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अब तक सस्टेनेबल यानी दीर्घकालिक या लंबे समय तक चल सकने वाली बातों में उर्जा या पानी के वितरण की ही चर्चा होती रही है, लेकिन अब लगता है कि पत्रकारिता में भी इसका जिक्र होना जरूरी है। आज पत्रकारिता की जो हालात है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि पत्रकारिता को भी सस्टेनेबल बनाइए। ऐसा न हो कि क्षरण होते-होते पत्रकारिता का भी युग समाप्त हो जाए।

प्रिंट मीडिया के सामने एक दशक से डिजिटल मीडिया की चुनौती सामने खड़ी है। अनेक देशों में अखबार बंद हो रहे है। पत्रिकाएं तो धड़ल्ले से बंद हो रही है। जो अखबार छप रहे है, उनमें से कई का प्रसार घट रहा है और विज्ञापन कम होने से कई परेशानी में घिर आए है। विज्ञापन के नए-नए माध्यम जन्म लेते जा रहे है और परंपरागत मीडिया खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। गूगल और फेसबुक जैसे माध्यम बड़े-बड़े विज्ञापनदाताओं को अपने पास आने के लिए मजबूर कर रहे है। छोटे अखबारों और प्रकाशनों के सामने जिंदा रहने की समस्या खड़ी हो गई है। उनके सामने नए बिजनेस मॉडल है ही नहीं।

अब वर्डप्रेस ने एक नई पहल की है। वर्डप्रेस का दावा है कि यह पहल छोटे प्रकाशनों के लिए जीवनदायिनी का काम करेगी। वर्डप्रेस के अनुसार इस माध्यम को अपनाने से छोटे प्रकाशन भी धन इकट्ठा कर सकेंगे। वर्डप्रेस का दावा है कि इस विकेन्द्रित व्यवस्था से बिना किसी विशेष प्रयास के ही छोटे प्रकाशनों और वेबसाइट को लाभ हो सकेगा। इस व्यवस्था में वर्डप्रेस ‘सिविल पब्लिशर’ नाम का टूल बिल्ड कर रहा है, जो प्लगइन टूल बार में ही नजर आएगा। इसके लिए नेटवर्क पर अलग से आवेदन देना होगा, जिसे सिविल रजिस्ट्री कहा गया है। इसके बाद सीवीएल टोकन उन प्रकाशनों को मिलेगा, जो अपने कंटेंट का नगदीकरण चाहते है।

सिविल का उपयोग वैकल्पिक है। वेबसाइट्स उसका उपयोग कर सकती है और अपनी पाठकों की संख्या भी बढ़ा सकती है। अभी यह शुरूआती स्टेज में ही है और सिविल की टीम इस पूरे प्रोजेक्ट को मॉनिटर कर रही है। इस पूरी परियोजना में लेन फेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म, द नाइट फाउंडेशन और गूगल न्यूज इनीशिएटिव सहयोग कर रहे है। इसका मतलब यह हुआ की भविष्य में वर्डप्रेस पर और बेहतर कंटेंट उपलब्ध हो सकेंगे और उनका नगदीकरण भी हो पाएगा।

यह व्यवस्था न्यूज वेबसाइट्स के लिए ही है। आशा है कि आगामी जुलाई तक इस पर काम शुरू हो जाएगा। फरवरी तक यह तय होना है कि संभावित न्यूज वेबसाइट्स को किस तरह के कंटेंट उपलब्ध कराने है। कंटेंट और विज्ञापन में तालमेल के लिए अध्ययन का कार्य जारी है। फिलहाल यह सेवा नि:शुल्क रहेगी, लेकिन जनवरी 2020 से इसके लिए वर्डप्रेस भी फीस लेने लगेगा। यह फीस 1000 और 2000 डॉलर प्रतिमाह की प्रस्तावित है। यह फीस ज्यादा लग सकती है, लेकिन फीस का निर्धारण भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करेगा। जैसे अमेरिका और यूरोप की वेबसाइट को ज्यादा फीस देनी पड़ेगी।

इसका मायना यह है कि वर्डप्रेस अब ज्यादा व्यावसायिक होकर काम करेगा, उसका लक्ष्य है कि उसके यूजर्स धन कमाएं और उसके साथ शेयर करें। इससे डिजिटल मीडिया में छोटे-छोटे उद्यमियों को लाभ होगा, लेकिन प्रिंट मीडिया की हालत तो सुधरने वाली नहीं। हां, छोटे प्रकाशनों की वेबसाइट को कमाई के रास्ते मिलेंगे। वैसे भी आजकल लगभग सभी प्रकाशन डिजिटल प्लेटफार्म पर तो है ही।

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