15 मार्च 2016 को जब हम श्रीनगर पहुंचे, तब पता चला कि इस साल ट्यूलिप गार्डन करीब दो हफ्ते पहले ही खोल दिया गया है। इसका कारण यह बताया गया कि मौसम में थोड़े बहुत बदलाव हुए है और गर्मी करीब दो हफ्ते पहले शुरू हो गई है, इसलिए ट्यूलिप के फूल खिलने लगे है। इस बगीचे के प्रबंधकों को लगा कि पर्यटकों को लुभाने के लिए यह एक अच्छा मौका है और देखते ही देखते श्रीनगर के पर्यटकों की भारी भीड़ लग गई।
श्रीनगर के प्रमुख आकर्षण में एक नया आकर्षण जुड़ा है इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन। 90 एकड़ में फैले इस गार्डन में तरह-तरह के रंगों के लाखों फूलों का एक साथ खिलना अपने आप में विलक्षण अनुभव है। 2008 में जब यह गार्डन पहली बार आम जनता के लिए खोला गया था, तब इसमें ट्यूलिप की 40 वेरायटी ही थी। अब लगभग सौ वेरायटी के ट्यूलिप यहां नजर आते है। इनमें एडरेम, इल्डीफ्राम, लेपटाप, प्यूरीसाइम और ओलियोलेस प्रमुख है। लाल, पीले, नीले, सफेद, गुलाबी, बेंगनी, रंगों के लिए ट्यूलिप किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम है। कश्मीर की खूबसूरत वादियों में फैला यह गार्डन बगैर ट्यूलिप के ही आंखों को भा जाता है और जब ट्यूलिप खिलते है, तब तो उसका कहना ही क्या।
कश्मीर के पर्यटन विभाग के डायरेक्टर मेहमूद अहमद शाह ने बताया कि ट्यूलिप जल्दी खिलने के कारण इस साल यह बाग पहले खोला गया है। श्रीनगर के जबरवान रेंज में स्थित यह सुंदर सा गार्डन आमतौर पर अप्रैल में खुलता है। यहां हर सीजन में करीब 15 लाख से ज्यादा पर्यटक आते है। हर साल इस मौके पर विशेष जलसे होते है। मैं जब श्रीनगर पहुंचा, तब ट्यूलिप तो खिल चुके थे, लेकिन जलसा नहीं शुरू हुआ था। गुलाम नबी आजाद की परिकल्पना पर यह बगीचा बनाया गया है और इसका उद्घाटन 2008 में श्रीमती सोनिया गांधी ने किया था। अब श्रीनगर के मशहूर बगीचों में यह बगीचा भी शामिल है। इसके अलावा श्रीनगर में शालीमार गार्डन, निशात बाग, चश्म-ए-शाही गार्डन और मुगल गार्डन भी इसके पास ही है।
ट्यूलिन गार्डन से कश्मीर की सुंदरवादियां अपने आप में देखना अनुभव है। जे एंड के पर्यटन विभाग के कोर्डिनेटर नासिर शाह पर्यटकों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रख रहे हैं। डल झील पास ही है, हाउस बोट, शिकारे, बर्फ के पहाड़ और फूलों से लदे विशाल पेड़ों को देखना रुहानी आभास देता है। यहां आकर आपको सिलसिला फिल्म का वह दृश्य याद आता है, जिसमें अमिताभ बच्चन और रेखा को ‘देखा एक ख्वाब, तो ये सिलसिले हुए’ गाते हुए फिल्माया गया था। जबरवान की पहाड़ियों में सेब, अखरोट, खूबानी और बादाम के हजारों पेड़ है। आजादी के पहले इस पूरे बाग की जमीन सिराजुद्दीन नामक एक व्यवसायी की थी। विभाजन के बाद सिराजुद्दीन पाकिस्तान जाकर बस गए और स्थानीय लोगों ने इस विशाल जमीन पर कब्जा कर लिया। 1960 में कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम मोहम्मद सादिक ने इस सारी जमीन को सरकार के नियंत्रण में लेने का आदेश दिया। तब से यह जमीन जम्मू-कश्मीर सरकार की संपत्ति है। 2007 में इस जमीन के एक हिस्से को ट्यूलिन गार्डन बनाने के लिए तैयार किया गया। 2008 में इसका विस्तार हुआ। पहले इसे लोग गुल-ए-लाला के नाम से जानते थे। बाद में इस बाग का विस्तार किया गया और इसे श्रीमती इंदिरा गांधी के नाम पर समर्पित किया गया।
इस गार्डन को विकसित करने के लिए होलैंड से तीन लाख ट्यूलिप की गाठें आयात की गई, जो अंकुरित होकर पौधे बनती है। आमतौर पर यह फूल गर्मियों में अप्रैल से जून तक खिलते है, लेकिन इस बार दो सप्ताह पहले ही बहार आना शुरू हो गई। इस बगीचे के फूल दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और देश के अन्य प्रमुख ठिकानों पर भेजे जाते है। यहां आने पर अलग ही नजारा देखने को मिलता है। लोग जिस तरह यहां आकर फोटो और वीडियो उतारते है, जिस तरह सेल्फी लेते हैं। उससे लगता है कि मानो अनेक फिल्मों की शूटिंग एक साथ हो रही हो। खिले हुए ट्यूलिप के बीज पर्यटकों के खिले हुए चेहरे देखना एक अद्भूत नजारा होता है। ऐसा लगता है मानो यहां आने वाला पुरुष पर्यटक अपने आप को अमिताभ बच्चन और महिला पर्यटक अपने आप को रेखा समझने लगते है।
25 March 2015
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श्रीनगर हमें उतना ही सुरक्षित लगा, जितना हम इंदौर में सुरक्षित महसूस करते हैं। बल्कि कहीं-कहीं तो यह इंदौर से भी सुरक्षित जगह लगी। रात को डेढ़ बजे तक डल झील के किनारे चहलकर्मी करते हुए यह अहसास ही नहीं हुआ कि हम किसी दूसरे प्रदेश में घूमने के लिए आए हैं। अपराध श्रीनगर में शून्य के बराबर हैं।
डल झील झील से बढ़कर एक शहर है। डल झील पर सैलानियों के रुकने के लिए हाउस बोट तो है ही, रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के बाजार भी लगे होते हैं। कश्मीर के कई परिवार इन शिकारों में भी रहते हैं। उनके बच्चे नाव से स्कूल जाते हैं। नाव पर ही सब्जी, किराने का सामान, दवा की दुकानें और यहां तक कि पोस्ट ऑफिस भी उपलब्ध है।