म.प्र. का ह्ययूमन डेवलपमेंट इंडेक्स चाहे जो हो, जनता के स्वास्थ्य की हालत बुरी है। नीम-हकीम दुकानें खोलकर बैठे हैं और लोगों का इलाज कर रहे हैं। इलाज कराने वालों में ज्यादातर अल्पशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग हैं, इसलिए उनकी ओर देखने वाला कोई नहीं है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और प्रशासन को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं कि नीम-हकीम क्या कर रहे हैं? इन्दौर में विभिन्न बस्तियों का सर्वे करने पर पाया गया कि वहां नाई, कसाई, कबाड़ी, मैकेनिक, खतना करने वाले और मंजन बेचने वाले भी मेडिकल प्रेक्टिस कर रहे हैं और खुद को डॉक्टर बता रहे हैं। इन तथाकथित डॉक्टरों ने चिकित्सा के पेशे को ही मजाक बना रखा है और गरीब मरीजों को ऐसी-ऐसी दवाएं खिला रहे हैं, जिसके परिणाम जानलेवा हो सकते हैं। अगर इन्दौर जैसे शहर का यह हाल है, तो छोटे-छोेटे गाँवों का क्या हाल होगा?
दुर्भाग्य की बात यह है कि म.प्र. सरकार भी इन झोलाछाप डॉक्टरों के खतरे से जनता को वाकिफ नहीं करा रही है। उल्टे तरह-तरह के प्रमाण पत्र देकर ऐसे झोला छाप डॉक्टर पैदा किये जा रहे हैं, जो लोगों की जान से खेल रहे हैं। इन डॉक्टरों को प्रमाण-पत्र बांटनेवाली दुकानें प्रभावशाली लोगों की बताई जाती है, जिसकी कमाई में से हिस्सा ऊपर वालों तक पहुंचता है। दूसरी तरफ सरकारी खर्चे में कटौती के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ पदों पर रिटायर हो चुके अधिकारियों को कुर्सी थमा दी गयी है। ये अधिकारी पेंशन भी लेते हैं और ठेके पर काम भी करते हैं। वास्तव में ये लोग सिर्पâ ठेके पर है, काम बिल्कुल नहीं करते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में इन लोगों के काम न करने से सरकार को कोई फर्वâ नहीं पड़ता, क्योंकि जो लोग इनके शिकार हो रहे हैं, वे अतिप्रभावशाली लोग नहीं, बल्कि आम नागरिक है। जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली यह वैâसी व्यवस्था है? सारी दुनिया में जन स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखा जाता है। और उसी हिसाब से उस मद पर कर्च होता है। हमारे यहां स्वास्थ्य पर राशि खर्च करना तो दूर, जन स्वास्थ्य पर गंभीरता से विचार तक नहीं होता। जनस्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर सरकार की यह लापरवाही आपराधिक कृत्य मानी जानी चाहिये और दोषी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिये। मामला चाहे फर्जी डॉक्टरों का हो या फर्जी दवाओं का। लापरवाही चाहे अफसरों की हो, चाहे नेताओं की, भगतना तो जनता को ही पड़ता है। जनता खुद चेते तो काम आसान हो जायेगा।
प्रकाश हिन्दुस्तानी
चौथा संसार