कोई भी शहर केवल उसके इतिहास के कारण नहीं होता। कोई भी शहर उसकी सड़कों, मॉल, बाजार, भवन और वहां के कारोबार के कारण नहीं होता। कोई भी शहर बनता है वहां के लोगों से। अगर आप समझते हैं कि इंदौर केवल पोहा-जलेबी का शहर है, इंदौर केवल कचोरी और मालपुए का शहर है, पेटिस और हॉट डॉग का शहर है तो शायद आप गलत हैं। इंदौर शहर है यहां के करीब 31 लाख लोगों से और इंदौर है उन लोगों के जैसा। इस किताब की भूमिका में रमण रावल ने लिखा है :
इंदौर के सितारे भाग 3 में थोड़ी देर हुई। इंदौर के जनजीवन में जिन महानुभावों ने अपने कर्म, ज्ञान ,गुण, सेवा से उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराई हो, उनके बारे में उनकी रचनाधर्मिता के बारे में, उनके संघर्ष और पराक्रम के बारे में, वह मुद्दे सामने लाए जाएं जो आमतौर पर नजर नहीं आते। यह समाज का सामान्य नियम है कि जो लोग कुछ बेहतर कर सकते हैं दूसरे दिन से काफी कुछ सीख समझ सकते हैं, जो अपने अपने क्षेत्र में सफल स्थापित हैं। उनके जीवन दर्शन को उनके तौर-तरीकों को विशेष समाज भी जानें। इसका सीधा फायदा यह है कि दूसरों को भी वैसा ही करने की प्रेरणा मिलती है।
रमन जी ने बड़ी विनम्रता से इस किताब की भूमिका में यह भी लिखा है कि यहां मेरी भूमिका केवल डाकिए की है। सितारों के अवदान को किताब के रूप में मैं ऐसा नहीं करता तो कोई और भी करता। बहुत सारे लोग अलग-अलग तरीके से वैसा ही कर रहे हैं। प्रमुख बात यह कि हम इन सितारों की चमक को देखकर रातों-रात बन जाने की उम्मीद ना करें, क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है। जैसे लोहा भट्टी में तपकर ही कोई आकार लेता है, वैसा ही जीवन क्रम भी होता है। खर्च होना है, समर्पित होना है। सबसे बड़ी बात सतत क्रियाशील रहना है, कहीं ठहर जाना जीवन का पूर्ण विराम है।
जिन्होंने अपने आप को दिन-रात तपाया है, अपने आपको खर्च किया है, समर्पित हुए हैं सतत क्रियाशील रहे हैं, और आज हमारे बीच मौजूद हैं।
ये इंदौर के सितारे हैं। चाहे वह उद्यमी हो, राजनीतिज्ञ हों, डॉक्टर, वकील, सीए, ब्यूटी एक्सपर्ट, इवेंट मैनजर, शिक्षाविद, रेडियो जॉकी, संस्कृतिकर्मी, बिल्डर, ज्योतिषी सभी इस शहर के सितारे हैं। शहर उनके अवदान को भूल नहीं सकता। उन्होंने अपने आप को तपाया है। जिन से 37 लोगों के संघर्ष गाथा रमण रावल ने लिखी है। इसके पहले के 2 खण्डों में 37 शख्सियतों के बारे में लिख चुके हैं।
1. विनोद अग्रवाल
इस किताब की शुरुआत शुरुआत श्री विनोद अग्रवाल से की है। हरियाणा के रोहतक का रहने वाला यह परिवार इंदौर में आया और किस तरह इस परिवार ने उत्थान-पतन और खुशहाली देखी। यह सब कुछ परीकथा जैसा है किताबों की किस्से-कहानियों जैसा। विनोद अग्रवाल सिर्फ व्यवसायी ही नहीं, एक संजीदा इंसान हैं। आध्यात्मिक चेतना से भरपूर है। मां और पिता के नाम पर ट्रस्ट बनाकर अनेक पारमार्थिक कार्य कर रहे हैं। जिसके कारण कई तकलीफ ज्यादा लोगों के जीवन में खुशियां आई। सालासर में चमेली देवी अग्रवाल सेवा सदन उन्होंने बनाया और भी बहुत से कार्य किए हैं जो इस किताब में हमें नजर आते हैं।
2. दिनेश मित्तल
राजस्थान के डीडवाना से आया था मित्तल परिवार। दिनेश मित्तल अपनी जिंदगी के कई पथरीले रास्ते चले हैं और कामयाबी की कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है, जिसकी बदौलत अपनी पारिवारिक विरासत को रोज नए नए रंग में रंगने में कामयाब हुए हैं। वे अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भी कामयाब रहे। मित्तल फाउंडेशन भी बनाया, जो ढेर सारी गतिविधियां संचालित की जा रही है। गीता भवन के अस्पताल को बनाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही है।
