अरबों लोगों का बोझ ढोने वाली पृथ्वी अनेक पर्यावरण चुनौतियों से जूझ रही है। 1970 से मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस एक औपचारिकता बनता जा रहा है। पूरी दुनिया आपसी युद्ध, आर्थिक प्रतिबंध, हथियारों की होड़ और पर्यावरण की बेफिक्री में जुटी हैं। अरबों लोगों के जीवन का आधार पृथ्वी की उपेक्षा हो रही हैं। यह उपेक्षा हमें कहा तक ले जाएगी, इसी पर चर्चा।
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय विश्नोई (BJP MLA Ajay Vishnoi) ने बेबाकी से शिवराज सिंह चौहान की सरकार को सलाह दी है कि उत्तरप्रदेश के योगी आदित्यनाथ की शराब नीति को फॉलो करें, तो बीजेपी को ज्यादा वोट मिलेंगे। अजय विश्नोई की शराब बंदी, मध्यप्रदेश के भाजपा सरकार और बुलडोजर मामा के बारे में राय।
क्या खरगोन में रामनवमी को हुई हिंसा साजिश थी? एक ही पैटर्न पर सांप्रदायिक दंगे की आग क्यों धधकती है? दंगे में ना सिर्फ पथराव बल्कि लाठी-डंडे, पेट्रोल बम और छर्रे वाली देसी पिस्तौले भी इस्तेमाल की गई। रामनवमी की शोभायात्रा पर चौतरफा पत्थरों की बरसात, लाठी-डंडों-तलवारों से लैस अचानक घरों से निकले लोग, आगजनी की वारदातें क्या इशारा है? 22 अक्टूबर 2015 को रावण दहन कर लौट रहे लोगों पर इसी तरह पत्थर बरसाए गए थे।
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र वैद्य बताएँगे कि इन दंगों का पॉलिटिकल कनेक्शन क्या है? सख़्ती और बुलडोज़र एक्शन का क्या रिएक्शन हो सकता है?
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आगामी चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए प्रशांत किशोर यानी पीके की सेवाएं ले रही है। प्रशांत किशोर कांग्रेस नेताओं के सामने चुनाव लड़ने का खाका पेश कर चुके हैं। अभी पीके ने कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है, लेकिन चर्चा है कि वे जल्द ही कांग्रेस में किसी पद पर विराजित होंगे। क्या कहते हैं इस बारे में एआईसीसी के पूर्व सचिव पंकज शर्मा।
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्र में मंत्री रहीं उमा भारती अपनी ही सरकार के लिए आए दिन चुनौतियां खड़ी करती रहती हैं। वे शिवराज सिंह को अपना भाई कहती हैं, लेकिन भाई ही अपनी बहन की गतिविधियों के सामने असहाय नजर आता हैं।
कभी वे शराबबंदी की घोषणा करती हैं और शराब की दुकान में पत्थर फेंकती हैं, तो कभी रायसेन के सदियों पुराने शिव मंदिर में जलाभिषेक की घोषणा करके सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर देती हैं। उनकी यह फितरत सत्ता के लिए बेचैनी हैं या अपनी अहमियत दिखाने की कोशिश? इसी पर चर्चा करेंगे वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित से।