राहुल बारपुते उन सम्पादकों में से हैं, जिन्होंने अपने खून-पसीने से हिन्दी पत्रकारिता की नींव की सींचा। उन्होंने आजाद भारत की नई विधा की हिन्दी पत्रकारिता की दिशाएं तय की और नई पौध तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह बाबा यानी राहुल बारपुते का ही कमाल था कि राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी, शरद जोशी, आलोक मेहता, डॉ. रणवीर सक्सेना, नरेन्द्रकुमार सिंह जैसे सम्पादक तैयार हो सके।