3. मनोज सोनी
इंदौर में डिवाइन ग्रुप एक ऐसा समूह है, जो राजस्थान के छोटे से गांव से निकलकर वाया कोलकाता इंदौर आया। इसकी नीं रखने वाले मनोज सोनी आभूषण कारोबारी हैं और उन्होंने कितने संघर्ष किए हैं। यह इस किताब को पढ़ने के बाद ही पता चलता है, डिवाइन ग्रुप की कामयाबी के पीछे मनोज सोनी ही हैं। अपने कारोबार का बहुत विस्तार कर लिया है, वह सिर्फ ज्वेलर्स तक सीमित नहीं। डिवाइन फैशन क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से उनका सहयोगी कारोबार है। जैविक खेती के साथ-साथ रियल स्टेट, सरकारी ठेके का काम भी उनके नेतृत्व में हो रहा है। उनकी कंपनियां दुनिया के कई देशों में रजिस्टर्ड है।
4. प्रकाश अग्रवाल
इंदौर के सितारों में एक सितारे प्रकाश अग्रवाल जी भी हैं। 10 धंधे करके छोड़ चुके हैं। उन्होंने अपनी मां की सलाह पर अगरबत्ती का कारोबार शुरु किया और आज अनेक देशों में अगरबत्ती निर्यात कर रहे हैं। आप कल्पना नहीं कर सकते कि कोई व्यक्ति कितना लंबा सफर अपनी मेहनत से कर सकता है। अगरबत्ती कारोबार का साम्राज्य खड़ा करने के बाद भी आज वह अपने कर्मचारियों और श्रमिकों से बहुत अच्छा रिश्ता रखते हैं तमाम। सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय हैं।
5. रामेश्वर पटेल
रामेश्वर पटेल के बारे में हम इतना ही जानते हैं कि वे सहकारिता और राजनीति के महारथी हैं। उन्होंने खेती में नए नए प्रयोग किया। बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि रामेश्वर पटेल जी ने भागवत साबू जी के साथ राजनीति में सक्रिय होकर कार्य किया। खुद रामेश्वर पटेल ने अपने क्षेत्र में क्या-क्या नहीं किया। साइकिल पर इंदौर आकर उन्होंने जल्द समस्याओं को निपटाने के लिए बहुत मेहनत की। पिपलिया हाना गांव का विकास करने के लिए उन्होंने संघर्ष किया और अपने गांव बिचोली मर्दाना को आगे ले जाने में बड़ी भूमिका निभाई। रामेश्वर पटेल जी की राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1971 में सरपंच के चुनाव से शुरू हुई थी जो आज 46 बरस बाद भी जारी है। इंदौर कृषि मंडी कृषि, उपज मंडी अध्यक्ष, विधायक, उपमंत्री, जिला कांग्रेस अध्यक्ष आदि तमाम पदों पर रहे। अगर आज चोइथराम मंडी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी मंडी है तो उसकी परिकल्पना और उसके निर्माण के पीछे रामेश्वर पटेल का ही योगदान है। उनकी सोच कितनी आधुनिक है इसका नमूना अगर आप देखना चाहें तो बिचोली मर्दाना गांव में जाकर देख सकते हैं।
6. हरिनारायण अग्रवाल
किसी जमाने में राजस्थान के एक छोटे से गांव उदयपुर, शेखावाटी से हरिनारायण अग्रवाल इंदौर आए थे। आज अग्रवाल स्वीट्स इंदौर में क्वालिटी का पर्याय बन गया है। जो अपनी मिठास के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है, लेकिन अग्रवाल स्वीट्स केवल मिठाई का कारोबार नहीं करता यहां दिलों को जोड़ने का काम भी करते है। दशकों से मोहन अग्रवाल इस शहर के लोगों से अपने स्वभाव के कारण जुड़े हुए हैं और उनकी विनम्रता, सरलता और व्यवहार की मिठास पूरे इंदौर को लोकप्रिय बना रही है।
7. टोनी सचदेवा
