क्या नरेन्द्र मोदी के खास लोगों की मंडली में से बाबा रामदेव का नाम कट गया है? पिछले लोकसभा चुनाव में बाबा रामदेव कहीं नजर नहीं आए। उसके पहले में घोषणा कर चुके थे कि वे चुनाव में सक्रिय नहीं रहेंगे। अब 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है और उस मौके पर भी जितनी सक्रियता बाबा रामदेव की तरफ से दिखनी चाहिए थी, वह नज़र नहीं आ रही। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर रोज़ सुबह अपने पर्सनल ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो शेयर कर रहे हैं। यह वीडियो योग के बारे में होता है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की शानदार सफलता पर संडे गार्डियन में एक विशेष रिपोर्ट छपी है। रिपोर्ट के अनुसार चुनाव में भारी सफलता के पीछे जो मुख्य कारण है, वह है मतदाता का मन समझने में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की कुशलता। अखबार के अनुसार दोनों नेता मतदाता के मन में क्या है, यह बात समझने में पूरी तरह सफल रहे और उन्होंने उसी के हिसाब से चुनाव अभियान चलाया। नतीजे में लोगों ने उन्हें भारी सफलता प्रदान की। नरेन्द्र मोदी की हाल ही में 8 जून को हुई सभा में उन्होंने इसका जिक्र भी किया है।
केरल में एक नया पर्यटन स्थल विकसित हुआ है, जो विश्व में तीर्थ स्थल की जगह ले सकता है। यह है जटायु अर्थ्स सेंटर। हिन्दी में इसे जटायु पर्वत कहना ज्यादा सही लगता है। इस स्थान पर एक विशाल पहाड़ी की चोटी पर जटायु का शिल्प बनाया गया है। यह शिल्प 200 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊंचा है। 65 एकड़ के इस जटायु पर्वत की चोटी पर चट्टानों को तराश कर जटायु के पंख बनाए गए है। उसी जटायु के जिसने सीता के अपहरण करने वाले रावण के साथ आकाश में युद्ध किया था और रावण को अपहरण करने से रोका था। बदले में रावण ने जटायु के पंख काट दिए थे, जिससे वह जमीन पर आ गिरा था।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में 2009 से 2013 तक कार्य करने वाली सामंथा विनोगार्ड का मानना है कि दुनिया में नया ध्रुवीकरण हो रहा है। इस ध्रुवीकरण के कारण अमेरिका के खिलाफ तमाम देश लामबंद हो रहे है। जो देश अमेरिका के करीबी थे, वे भी दूर छिटक रहे हैं और जो दूर थे, वे और भी ज्यादा दूर जा रहे हैं। इन सबके चलते भविष्य में अमेरिका अलग-थलग पड़ सकता है। इसका एक मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का व्यवहार बताया जाता है। यह अमेरिका के हित में नहीं है और न ही अमेरिका के सहयोगी मूल के हित में।
लीग क्रिकेट में हो रहा है भारत-पाक संघर्ष
भारत और पाकिस्तान की सीमाओं पर ही तनाव नहीं है। तनाव क्रिकेट में ही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद इस तरह की मांग हो रही है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट न खेला जाएं। आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को पहले से ही प्रतिबंध किया जा चुका है। भारतीय कंपनी ने दुबई में होने वाली पाकिस्तान सुपर लीग के मैचों का प्रसारण रोक दिया था, जिसके विरोध में अब पाकिस्तान ने इंडियन प्रीमियर लीग के मैचों पर रोक लगा दी है। ये बातें ऊपर से जितनी साफ नजर आती है, उतनी साफ है नहीं। दरअसल इसके पीछे क्रिकेट में लगने वाला अपार धन है।
