Bookmark and Share

 

new shukrwar

''छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी"
फिल्मी गाने की एक लाइन में जीवन का दर्शन (21).
इस शुक्रवार एक और गाने की बात :

आज एक हँसी और बाँट लो, आज एक दुआ और मांग लो, आज एक आँसू और पी लो, आज एक जिंदगी और जी लो, आज एक सपना और देख लो, आज... क्या पता, कल हो ना हो...! सबसे इंपॉर्टेंट है आज, आज और सिर्फ आज !  2003 में आई फिल्म 'कल हो न हो' का यह गाना आज मुस्कुराने और खुश रहने के बारे में है क्योंकि कल किसी ने नहीं देखा है। 
यह कमर्शियल फिल्म थी, जिसका लक्ष्य धन कमाना था, लेकिन इस गाने का सन्देश था कि आज के लिए जियें क्योंकि कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा।  जिंदगी का रूप हर पल बदलता रहता है।  कभी कष्ट आते हैं , कभी खुशियां, कभी हताशा हाथ लगती है, लेकिन फिर भी कभी-कभी  आशाएं और बलवती हो जाती हैं।

हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ, जी भर जियो
जो है समाँ, कल हो न हो

नफ़रत, घृणा और हिंसा का माहौल हर जगह है। फिर भी कुछ अनूठा घट ही रहा है। इसे देखकर ही शायद आगे यह गाना कहता है कि आज की दुनिया में ऐसा कौन है जो तुम्हें पूरे दिल से चाहता हो। अगर ऐसा शख़्स कभी मिल जाये तो तुम्हारे लिए वही शख़्स सबसे महत्वपूर्ण है। उसे तत्काल हाथों से थाम लो और फिर उस हाथ को न छोड़ो। यह कुदरत की कृपा है कि वह तुम्हें मिला और तुमने उसे थाम लिया।  हो सकता है कल मुकद्दर ऐसा मौका नहीं दे! पलकों के साये तले कोई आ जाए तो खुशनसीबी समझो।  

उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
हर पल यहाँ, जी भर जियो
जो है समाँ, कल हो न हो

यह एक रोमांटिक गाना था, लेकिन कुछ लाइनें गज़ब की प्रेरणा देनेवाली थीं। अगर आपका दिल किसी के लिए पागल हो रहा है तो आप लाख कोशिश करें, वह उसी के लिए धड़कता ही जाता है। और दिल का क्या है, किसी के लिए भी धड़क सकता है, वह कोई इंसान, जगह या लक्ष्य हो सकता है। इस गाने की कुछ लाइन तो अपने आप में पूरा स्टेटमेंट है ! वह भी फलसफे से भरा।  आप चाहें या न चाहें, जिंदगी का रूप बदलना जारी रहता है, जिसमें कभी छाँह है तो कभी धूप! इसीलिए हर पल जी भर के जी लो ! याद कीजिए 'वक़्त' फिल्म में साहिर लुधियानवी का गाना - ''आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू; जो भी है बस यही एक पल है !''

हर किसी इंसान की जिंदगी में  ख़ुशी और गम, जीवन में उतार चढ़ाव तो आते और जाते रहे हैं। कभी सुख तो कभी दुःख, लेकिन हमें कभी भी दुखी नहीं होना चाहिए। खुशी के साथ किया गया कार्य जीवन में जीने की प्रेरणा देता है। हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।  हमें उस मुसीबत का सामना करना चाहिए। जीवन में खुश रहने के लिए हमेशा सही और गलत का चुनाव करना चाहिए जो इंसान सही या गलत का चुनाव नही करता है वह कभी खुश नहीं रह सकता है। ज़िन्दगी हमें जो कुछ देती हैं, हम लोग उसे एन्जॉय न करके और ज्यादा की आशा में लग जाते हैं, ज्यादा के लिए कोशिश करना अच्छी बात हैं, लेकिन हमें जो अभी तक प्राप्त हुआ हैं, उसे स्वीकार नहीं करना, उसका आनंद नहीं लेना गलत हैं।
कल हो न हो के निर्देशक निखिल आडवाणी चाहते थे कि सेलीन डायोन के  'माई हार्ट विल गो ऑन' के समान कोई गीत हो। उसी की धुन  को आधार बनाकर यह गाना बनाया गया। इसकी धुन हमारे संगीत में कुछ ऐसी थी :

हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
(सां निसां  निसां  निसांगरेसांनि धनि धनि )
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी
(सां निसां  निसां  निसांगरेसांनि धनि धनि)