इंदौर के मशहूर यशवंत क्लब और टोनी सचदेवा एक दूसरे के पर्याय उनकी सक्रियता देखने लायक है। आज इंदौर की यशवंत क्लब का जो विकास हुआ है उसके पीछे टोनी सचदेवा की मेहनत और लगन है। आज भी रात 8:00 बजे के बाद क्लब पहुंच जाते है। 1995, 1999, 2004, 2008, 2014 और 2016 में वे इस क्लब के अध्यक्ष चुने गए।
8. कैलाश नागर
ज्योतिष की गागर में तपोबल का सागर भरने वाले पंडित कैलाश चंद्र कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन पिछले 5 वर्ष से टीवी चैनलों पर ज्योतिष सलाह दे रहे हैं। जिसका प्रसारण कोई 150 देशों में होता है। ज्योतिष के क्षेत्र में उन्होंने अपना नाम स्थापित कर लिया।
9. अभय जैन
अभय जैन वर्चुअल वोयेज नाम का एक संस्थान चलाते हैं, जो शिक्षा संस्थान है और व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी चलाता है। अनेक संघर्ष करते हुए अभय जैन ने इस संस्थान की स्थापना रखी। किस तरह उन्होंने जीवन में संघर्ष किए, उनके पिताजी श्री राजेन्द्र कुमार जैन में उन्हें जो शब्द कही थी, वह आज भी उसका पालन करते हैं। सरकारी नीतियों के कारण कई बार उनके संस्थान पर उंगलियां उठाई, लेकिन उन्होंने हर बार उन बाधाओं को पार किया।
10. डॉ. अजय जैन
डॉ. अजय जैन रेडियॉलजिस्ट है। अजय जैन साहब की तरह डॉक्टर तो इंदौर में बहुत हैं, लेकिन अजय जी ने जो कार्य किया है वह विशेष। अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में उन्होंने जो योगदान दिया है, वह दूसरे डॉक्टर शायद ही कर पाए हों।
11. मजहर हुसैन
सामाजिक कार्यकर्ता हैं। किताब में उनकी गतिविधियों के बारे में जो जानकारी मिली है कि उन्होंने किस तरह अपना कारोबार बढ़ाया और किस तरह बोहरा समाज के प्रवक्ता बने। इसमें इस बात की भी जानकारी मिली कि उन्होंने कैसे रशीदा जी से प्यार किया और शादी की पत्नी रशीदा जी प्रशिक्षित पायलट है और कुमार गंधर्व विश्वविद्यालय में शास्त्रीय संगीत सीख चुकी हैं। इसके अलावा वे यूसीमास में डायरेक्टर है और ससुराल सिमर का तथा सुहानी सी बेटी जैसे धारावाहिकों में काम भी कर चुकी हैं। उनकी सबसे छोटी बेटी आसमां भी टीवी धारावाहिकों में काम करते हैं। उनकी छोटी बेटी जहारा कॉलेज में है और बालाजी फिल्म के लिए कोरियोग्राफर काम कर रही है। दिलचस्प बात यह है कि उनकी शादी जिस दिन हुई उस दिन तपाक से सैयदना साहब इंदौर में थे और उन्होंने उन्हें बुलवा कर आशीर्वाद लिया
12. बसंत खटोड़
कारोबारी हैं। फ़र्श से अर्श तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपने जीवन में काफी कड़े संघर्ष किया। बसंत जी बहुत सारे पापड़ बेले। प्रॉपर्टी का काम किया। शहर में अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। उनहोंने अपने कारोबार में अनेक पराक्रम किए।
13. कुलभूषण कुक्की
कुक्की जी के बारे में इस किताब पता चला कि उन्होंने कितने संघर्ष किए हैं। कुक्की जी 10 साल के थे, उनके पिताजी का निधन हो गया और उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ पाया वाला अपनी मेहनत और अपनी मां के आशीर्वाद से पाया। उन्होंने राजनीति भी कि लायंस क्लब में भी सक्रिय हुए। उन्हें गजब की संगठन क्षमता के लिए जाना जाता है।
15. संजय करनानी
मसालों के कारोबारी हैं। मसालों के बाद अब वे चाय का कारोबार भी कर रहे हैं। संघर्ष उन्होंने अपने जीवन में किए हैं और अपने कारोबार को ऊंचाई देने में सफल हुए। उनका कारोबार करीब 35 करोड रुपए का है और उनकी इच्छा उसे 2021 तक 100 करोड़ करने की है।
16. संजय पटेल