पिछले हफ्ते अमेरिका के वाशिंगटन पोस्ट ने नरेन्द्र मोदी के बारे में एक बेहद आपत्तिजनक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें मोदी की तुलना किसी तानाशाह से की गई थी, लेकिन देखते ही देखते अमेरिकी मीडिया के स्वर बदले हुए नजर आ रहे हैं। अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने ओपिनियन पृष्ठ पर स्टीवन रेटनर का एक लेख छापा है, जिसका शीर्षक है - वाय इंडिया नीड्स मोदी। स्टीवन रेटनर ओबामा प्रशासन में ट्रेजरी सेक्रेटरी थे और उन्हें लगता है कि नरेन्द्र मोदी की जीत न केवल उनके या उनकी पार्टी के लिए, बल्कि भारत के लिए भी अच्छी है।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए कुछ मोबाइल ऐप बहुत ही खतरनाक है। अगर आपके करीबी किसी बच्चे ने ये ऐप अपने मोबाइल में अपलोड कर रखे हो, तो कोशिश कीजिए कि उन्हें डिलीट कर दिया जाए। संभावित परेशानी से बचने का यह अच्छा तरीका है। पुलिस का तो यह भी कहना है कि अपने बच्चों के मोबाइल की पड़ताल करते रहे और देखते रहे कि वे कौन से ऐप डाउनलोड कर रहे है। बच्चों के मोबाइल की प्राइवेसी सेटिंग की भी जांच करते रहे और फोन तथा उसके ऐप के इस्तेमाल के बारे में उनसे चर्चा करते रहे। पुलिस का कहना है कि बच्चों के मोबाइल में ये ऐप खतरनाक हो सकते है :
न्यूयॉर्क टाइम्स के कार्यकारी संपादक डीन बाक्वट ने इंटरनेशनल न्यूज मीडिया एसोसिएशन वर्ल्ड कांग्रेस में यह बात कही है कि अमेरिका में अखबारों की उम्र 5 साल बची है। दूसरे देशों में यह अवधि 10 से 15 साल तक हो सकती है, लेकिन यह तय है कि अखबार बंद होते जा रहे है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रिंट मीडिया के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है। उनका इकॉनामिक मॉडल फ्लाॅप हो चुका है और वे किसी तरह जिंदा बचे हुए हैं। 5 साल बाद भी वे अखबार बचे रहेंगे, जिनके पीछे बड़े-बड़े कार्पोरेट घराने हैं। वरना स्वतंत्र मीडिया की उम्र ज्यादा बची नहीं है।
अल सल्वाडोर में सोशल मीडिया के स्टार की जीत राष्ट्रपति चुनाव में होना सोशल मीडिया के बढ़ते महत्व को बताता है। हाल ही हुए राष्ट्रपति चुनाव में 37 वर्ष के नायिब बुकेले को बहुमत मिला है। बुकेले इसके पहले अल सल्वाडोर की राजधानी सेन अल्वाडोर के मेयर रह चुके है। चुनाव के पहले राउंड से ही बुकेले आगे चल रहे थे।
सन 2013 से राजेश जैन भारतीय जनता पार्टी के इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी रणनीतिज्ञ हैं। उन्होंने ही सबसे पहले फेसबुक और वाट्सएप का उपयोग भाजपा के प्रचार में करना शुरू किया। यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का काम रहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पार्टी की छवि बनाने के लिए लंबा-चौड़ा काम किया। फेसबुक इंडिया के अधिकारियों की मदद भाजपा ने ली और भाजपा के आईटी सेल के अनेक कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी गई। भाजपा की छवि चमकाने के लिए विज्ञापन जगत के कई विशेषज्ञों की राय ली गई, जिनमें प्रहलाद कक्कड़, सजन राजगुरू और अनुपम खेर प्रमुख हैं। इन्हीं लोगों ने सलाह दी थी कि सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी की छवि ऐसी बनाई जाए, जिसे लार्जर देन लाइफ कहा जाता है। 2014 आते-आते नरेन्द्र मोदी की छवि बनकर तैयार हो गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के खासमखास डॉ. हिरेन जोशी ने मोदी की छवि चमकाने का कामकाज संभाल लिया। आजकल यह काम प्रधानमंत्री कार्यालय के ओएसडी कर रहे हैं। उनके साथ तकनीकी क्षेत्र के दो विशेषज्ञ भी हैं। नीरव शाह और यश राजीव गांधी। डॉ. हिरेन जोशी का फेसबुक से पुराना संपर्क रहा है। माय जीओवी इंडिया वेबसाइट के डायरेक्टर अखिलेश मिश्रा भी नरेन्द्र मोदी की छवि बनाने में लगे है। बीजेपी आईटी सेल के पूर्व प्रमुख अरविन्द गुप्ता को पिछले दिनों माय जीओवी इंडिया का प्रमुख बनाया गया है।
सोशल मीडिया पर कुछ वर्षों से ताइवान की गिगि वू छाई हुई थी। वे सोलो ट्रेवलर और सोलो हाइकर थी। अनेक पर्वत शिखरों पर उन्होंने अपने झंडे गाड़े। अकेले ही ट्रेवल करती थी और पहाड़ पर भी अकेली ही चढ़ती थी। पहाड़ की चोटी पर पहुंचकर वे अक्सर अपने बिकिनी शॉट्स लेती और फिर सोशल मीडिया पर शेयर करती थी। उनकी खूबी यह थी कि वे अनुभवी और प्रशिक्षित पर्वतारोही थी। पहाड़ पर चढ़ने के सभी उपकरण साथ लेकर चलती थी और दिलचस्प अंदाज में अपनी तस्वीरें शेयर करती थी।