हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अमेरिका में बौद्ध धर्म के प्रति वहां के लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी लोग बौद्ध धर्म को धर्म के रूप में कम और जीवनशैली के रूप में ज्यादा स्वीकार करते है। बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे है और बिना बौद्ध धर्म अपनाए बौद्ध धर्म की खूबियों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
बौद्ध धर्म शुरूआत से ही पूरी दुनिया के लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। जीवन के प्रति उसका नजरिया सुवूâन देने वाला है। इसके अलावा बौद्ध धर्म एक संपूर्ण जीवनशैली है, जिसका उद्देश्य बुद्धत्व की प्राप्ति है। जीवन की हर विधा के बारे में बौद्ध धर्म के अपने विचार है और वे सकारात्मक है। शायद यही कारण है कि गैर बौद्ध धर्म के अनुयायी भी बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हो रहे है। कई लोग तो बौद्ध धर्म अपना भी लेते है और ऐसे लोग भी है, जो बौद्ध धर्म तो नहीं अपनाते, लेकिन बौद्ध विचारों को अपने जीवन में अपना लेते है।
अमेरिका में १९वीं सदी से बौद्ध धर्म के प्रति लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है। खुद के प्रति जागृति का भाव अमेरिकी दर्शन शास्त्रीयों और कलाकारों को लुभाता रहा। अनेक कलाकारों और साहित्यकारों ने बौद्ध धर्म के बारे में रचनात्मक और सकारात्मक बातें लिखी। कुछ ऐसा ही हिन्दू धर्म के बारे में भी रहा है। अनेक अमेरिकी विद्वानों ने गौतम बुद्ध के दर्शन को समझने के लिए भारत, श्रीलंका, चीन, जापान आदि देशों की यात्राएं भी की। उन्होंने बौद्ध कला का भी अध्ययन किया। अमेरिका के बोस्टन में म्यूजियम ऑफ फाइन आर्ट्स की स्थापना बौद्ध धर्म से प्रेरित होकर ही की गई थी।
अमेरिका में अनेक स्थानों पर बौद्ध दर्शन के बारे में पढ़ाया भी जाता है। गौतम बुद्ध के उपदेशों पर लिखी गई किताबें बेहद लोकप्रिय हो रही है। गौतम बुद्ध की धार्मिक शिक्षाओं की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए दुनियाभर के बौद्ध विद्वानों को अमेरिका में बुलाया जाता है और उनके प्रवचन आदि भी होते है। जिस तरह स्वामी विवेकानंद ने हिन्दुत्व के बारे में अमेरिका में भाषण दिए थे, लगभग वैसे ही प्रवचन बौद्ध विद्वानों के भी होते रहते है।
अमेरिकी विद्वान भी बौद्ध विद्वानों से शिक्षा ग्रहण करते है और बौद्ध विद्वान अमेरिका जाकर विज्ञापन और गणित पढ़ने में संकोच नहीं करते। बौद्ध धर्म के अनुसार ध्यान की धारणाओं को भी अमेरिकी अपनाते जा रहे है। बौद्ध विद्वानों के बारे में अमेरिका में अच्छी धारणा है और अमेरिकियों को लगता है कि बौद्ध विद्वान धर्म के नाम पर डराते नहीं और न ही किसी बात को गलत तरीके से कहते है। बौद्ध धर्म की नई-नई शाखाएं पूâट रही है और अमेरिका में बौद्ध धर्म से जुड़े नए-नए पुष्प पल्लवित हो रहे है।
बौद्ध धर्म के प्रमुख विद्वान युद्ध विरोधी अभियान चलाते है। सुखी और शांत जीवन जीने की वकालत करते है और विश्व एकता की बातें प्रचारित करते है। ये सभी बातें एक नई दुनिया बनाने की दिशा में कदम है। कोलोराडो में बुद्ध धर्म से जुड़ी शिक्षण संस्था को मान्यता भी मिल गई है। इस मान्यता के कारण अब बौद्ध धर्म से जुड़ी हुई अन्य शिक्षाओं को पाना और डिग्रियां लेना आसान हो गया है। तनाव मुक्ति के लिए बौद्ध धर्म में जो शिक्षाएं दी गई है, उनके चिकित्सकीय प्रयोग हो रहे है। एथलेटिक्स के खिलाड़ियों को झेन कोचिंग स्ट्रेटजी सिखाई जा रही है और बौद्ध धर्म पर आधारित फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हो रही है। हर जगह बौद्ध धर्म को धर्म के बजाय धर्म निरपेक्ष दर्शन माना गया है।
ऐसा माना जाता है कि अमेरिकी जीवन दर्शन में धर्म निरपेक्षता को अच्छी खासी जगह मिल रही है और लोग बौद्ध धर्म को धर्म के बजाय एक दर्शन के रूप में स्वीकार करने लगे है। एक ऐसा दर्शन जो नशे के खिलाफ है और उसमें मानव मात्र के प्रति दया का भाव। वहां बौद्ध धर्म को धार्मिक से ज्यादा आध्यात्मिक रूप में स्वीकार किया जाने लगा है। सनातन और बौद्ध धर्म की कई बातें मिलती-जुलती है और अमेरिका में दोनों ही नए रूप में स्वीकार किए जाने लगे है।