अटल बिहारी वाजपेयी केवल कवि और राजनेता ही नहीं थे। वे फिल्मों, अच्छे भोजन, अच्छी मित्रता में भी रूचि रखते थे। कई लोग उन्हें दिलचस्प और आशिक मिजाज भी मानते हैं। एक इंटरव्यू में अटलजी ने खुद कहा था कि मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं। लोगों ने इस वाक्य के अपने हिसाब से अलग-अलग अर्थ निकाले। जो भी हो, अटलजी के लिए इन शब्दों के गंभीर मायने थे। वे प्रेम की सहजता और गंभीरता को भी समझते थे। वे न तो कभी किसी दूसरे के निजी मामलों में दखल देते और न ही अपने मामले में किसी दूसरे का दखल बर्दाश्त करते थे।
जब अटलजी ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ते थे, तब उनके जीवन में राजकुमारी कौल का पदार्पण हुआ। अटलजी राजकुमारी को मन ही मन चाहते थे, लेकिन कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। एक दिन अटलजी ने राजकुमारी के नाम एक प्रेम पत्र लिखा और उस पत्र को लाइब्रेरी के किताब में रख दिया। उन्हें लगता था कि यह पत्र राजकुमारी तक पहुंचेगा और वे उसका जवाब भी देंगी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। पत्र का जवाब नहीं आया और अटलजी दूसरा पत्र लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
ग्वालियर के लोग बताते है कि राजकुमारी भी अटलजी को पसंद करती थी, लेकिन परिवार के लोग इस पक्ष में नहीं थे, क्योंकि राजकुमारी सिख परिवार से ताल्लुक रखती थी और अटलजी ब्राह्मण। मामला आगे नहीं बढ़ पाया। राजकुमारी के परिवार वालों ने भी राजकुमारी के लिए राजकुमार खोज लिया और शादी कर दी।
कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 15 साल बीत गए। अटलजी संसद सदस्य बन गए और दिल्ली में रहने लगे। वहां दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में फिलासफी के एक प्रोफेसर से उनका संपर्क हुआ। पता चला कि यही वो प्रोफेसर साहब है, जिनसे राजकुमारी की शादी हुई। अब राजकुमारी, राजकुमारी नहीं रही थी, मिसेस राजकुमारी कौल हो गई थी और उनके बच्चे भी थे।
एक पत्रकार गिरीश निकम को दिए गए इंटरव्यू में अटलजी ने इस रिश्ते के बारे में खुलकर बातें की थी। अटलजी के जीवन पर लिखी गई एक पुस्तक 'अटल बिहारी वाजपेयी, ए मैन ऑफ ऑल सीजन्स' के लेखक किंग शुक नाग ने भी अटलजी और राजकुमारी के प्रेम प्रसंग पर काफी बातें लिखी हैं। अटलजी के पूर्व सहायक और पत्रकार सुधीन्द्र कुलकर्णी ने भी 2014 में श्रीमती राजकुमारी कौल की मृत्यु के बाद उनकी श्रद्धांजलि में इसका जिक्र किया है। जब श्रीमती राजकुमारी कौल का निधन हुआ, तब मई 2014 में लोकसभा चुनाव अभियान जोरों पर चल रहा था, लेकिन उस अभियान को छोड़कर लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता उनके अंतिम संस्कार में मौजूद थे।
अटल बिहारी वाजपेयी, राजकुमारी कौल के रिश्तों में हमेशा ही शालीनता और शिष्टता का भाव रहा है। जब राजकुमारी कौल का निधन हुआ, तब अटल बिहारी वाजपेयी इतने अस्वस्थ थे कि कहीं आना-जाना नहीं कर पाते थे, लेकिन फिर भी मिसेस कौल की मृत्यु ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया। उनकी मृत्यु से अटलजी के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा।
श्रीमती राजकुमारी कौल से संपर्कों के कारण अटलजी को कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा। 1968 में दीनदयाल उपाध्याय के निधन के बाद जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष के लिए अटलजी के नाम पर विचार किया जा रहा था, तब जनसंघ में अटलजी के विरोधी बलराज मधोक ने अटलजी की जीवनशैली को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे। बलराज मधोक का इशारा श्रीमती राजकुमारी कौल की तरफ था।
भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि अटल बिहारी वाजपेयी और श्रीमती राजकुमारी कौल के बीच बहुत ही पवित्र रिश्ता था और राजकुमारी कौल के परिवार के लोग भी अटलजी के घर आते-जाते थे और मिलते-जुलते थे। वे भी अटलजी को बहुत ही सम्मान देते थे। ऐसे में रिश्तों की पवित्रता को समझना बहुत जरूरी है।
18 Aug 2018