संजय संजय पटेल हमारे इंदौर के सांस्कृतिक राजदूत हैं। दुनिया में कहीं भी जाइए किसी भी सांस्कृतिक मंच पर जाइए और अगर आपने यह कह दिया कि आप संजय पटेल को पहचानते हैं तो समझिए सामने वाला आपसे दोस्ती करने को उत्सुक हो जाएगा। संजय पटेल को साहित्य और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों की इतनी अच्छी पहचान है कि उनसे मिलना, उससे बातचीत करना अपने आप में एक घटना होती हैं। इतना सब होने के बाद भी वे सहज, संस्कृति के क्षेत्र में बड़े से बड़े विद्वान की शाबाशी उन्हें मिल चुकी है, चाहे बिस्मिल्ला खां हो, चाहे भीमसेन जोशी, पंडित कुमार गंधर्व, गिरिजा देवी, गंगूबाई हंगल, मेहंदी हसन, ग़ज़ल गुलाम अली, अनूप जलोटा, आशा भोसले, उषा मंगेशकर, अनिल विश्वास, आर डी बर्मन, भूपेन हजारिका, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, उस्ताद अमजद अली खान, बिरजू महाराज, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, अशोक कुमार आदि के साथ शोज़ कर चुके हैं।
16. डॉ. प्रवर पासी
संघर्ष की अनोखी मिसाल हैं पासी जी। वे इंदौर के मशहूर डॉक्टर एस के मुखर्जी की परंपरा के डॉक्टर। उन्हें कई चीजों का शौक है। लोगों की मदद करने का शौक है। मेराथन दौड़ने का शौक है। आज भी रोज 7 से 10 किलोमीटर तक दौड़ते हैं या साइकिल चलाते हैं। आउटडोर एडवेंचर के शौकीन हैं। अपने क्लीनिक में मशहूर कवियों की पंक्तियां लिखकर लगाकर रखते हैं। यह पंक्तियां वे खुद लिखते हैं और जीवन को अलग ढंग से परिभाषित करते हैं। सबसे दिलचस्प बात यह पता चली इसके था आपसे कि प्रवर पासी जी अपने घर में टेलीविजन नहीं रखते, क्योंकि उन्हें कभी उसकी जरूरत महसूस नहीं होती।
17. उन्नति सिंह
संजय पटेल इंदौर के सांस्कृतिक राजदूत हैं तो उन्नति इंदौर के सौंदर्य की राजदूत। उनसे मिलने के लिए हर महिला लालायित रहती है। जो मिलता है, वह उनके जादुई असर को भूलता नहीं है। 12 वर्ष की उम्र से ही यह कार्य कर रही हैं और दुनिया के अनेक देशों से प्रशिक्षण पाने के बाद अपनी सेवाएं इंदौर में दे रही हैं। उनके जीवन का लक्ष्य केवल कारोबार करना नहीं। बल्कि लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना है। वह बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं।
18. आर.एस. पाटिल
कहा जाता है कि मराठी समुदाय के लोग कारोबार के बजाय नौकरी को प्राथमिकता देते हैं उन्होंने अपने जीवन के करियर की शुरुआत तो नौकरी से की थी लेकिन बाद में उन्होंने कारोबार में जो नाम कमाया। करीब दो दर्जन कंपनियां की डीलरशिप है, उनके पास उनके साथ कारोबार कर रहे हैं।
19. केमिशा सोनी
बैडमिंटन की राष्ट्रीय खिलाड़ी रही है। उन्होंने पुरुषों के क्षेत्र में कदम रखा और वहां अनेक उपलब्धियां हासिल की। वे पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के सेंट्रल काउंसिल की महिला चेयरपर्सन बनने वाली पहली सीए। शुभ लक्ष्मी बैंक के संचालक रही हैं और अनेक सामाजिक संगठनों से भी जुड़ी रही है।
20. अनुराग बोथरा
अनुराग बहुत सारी कारोबारी हैं। नमकीन के कारोबारी। उन्होंने ओम के नमकीन की पूरी शृंखला खड़ी कर दी। जहां 300 से ज्यादा वैरायटी के नमकीन मिलते हैं। पूरी दुनिया में उनका कारोबार चलता है। लोग दुनिया के किसी भी कोने हो हूं ओम के नमकीन के बिना उनका गुजारा नहीं होता।
21. पुष्यमित्र भार्गव
