(आपका स्वागत है, पर आप क्यों बार -बार पधारते हैं? पूरा प्रशासन ठप हो जाता है। इस गरीब और बीमारू राज्य पर दया करो प्रभु!)
माननीय,
नित्य प्रातः स्मरणीय,
महामहिम महोदय,
आप इस देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, तीनों सेनाएं आप के अधीन हैं, पूरा देश आपके नेतृत्व का कायल है, आप हमारे लिए पूजनीय हैं। माननीय,
एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूं। एक दद्दाजी थे। उन्हें लगा कि अब उनके जीवन के सक्रिय 5/6 साल बचे हैं।
उन्होंने सोचा कि मैं अपने तमाम रिश्तेदारों के घर, अपने बेटे, पोते, पोतियों , नाती, नातिनों, भतीजे, भतीजियों -- सबके घर जाऊं। जिंदगी में कभी गए थे, पहली बार गए।
अब दद्दा जी / नानाजी के आने का ऐलान हुआ। दद्दा जी आ रहे, नाना जी आ रहे; बात पूरे खानदान में, पूरे कुनबे में फैली। गहमागहमी बढ़ी। हलचल मच गई। बच्चे कहने लगे कि दद्दा जी आ रहे हैं, हम स्कूल नहीं जाएंगे। बहुएं कहने लगी कि अब हमें दद्दा जी का स्वागत करना है तो हम रोटी नहीं बनाएंगे। हम तो सजेंगे, संवरेंगे, स्वागत करेंगे, पाँव पखारेंगे, आशीष लेंगे; हमारा तो जनम सफल हो गया।
बेटे कहने लगे कि हमें तो सीएल लेनी पड़ेगी। काम से छुट्टी। काम पर कैसे जाएंगे? भले ही एल डब्ल्यू पी हो जाए, मजूरी कट जाए, पर स्वागत तो करेंगे ही। इतने परम आदरणीय बरसों से कभी नहीं आए थे तो उनका स्वागत सत्कार करेंगे ही ।
अब हुआ यह कि दद्दाजी के स्वागत में बच्चे स्कूल नहीं गए, बहुएं सजने-संवरने लगी, ब्यूटी पार्लर चलीं; बच्चों के पप्पा घर की पुताई करने में लग गए, बच्चों के लिए पहली बार महंगे रेडीमेड कपड़े खरीदे गए, नए जूते - चप्पल खरीदे और लाये गए, पड़ोसी से नई चादरें-तकिये-मसनद मांगकर लाई गई, किराये पर कप-बशी आये। उधारी में मनोहर भिया से फूल-पत्ती मंगवाई गई; इस वादे पर कि वे उसे वापस ले लेंगे और री-सायकल करके पर्यावरण की महान सेवा करेंगे।
उत्सव का शानदार माहौल!
हो भी क्यों नहीं, दद्दा जी के कारण ही तो यह फला-फूला खानदान नज़र आ रहा है।
..और फिर दद्दाजी पधारे! महान ऐतिहासिक घटना ! दद्दाजी तो दद्दा जी ही थे। जो पड़ोसी झांकते भी नहीं थे, साले, फ़ोकट में आशीर्वाद लेने आ गए। इज्जत बचाने के लिए उनको अलग पोहे-जलेबी खिलानी पड़ी। दद्दा जी तो सबके आदरणीय होते ही हैं। सो बड़ा भव्य प्रोग्राम हुआ। दद्दा जी भाव विह्वल ! इत्ता प्रेम मुझसे! मैं पहले क्यों नहीं आया? मुझे तो आते ही रहना चाहिए था।
अब क्या बताएं साब। मांग्यो तो रे ग्यो, अ न रेलगाड़ी चली ग्येइ।
दद्दाजी गए तो हिसाब होने लगा। पाई-पाई का इंतजाम मुश्किल से हुआ। माँगनेवाला लोग बहुत था। बड़ी मुश्किल आई हिसाब में। साल भर लग गया।
माननीय, आपसे बहुत ही विनम्र और करबद्ध प्रार्थना है कि आप कृपया हमें बख्श दें। इस तरह अगर आप एक ही महीने में दो-दो बार मध्य प्रदेश आते रहेंगे तो मध्य प्रदेश के लोगों का क्या होगा?
