल पंत और प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत

2014 से अब तक भारत की अर्थव्यवस्था कहां पहुंची। जीडीपी, रोजगार, महंगाई, मुद्रा स्फीती, प्रतिव्यक्ति आय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के क्षेत्र में हम कहां पहुंचे? एफडीआई के भरोसे शेयर बाजार का क्या हाल है और डॉलर कितना ऊंचा हो गया है? 8 साल पहले जिन वादों के साथ सरकार आई थीं, वे वादे अब कहां है?

आर्थिक क्षेत्र में लगातार लिखने वाले और अर्थव्यवस्था को भीतर तक समझने वाले पत्रकार आलोक ठक्कर से बातचीत।

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