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प्रख्यात गांधीवादी नेता मोरारजी देसाई मानते हैं कि ‘आर्थिक सत्ता आज भी गांवों के पास ही है’, और गांधीवाद पर उतना ही अमल हो सकता है ‘जितना आप चाहेंगे’। प्रस्तुत है मोरारजी भाई से प्रकाश हिन्दुस्तानी की भेंटवार्ता।

मोरारजी देसाई से मिलना-जितना कठिन नहीं है, उससे कठिन है उनसे बातचीत करना। अखबारनवीसों के लिए तो यह और ज्यादा मुश्किल है। प्राय: वे उनसे मिलने को राजी ही नहीं होते, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि सारी बातचीत गांधीजी और गांधीवाद पर होगी, तब वे तत्काल तैयार हो गए। समय तय हुआ दोपहर एक बजकर पंद्रह मिनट, तारीख २४ सितंबर। मुलाकात के वक्त वे एकदम ताजातरीन और खुशमिजाज थे और पोस्टकार्ड लिख रहे थे। बिना औपचारिकता के बातचीत शुरू हुई।

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डॉ. दत्ता सामंत से प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत

हड़ताल के बारे में आपकी ताजा रणनीति क्या है?

पिछले तो हफ्ते से जेल भरो आंदोलन चालू है। १२ हजार टेक्सटाइल वर्वâर्स महाराष्ट्र की सब जेलों में चला गया है। ठाणे, भांडुप चेंबूर सब जगह गिरफ्तारी दियेला है। कल दादर में बहुत बड़ा मीटिंग हुआ था। आपको भी आने का था उधर। अब आगे हमारा योजना महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग के और केमिकल के सारे कारखानों में इनडेफिनेट (अनिश्चितकालीन) बंद करने का।

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(तीन दिसंबर 2014 को लंबी बीमारी के बाद श्री ए.आर. अंतुले का निधन हो गया है। श्री अंतुले का यह इंटरव्यू साप्ताहिक दिनमान में प्रकाशित हो चुका है)

सवाल प्रकाश हिन्दुस्तानी के जवाब अब्दुल रहमान अंतुले के   

महाराष्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले न्यासों के गठन के चक्रव्यूह में इस तरह धंसे कि आज वह अपने को अपनों में भी अजनबी पा रहे हैं। उनके विरुद्ध लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री लेंटिन ने सही करार दे उनके भाग्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। अपने पद से त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने न्यास से संबंध नहीं तोड़ा।

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गुलशन नंदा से प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत

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कुछ दिनों पहले एक बयान में आपने दावा किया था कि आप प्रेमचंद से ज्यादा लोकप्रिय हैं। ऐसे दावे का आधार क्या है?

मैंने कभी कोई ऐसा दावा नहीं किया। ज्यादातर अखबार वाले मेरे बारे में पूर्वाग्रह रखते हैं। खासकर आप लोग। आप लोगों ने मेरे बयान को कुछ उलट-पुलट कर छाप दिया था। मेरे ख्याल से आजकल पत्रकारों का काम केवल निंदा करना ही रह गया है। यह अच्छी बात नहीं है।

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वे फिल्म दर्शक, जिन्हें हिन्दी फिल्मों के स्तर से शिकायतें हैं, इस बात से और भी निराश होंगे कि मराठी फिल्मों के सुपर स्टार दादा कोंडके अब हिन्दी फिल्मों में आ रहे हैं। दादा कोंडके मराठी फिल्मों के सुप स्टार भले ही हों, मराठी दर्शकों का कहना है कि दादा कोंडके की फिल्मों पूâहड़न, द्विअर्थी संवाद और घटिया हास्य के सिवाय कुछ नहीं होता।

दादा कोंडके हास्य कलाकार हैं और दर्शकों को उनका काम इतना अच्छा लगता है कि दादा कोंडके के नाम से वे फिल्में देखने जाते हैं। अब तक उन्होंने कुल ९ फिल्मों में काम किया है और ये सभी नौ फिल्में सुपर हिट रही हैं। हर फिल्म ने गोल्डन जुबली मनाई है। जब दादा कोंडके की सात मराठी फिल्मों ने गोल्डन जुबली मनाई, तभी उनका नाम ‘गिनीज बुक्स ऑफ वल्र्ड रेकाड्र्स’ में दर्ज हो गया। उसके बाद उनकी दो और मराठी फिल्मों ने गोल्डन जुबली मनाई है।

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