आप आते हैं, किरपा साब ! आप आपका आशीर्वाद हम पर बना रहे। आप दिल्ली से आशीर्वाद दे देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी। 14 अप्रैल को ही आप इंदौर जिले के महू में आए थे। बाबा साहब की जन्म स्थली पर। बहुत अच्छा लगा। अंबेडकर संविधान के रचयिता थे। आप संविधान द्वारा निर्मित शासन व्यवस्था के प्रमुख हैं। माननीय मोदी जी कहते ही हैं कि वे प्रधानमंत्री बाबा साहब के कारण बन सके। आप भी बने हो, आपको भी आना चाहिए था.... लेकिन आपके आने के 2 घंटे की यात्रा से पूरे इंदौर जिले में जो परेशानियों का सामना हुआ, वह हम आपको क्या बताएं? आप सागर विश्वविद्यालय गए. भोत ई अच्छा किया। फिर आप गुना जा रहे हैं। क्यों? गुना में आपके भैया हैं। आपके भैया के पूरे इलाके को ये जानना ही चाहिए कि उनके भाई राष्ट्रपति जी हैं। महामहिम राष्ट्रपति। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति !
हमें पता है कि आपका सरकारी घर 300 कमरों का है, हज्जारों तो करमचारी लोग हैंगे। फिर आपका कोई ऑडिट-फॉडित भी नहीं होता। आपका बोला - फत्तर पे लकीर !
अब कभी भैया की झांकी-मंडप जमाना हो तो उनको, उनके परिवार को, उनके सम्पूर्ण कुटुंब को, उनके मोहल्लेवालों को चार्टर्ड प्लेन भेज के लेना साब। उनकी झांकी भी हो जायेगी, हमको थोड़ी-सी सहूलियत। आपके लिए क्या दिक्कत है? आप अपने स्टाफ को बोल दो, काम ख़तम ! हर मोबाइल रीचार्ज पे, गैस टंकी की खरीदी पे, बैंक से दो पैसे के ब्याज कमाने पे, पीएफ के पैसे लेने पे, बच्ची की शादी पर हॉल किराए पे, बच्चे की कुल्फी पे, स्कूल बस के किराए पे, लूना के लिए पेट्रोल खरीदी पे, रेल का टिकट बुकिंग पे, सौ ग्राम चाय की पत्ती खरीदी पे, बच्चे की किताब- कॉपी पे जगह टैक्स देते तो हैं ना साब। उसी से तो आपका काम चलता है।
आप भोत बड़े हैं साब, भोत ही बड़े। हम तो मच्छर है, मच्छर! हम पे किरपा रखो साब. डीडीटी मत डालो। तीनों सेना आप के अधीन हैं। पूरी लोकसभा-राज्य सभा आपके लिए है। पूरा देश आपके में है। आप जो भी करोगे माई-बाप, हमारे भले के लिए ही करोगे और कर रहे हो।
... लेकिन, लेकिन माननीय आपसे बहुत ही विनम्र और करबद्ध प्रार्थना है कि आप कृपया हमें बख्श दो। नीति आयोग के सरगना ने भी कहा है कि हम बीमारू हैं। यहाँ बार-बार मत पधारो साब। इस तरह अगर आप एक ही महीने में तो दो बार मध्य प्रदेश आते रहेंगे तो मध्यप्रदेश के लोगों का क्या होगा?
प्रार्थना को प्रार्थना समजना साब, छोटा मुंडा, छोटी बात ! आपके चक्कर में हमारे मामाजी ने भी मेला लगा लिया -- चप्पल, जूते और पानी की कुप्पी बांटेंगे साब। करोड़ों का इवेंट कर रहे हे साब। इत्ते से लाखों गरीबों को सचमुच जूते मिल जाते !
...पर वे नामुराद जूते के काबिल ही हैं !
29. 04. 2018