जयंती रंगनाथन कहानीकार और उपन्यासकार हैं और वे हर विधा में प्रयोग करती रहती हैं। उनका नया उपन्यास ‘शैडो’ एक अलग तरह का उपन्यास हैं, जिसमें मुख्य पात्र के साथ बहुत सारे पात्र हैं। कहानी में कहानियां और उन कहानियों में भी कहानियां। कुल मिलाकर यह एक सस्पेंस थ्रीलर का काम करता हैं।
कई बार हमारे साथ ऐसा होता हैं कि हम जिसकी कल्पना करते हैं, वह व्यक्ति हमारे सामने प्रकट हो जाता हैं या उसका फोन आ जाता हैं। इसे संयोग ही कहा जाता हैं, लेकिन कई लोग मानते हैं कि यह केवल संयोग नहीं है, बल्कि आत्मा-परमात्मा का मामला हैं। कई लोग भूत-प्रेत और आत्मा-दुरात्मा को भी मानते हैं। लोग तो यह भी दावा करते हैं कि हमने उनसे साक्षात्कार किया हैं।
शैडो की कहानी का हीरो एक लेखक हैं और मजेदार बात यह है कि जब वह लेखक किसी पात्र के बारे में लिखता हैं, तब अचानक वह पात्र खुद उसके सामने आ खड़ा होता हैं। उसके साथ नए-नए रहस्य जुड़ते जाते हैं। जन्म और पुर्नजन्म भी उसी का हिस्सा हैं। इस उपन्यास में लेखक का पात्र उसे फोन भी करता हैं और गुत्थी उलझती चली जाती हैं। उपन्यास आगे बढ़ता हैं, तब लेखिका ने रहस्य से पर्दा हटाया हैं, लेकिन पुस्तक का रोमांच आखिरी पन्ने तक बना रहता हैं।
जयंती रंगनाथन ने इस उपन्यास को बहुत लंबा नहीं खींचा। इससे भी उपन्यास में दिलचस्पी बनी रहती हैं। प्रयोग करने के लिए जयंती को बधाई।