अटलबिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के सबसे लोकप्रिय अभिनेता और नेता है। वे भाजपा के ट्रेडमार्वâ हैं। वे रोमांटिक मिजाज के हाजिर जवाब और ऊर्जावान नेता है। वे कवि, नेता, पत्रकार, अभिनेता ओर अविवाहित हैं।अब वे फिर कस रहे हैं कि वे भाजपा का झंडा थामकर और आगे नहीं जाएंगे। न ही वे लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहेंगे। पहले भी एक बार उन्होंने कहा था कि वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते।
राबर्ट ग्रेब्रिएल मुगाबे अब निगुर्ट आंदोलन के नए नेता हैं। वे १९८९ तक इस पद पर रहेंगे। पिछले साल जब जिम्बाब्वे निर्गुट आंदोलन का नेता चुना गया था, तब लीबिया की बड़ी इच्छा थी, नेतृत्व की। मगर लीबिया के नेता कर्नल गद्दाफी कामयाब नहीं हो सके क्योंकि तंजानिया के राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे और भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी राबर्ट मुगाबे के पक्ष में थे।
धारणा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग हो सकता है। बाबा आमटे इस धारणा को तोड़ते हैं। वे छोटी-बड़ी बीमारियों के १६ आपरेशन करवा चुके हैं-ब्रेन ट्यूमर से लेकर स्पाइलाइटिस तक के। वे बैठ नहीं सकते, लेट सकते हैं या खड़े रह सकते हैं। उनका शरीर बीमारियों का आरामगाह बना हुआ है और वे ७१ साल के बूढ़े भी हैं। मगर मन और दिमाग से वे १७ साल के ही लगते हैं।
जहांगीर रतनजी दादाभाई (जे.आर.डी.) टाटा को हाल ही में दादाभाई नौरोजी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हालांकि उनके पास देश-दुनिया के दर्जनों पुरस्कार और सम्मान हैं, लेकिन हमारे यहां व्यापार-व्यवसाय क्षेत्र की प्रतिभाओं को उचित सम्मान प्राय: नहीं मिल पाता। टाटा परिवार के ही कुछ अच्छे कार्यों का श्रेय हम राजनीतिक सत्ता को देते रहे हैं। भारत ने हर बात का श्रेय नेताओं को जाता है। यहां व्यापार-व्यवसाय करना और सफलता पूर्वक करना वाकई मुश्किल काम है।
बलराम जाखड़ ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में वाकई कीर्तिमान कायम किए हैं। वे इतने लम्बे समय तक लोकसभा की अध्यक्षता करने वाले एकमात्र नेता हैं। अब तक लोकसभा अध्यक्ष पर सदन की कार्रवाई के दौरान पक्षपात करने के ही आरोप लगे हैं, लेकिन बलराम जाखड़ के खिलाफ लगाए गए आरोप अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं। यों साठ के दशक में लोकसभा अध्यक्ष हुवूâम सिंह पर भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाए गए थे, मगर वे आरोप झूठे साबित हुए थे।
तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन वाकई हीरो हैं। जो चाहते हैं, कहते हैं। जो इच्छा होती है, करते हैं। हाल ही उन्होंने अपने प्रशंसको से कहा है कि वे आत्मरक्षा के लिए अपने पास चावूâ रखा करें, क्योंकि पुलिस उनके दुश्मनों से निपटने में समर्थ नहीं है। यह तो उन्होंने तब कहा जबकि वे मुख्यमंत्री हैं। अगर वे मुख्यमंत्री नहीं होते, तो शायद प्रशंसकों को सलाह देते कि आत्मरक्षा के लिए अपने पास मशीनगन या तोप रखा कीजिए, क्योंकि सरकार हमारी नहीं है।
भारत में लोकतांत्रिक राजतंत्र है। यह बात माधवराव सिंधिया और अन्य पूर्व राजाओं को मिले महत्व से स्पष्ट है। फिलहाल श्री सिंधिया पर विदेशी मुद्रा नियमन कानून को तोड़ने का आरोप है, मगर कोई सघन कार्रवाई उन पर नहीं हो रही है। शायद इसलिए कि वे पूर्व राजा, केन्द्रीय राज्य मंत्री और मध्यप्रदेश में कांग्रेस का वोट बैंक हैं।
पदमश्री बावकौड़ी व्यवंâट कारंत भोपाल के रंगमंडल की नायिका विभा मिश्र को जलाने के लिए दोषी है या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा। मगर इस कांड के बाद उनका नाम भी रामराव आदिक तथा जे.पी. पटनायक जैसों की सूची में आ गया है जो रंगकर्म से जुड़े लोगों के लिए कष्टकर है। कांरत करीब बीस साल से रंगमंच ये जुड़े हैं। वे बेहतरीन नाट्य निर्देशक, कलाकार और संगीतकार हैं।
अगर प्रकाशचन्द्र सेठी आत्मकथा लिखें तो खूब बिकेगी। वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और केन्द्र में ग्रह, रेल, रक्षा उत्पादन, आवास व निर्माण, खान, पैट्रोलियम व रसायन आदि विभागों के मंत्री रहने के अलावा कांग्रेस के बहुत ही कुशल कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। इससे भी बढ़कर है उनकी अपनी शख्सियत।
अब रामधन भी पं. कमलापति त्रिपाठी के रास्ते पर हैं। उनकी शिकायत है कि राज्यसभा और विधानपरिषद के चुनावों में पिछड़ी जाति के लोगों की उपेक्षा हो रही है। पिछड़े लोगों की उपेक्षा का मुद्दा उन्होंने ऐसे वक्त में उठाया है, जब कांग्रेस की राजनीति पूरे उबाल पर है। वैसे रामधन सुलझे हुए पढ़े-लिखे, ऊर्जावान और प्रगतिशील नेता है, मगर दुर्भाग्य से वे राजनीति में ऐसे सिक्के बन गए हैं, जो चलने से बाहर हो गया है।