इंदौर के अधिकांश लोग जानते हैं कि पुष्यमित्र भार्गव जी जाने माने वकील है, लेकिन बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि उन्होंने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराया। वकालत में, एक्साइज, सर्विस प्रकरण वाणिज्यकर आबकारी मामलों की विशेषज्ञता रखते है वे संघ की विचारधारा से जुड़े हैं।
22. अरविंद बागड़ी
वैसे तो अरविंद बागड़ी जी राजनीतिज्ञ हैं, लेकिन सामाजिक कार्यों में उनकी गतिविधियां ज्यादा देखने को मिलती है। वैश्य समाज के बहुत बड़े आधारस्तंभ हैं। उन्होंने अपने जीवन में खतरे उठाकर कई कारोबार की अरविंद किए। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे और अभी भी राजनीति के माध्यम से समाज को बदलने का कार्य कर रहे हैं।
23. अमित मोदी
अमित मोदी को पिता डॉक्टर बनाना चाहते थे, वह कुछ और बनना चाहते थे। जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने अनेक कारोबार किए और फॉरेन एजुकेशन काउंसलिंग भी कि इसके अलावा उन्होंने तिरुपति स्टार्च फैक्ट्री नामक एक कंपनी की नींव रखी। खास बात यह है कि 1986 में उन्होंने यह कंपनी शुरू की थी और जो कर्मचारी तब इस कंपनी में कार्य कर रहे थे, वे आज भी कर रहे हैं। उन्होंने ना तो किसी को रिटायर किया और ना ही सेवा से हटाया। 80-85 साल तक के कर्मचारी उनके के यहां काम कर रहे हैं उनकी जिम्मेदारी सिर्फ इतनी है कि वह कारखाने आ जाएं, बस। कंपनी अपने डीलर भी कभी नहीं बदलती। ऐसे उदाहरण बिरले ही कहीं मिलेंगे।
24. विनय पिंगले
विनय पिंगले एक ऐसी शख्सियत हैं, जो मराठी भाषी हैं, लेकिन उन्होंने नौकरी के बजाय अपना खुरका कारोबार चुना। आज मीट इंडिया नामक एक कंपनी के सर्वेसर्वा हैं। यह कंपनी पावर प्लांट, मॉल, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों के निर्माण का काम करती है। एक खास बात यह इंजीनियरिंग करने के दौरान उनके एक प्रोफेसर निकम ने कहा था कि हमेशा पैसा, पावर और फेम को ध्यान में रखकर ही काम करना चाहिए ताकि आप में सफलता की भावना बनी रहे।
25. सोनल आनंद
सोनह आनंद हमारे इंदौर की फैशन राजदूत कही जा सकती है। उन्होंने अपने अकेले बूते पर वह कार्य कर दिखाएं जो और कोई शायद नहीं कर सकता। आज दर्जनों लोग उनके साथ काम करते हैं। संयोग से वे पार्टी डेकोरेटर बन गर्इं, क्योंकि उन्होंने अपने बेटे आर्यन के 3 वर्ष के होने पर थीम पार्टी डेमोरेट की थी। काम इतना पसन्द किया गया कि उन्होंने इसे ही अपना व्यवसाय बना लिया।
26. आशुतोष झंवर
आशुतोष झंवर कारोबारी हैं। उन्होंने कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में तो काम किया है, नेत्रदान के क्षेत्र में भी कार्य करे हैं। एमके इंटरनेशनल आई बैंक के जरिए भी वे उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। इस आई बैंक का काम परिवार की बहू श्रीमती उमा झंवर संभालती हैं।
27. गिरीश अग्रवाल
गिरीश अग्रवाल रेडिमेड वस्त्र व्यवसाय में सर्वाधिक लोकप्रिय नाम है। अग्रवाल स्पोट्र्स के नाम से शहर में उन्होंने तीन शोरूम स्थापित किए हैं।
28. रमेश मित्तल
रमेश मित्तल और मेडिकैप्स पर्यायवाची शब्द मेडिकैप्स अब विश्वविद्यालय हो गया है। इसके पहले उन्होंने हिल्स क्लब की स्थापना की थी। पीथमपुर में मेडिकैप्स नामक उद्योग भी उन्होंने लगाया। जिसमें दवा उद्योग के काम आने वाले कैप्सूल का खोल बनाए जाते थे।
28. डॉ. मोहित भंडारी