फिल्म एनआरआई पात्रों को लेकर बनी थी और कहा जा सकता है कि उसका टारगेट ऑडियंस भी यही वर्ग था।  फिल्म ने हर एक को कल्पना से कहीं अधिक दिया। इसने हमें उस दौर के कुछ प्रमुख फैशन से भी रू-ब-रू कराया।  कह सकते हैं कि मनीष मल्होत्रा की मेहनत इस फिल्म की कामयाबी में महत्वपूर्ण रही। अगर कोई उस दौर का स्टाइल स्टेटमेंट देखना चाहता हो तो वह इस फिल्म को एक या अधिक बार देख सकता है। प्रीति जिंटा के आइकॉनिक स्पेक्स  ट्रेंड बन गए।  प्रीति  को सीरियस लुक देने के लिए था रेक्टेंगुलर वाइड चश्मा पहने दिखाया गया था। Trench Shrugs के कोट, One-Shoulder Trend ड्रेस, चमकीले रंगों के अलग-अलग शेड के वस्त्र पहनाए गए।  शाहरुख़ खान ने एम्ब्रायडरी किये हुए कुर्ते, नेचुरल कलर के टी शर्ट्स और ऐसे ट्रेंडी कपड़े पहनाये जो उस कैरेक्टर को जीवंत दिखा सके। वे डिज़ाइन कई साल तक चर्चा में रहे। फिल्म में फैशन के चलन तोड़े। नीली जैकेट में प्रीति बहुत पसंद की गईं, जिसमें रोएंदार कॉलर था। उस दौर में शायद ही कोई युवती हो जिसने इस स्टाइल को न अपनाया हो।

2003 में प्रीति जिंटा की दो फ़िल्में आई थी - 'कल हो न हो' और 'कोई मिल गया'। दोनों खूब चलीं। 'कल हो न हो' के संगीत ने लोगों को सिनेमाघरों तक आने को मज़बूर किया। यह लोगों के दिलों के करीब रही।   इसमें शाहरुख खान का  सिग्नेचर पोज़ था और हृषिकेश मुखर्जी के आनंद जैसी मर्मस्पर्शी  कहानी भी। फिल्म का हीरो असाध्य बीमार होकर भी जिंदादिली से जीने का सन्देश देता है,  यह फिल्म आप्रवासी भारतीयों, अंतर्जातीय विवाह और समलैंगिकता को सहजता  से उजागर करती थी।  इसने 13 अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार,  2 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 8 फिल्मफेयर पुरस्कार , 6 प्रोड्यूसर्स गिल्ड फिल्म पुरस्कार, 3 स्क्रीन अवार्ड्स और 2  ज़ी सिने अवार्ड्स जीते थे। फिल्म के निर्देशक निखिल आडवाणी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि शाहरुख अपने किरदार में इतने खो गए थे कि सेट पर लोग अक्सर उन्हें अमन कहकर बुलाते थे। उन्होंने फिल्मांकन के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक अपने किरदार को जिया और उसमें सांस ली।


इस गाने के सन्देश को जीवन में उतरने की बात अनेक कवियों, शायरों और दार्शनिकों ने कही है। कबीर के बिना इस इस बारे में सोचा भी नहीं जा सकता, जिन्होंने कहा था - “जो उग्या सो अन्तबै, फूल्या सो कुमलाहीं।
जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं ।।”
संसार का नियम यही है कि जो उदय हुआ है, वह अस्त होगा। जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा। जो चिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा। यही शाश्वत है। यानी अगर धूप (खुशियां) आई हैं तो छाँव भी आएगी ही। ओशो कहते हैं कि संसार के अनुभवों से गुजरना आवश्यक है लेकिन मेरे जैसे लोग तो जीवन की धूप-छांव से गुजरे बगैर ही संन्यस्त हो गए।

जावेद अख्तर का लिखा पूरा गाना :

हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ, जी भर जियो
जो है समाँ, कल हो न हो

चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वो ही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
हर पल यहाँ, जी भर जियो
जो है समाँ, कल हो न हो

हो पलकों के ले के साये
पास कोई जो आये
लाख सम्भालो, पागल दिल को
दिल धड़के ही जाये
पर सोच लो, इस पल हैं जो
वो दास्तां कल हो ना हो

हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ, जी भर जियो
जो है समाँ, कल हो न हो

हर पल यहाँ, जी भर जियो
जो है समाँ, कल हो न हो

फिल्म : कल हो न हो (2003)
संगीत :  शंकर एहसान लॉय (शंकर महादेवन, एहसान नूरानी और लॉय मेंडोंसा)
गीतकार :  जावेद वल्द जाँ निसार अख़्तर
गायक  : सोनू पिता अगम कुमार निगम

-प्रकाश हिन्दुस्तानी
01 -09 -2023
#onelinephilosophy
#philosophyinoneline
#Shailendra
#एक_लाइन_का_फ़लसफ़ा

 

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com