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15 जनवरी को अमेरिकी के ऐतिहासिक शटडाउन का 25वां दिन है। अमेरिकी इतिहास में इतना बड़ा शटडाउन कभी नहीं हुआ। यह एक तरह की ‘सरकारी हड़ताल’ ही है। दरअसल अमेरिका में एक एंटी डेफिशिएंसी कानून है। इसके अंतर्गत जब सरकार के पास बजट कम होता है, तब वह सरकारी कर्मचारियों को काम करने से रोक देती है। ऐसी हालात तब आती है, जब संसद में फंडिंग के किसी मामले पर आपसी सहमति न पाए। ऐसे शटडाउन में सरकार कर्मचारियों को दो भागों में बांट देती है। आवश्यक और कम आवश्यक। आवश्यक कर्मचारियों को काम पर तो आना पड़ता है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिलता। दूसरी श्रेणी के कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिलता और काम पर भी नहीं आना पड़ता।

अमेरिका में लगातार शटडाउन का यह चौथा सप्ताह है। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। अमेरिकी की राजधानी वाशिंगटन डीसी में तो हालात बहुत ही खराब है। शहर में कचरे के ढेर लग गए है और सफाई तक नहीं हो पा रही। मेडिक्लेम के आवेदन पास नहीं हो रहे है और लोगों को बीमारी में इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। नेशनल पार्क और म्युजियम के कर्मचारी छुट्टी मना रहे है और वहां आने वाले लाखों पर्यटक निराश लौट रहे है। सरकार को भी वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों से मिलने वाला टैक्स नहीं मिल पा रहा है। इससे अरबों डाॅलर का नुकसान हो रहा है।

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मानते हैं कि पड़ोसी देश मेक्सिको से हजारों लोग अमेरिका में घुस आते है और अमेरिकी लोगों का रोजगार छीन लेते है। मेक्सिको के लोगों को अमेरिका में आने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती। वे 24 घंटे बिना वीजा के अमेरिका में रह सकते है। इस कारण मेक्सिको से रोज लाखों लोग अमेरिका में घुस आते है। इसके अलावा ऐसे लोग भी है, जो बिना सरकारी अनुमति के अवैध रूप से अमेरिका में घुस आते है। अब बुश चाहते है कि मेक्सिको की सीमा पर एक विशाल दीवार बना दी जाए। इस दीवार को बनाने का खर्च है 5 अरब 70 करोड़ डाॅलर यानी करीब 40 हजार करोड़ रूपए। अमेरिकी संसद में विपक्षी इसका विरोध कर रहे है। ट्रम्प चाहते है दीवार बने, क्योंकि यह उनके चुनावी घोषणा पत्र में था और विपक्ष चाहता है कि इतना पैसा दीवार बनाने पर खर्च करने की जरूरत नहीं है। इस दीवार के चक्कर में अमेरिका में करीब 8 लाख लोग घर बैठे है और यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा शटडाउन घोषित हो चुका है। दीवार के लिए संसद से फंड की मंजूरी ना मिलने पर ट्रम्प ने यह भी धमकी दे दी है कि वे नेशनल इमरजेंसी घोषित कर सकते है।

अमेरिकी के इतिहास में 5 बार पहले भी ऐसे अवसर आ चुके है। जब सरकारी शटडाउन लागू हुआ था। अक्टूबर में बराक ओबामा के जमाने में ओबामा केयर योजना के लिए सरकार के पास पैसे नहीं थे, तब दो सप्ताह का शटडाउन किया गया था, लेकिन सबसे बड़ा शट डाउन बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति रहते हुआ था, तब 15 दिसंबर 1995 से लगातार 21 दिन तक यह शटडाउन रहा। 1981, 1984 और 1990 में भी ऐसे हालात रहे।

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अब अमेरिका में इस शटडाउन को लेकर राजनीति चरम पर है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति चाहे, तो एक लघु अध्यादेश जारी कर सकते है और शटडाउन की समाप्ति की घोषणा भी कर सकते है। अमेरिकी संसद की स्पीकर नेनसी पेलोसी के अनुसार समाधान यह हो सकता है कि आंशिक फंड इसी वर्ष जारी कर दिया जाए और बाकी फंड अगले वर्ष समायोजित किया जाए। एक तीसरा विकल्प यह बताया जाता है कि अमेरिकी संसद ट्रम्प के आदेश को विटो कर दे और अपना मनचाहा फैसला ले ले। चौथा विकल्प यह बताया जा रहा है कि मेक्सिको के वर्कर्स को वीजा दे दिया जाए और काम करने दिया जाए। अंतिम विकल्प यह भी है कि राष्ट्रपति चाहे, तो इमरजेंसी घोषित कर सकते है और अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों पर किए जाने वाला खर्च दीवार बनाने की तरफ मोड़ सकते है। कई कानूनी विशेषज्ञ मानते है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को इतने अधिकार नहीं है कि वे अपना रक्षा बजट कम कर दें और दीवार पर राशि खर्च करें। ऐसे में बहुत सी कानूनी उलझनें हो सकती है। आगामी 29 जनवरी को राष्ट्रपति ट्रम्प अमेरिकी संसद में एक बयान देने वाले है आशा है, तब तक यह शटडाउन समाप्त हो चुका हो।

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