मोहित भंडारी डॉक्टर हैं और बेरियाट्रिक सर्जरी के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने इंदौर का नाम बेरियाट्रिक सर्जरी के क्षेत्र में मशहूर कर दिया है। अरविंदो मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए हैं। उन्होंने 350 किलो वजनी एक महिला का ऑपरेशन किया, जो 200 किलो तक की हो गई।
30. शैलेन्द्र पोरवाल
इंदौर के रेडीमेड वस्त्र कारोबार के क्षेत्र में पोरवाल परिवार का नाम बहुत ही प्रतिष्ठा के साथ लिया जाता है। इन्होंने मलेशिया, जापान, चीन आदि देशों से आयातित कपड़े के कारोबार को बढ़ावा दिया। वह कपड़ों में थीमख्वाब, सिल्की शेरवानी के लिए भी कपड़ा उपलब्ध कराते हैं। इंदौर में उनके कई आउटलेट्स हैं।
31. गुरमीत सिंह नारंग
गुरमीत सिंह नारंग की जिंदगी किसी के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बन सकती है। उन्होंने अपनी जिंदगी में इतने थपेड़े खाए, इतनी दुर्घटना देखी, लेकिन गुरु की मेहर, गुरु के प्रति उनका सम्मान कभी कम नहीं हुआ। वह गुरु के मेहर ही मानते हैं कि जो कुछ भी है वह प्रभु की कृपा से। उनके साथ जो सलूक हुआ किसी और के साथ होता तो शायद हो पूरा खड़ा नहीं हो सकता था। इसके बाद १४ वर्ष की आयु में उनकी बेटी तवलीन कैंसर से पीड़ित होकर दुनिया से चल बसी। उसकी याद में उन्होंने तवलीन फाउंडेशन स्थापित किया। सरदार इस्पात नाम से उन की फैक्ट्री है। कारोबारी होने के साथ-साथ सोशल कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी बखूबी निभा रहे हैं।
32. अंशु खथूरिया
अंशु के सामने एयर होस्टेस की नौकरी और होटल इंडस्ट्री में आसमान छूने की गुंजाइश थी, लेकिन उन्होंने वही किया जो उन्हें पसंद था। उनकी इच्छा फैशन डिजाइनर बनने की थी और वह उसी काम में जुटी रही।
33. अरविंद आचार्य
अरविंद आचार्य कमर्शियल आर्टिस्ट हैं। इसके अलावा भी यायावर हैं देश और दुनिया में घूम चुके हैं। वे रंगोली भी बनाते हैं। रीयलिस्टिक चित्र ऐसे बनाते हैं। मानो मैडम तुसाद म्यूजियम की मूर्ति सामने है। कभी अपने आर्ट को लेकर मार्केटिंग नहीं की।
34. पुनीता नेहरू
पुनीता नेहरु इंदौर के प्रतिष्ठित सत्य साईं विद्या विहार की प्राचार्य हैं। उनके परनाना पंडित विष्णु नारायण धर कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन के बाद ही मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला था। पुनीता जी का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षा के लिए समर्पित है। उन्हें 1996 में सत्य साईं बाबा ने कहा था कि वह इंदौर आएं और स्कूल संभाले, लेकिन तब यह संयोग नहीं बना संयोग बना १४ साल बाद और आज वे इंदौर के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में से एक सत्य साईं विद्या विहार के प्राचार्य हैं
35. इकबाल हुसैन
इस सभागार में बैठा शायद ही कोई व्यक्ति हो जो इंदौर के रीडर्स पैराडाइस नामक किताब की दुकान पर नहीं गया हो। वास्तव में यह किताब की दुकान नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों की अध्ययनशाला है जहां सीखने के लिए बहुत कुछ हैं। इकबाल हुसैन जी खुद अपने आप में एक विश्वविद्यालय हैं।
36. विजित जैन
इंदौर में कल्पवृक्ष कोचिंग संस्थान विजित जी ने ही खड़ा किया है। वे चाहते हैं कि बच्चे पढ़े-लिखे और प्रतिस्पर्धी माहौल में अपने लिए कुछ न कुछ करें। कल्पवृक्ष में बच्चों को खुद पढ़ाते हैं और अगर जरूरत हो तो उनकी धर्मपत्नी भी इस कार्य में मदद करती है।
37. विनी अग्रवाल
आरजे विनी को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वे माय एफएम की लोकप्रिय आरजे हैं।
10 Feb 18