इन्दौर में राजपूत समाज के कुछ नेता आरक्षण की मांग को लेकर संभागायुक्त कार्यालय के सामनेधनरा देंगे। अब राजपूतों को भी आरक्षण चाहिए। इसके पहले ब्राह्मणों का एक वर्ग भी आरक्षण की मांग कर चुका है। ऐसे लोग भी हैं जो आरक्षण के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। लेकिन चूंकि देश में वोटों की राजनीति चलती है इसलिए आरक्षण का विरोध कोई भी खुलकर नहीं करता। नेताओं को लगता है कि आरक्षण का विरोध चुनाव में उन्हें महंगा पड़ेगा।
वास्तव में आरक्षण को लेकर किसी का भी विरोध नहीं है। विरोध है तो इस बात का कि आरक्षण युक्तयुक्त नहीं है। जो लोग क्रीमी लेयर में आ चुके हैं वे भी आरक्षण की मलाई खा रहे हैं। जो लोेग आरक्षण के सुपात्र हैं वे अभी भी उपेक्षित हैं। वास्तव में नेता लोग आरक्षण को युक्तियुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उदाहरण के लिए आरक्षित कोटे से मेडिकल कॉलेज मेैं प्रवेश पाना आसान है लेकिन परीक्षा पास किए बिना कोई भी डॉक्टर नहीं बन सकता।
स्पष्ट है कि अयोग्य व्यक्ति को डॉक्टर नहीं बनाया जाता लेकिन हमारे नेता है जो बीमार पड़ने पर सीधे विदेश जाकर इलाज कराते हैं। हमारे नेताओं को चाहिए कि वे केवल आरक्षित कोटे से चिकित्सा की डिग्री लेने वाले डॉक्टरों से ही इलाज कराएं। इससे लोगों में यह भावना बलवती होगी कि ये लोग वास्तव में दलितों के हितैषी हैं। इससे अनारक्षित वर्ग के चिकित्सकों का अहम टूटेगा और समाज में एकजुटता की भावना आएगी। आरक्षित कोटे के चिकित्सकों में इससे आत्मविश्वास आएगा। जहां तक राजपूत समाज को आरक्षण देने की बात है, यह वर्ग तो पहले ही समाज में अग्रणी है। मध्यप्रदेश में अजजा और राजपूत समाज की आबादी का प्रतिशत देखिए और मंत्रिमंडल में स्थान पाने वालों का प्रतिशत देखिए। अजजा के कितने मुख्यमंत्री हुए हैं मध्यप्रदेश में? समाज में व्यापार, व्यवसाय, संपत्ति, वरिष्ठ पदों पर निजी क्षेत्र की नौकरियां किसके कब्जे में है? इनमें से अधिकतर पर समाज के अनारक्षित वर्ग के लोगों का कब्जा है। सत्ता का अर्थ सिर्पâ सरकारी नौकरी या मंत्री का पद नहीं है। सत्ता आर्थिक भी होती है और सामाजिक भी। इस सत्ता पर पहले से ही कुछ खास वर्ग के लोगों का कब्जा है। उन्हें अब सरकारी नौकरी में भी आरक्षण चाहिए?
वास्तव में आरक्षण की राजनीति से मुक्त हुए बिना समाज का भला नहीं हो सकता। नेताओं ने आरक्षण को सामाजिक विषमता दूर करने का रामबाण इलाद समझ लिया है, जो सही नहीं है।
प्रकाश हिन्दुस्तानी
चौथा संसार