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भाजपा की नेता उमा भारती ने बीती रात इंदौर की रेसीडेंसी कोठी में छत पर सोने की इच्छा जताई थी, जिसे दिग्विजयसिंह की सरकार पूरी नहीं कर पाई। कितना दुर्भाग्यजनक है कि कोई भूतपूर्व मंत्री और भूतपूर्व (?) भावी मुख्यमंत्री सरकारी आरामगाह में छत पर सोने की इच्छा जताए और वह पूरी न हो पाए। छत पर सोने को लेकर हिन्दी फिल्मों में अनेक गाने चल पड़े हैं। इस खबर के साथ ही उन गानों की याद हो आई। उनमें से कुछ गाने तो ऐसे हैं, जिन्हें लिखना उचित नहीं होगा। छत हो और गर्मी का सीजन हो, बिजली की कटौती हो तो कौन छत पर नहीं सोना चाहेगा? 

उमा भारती अगर साधारण नागरिक होतीं, तो उन्हें यह सौभाग्य और सुविधा अवश्य मिल जाती। उन्हें छत पर सुलाने की व्यवस्था करने में रेसीडेंसी के सात नम्बर कक्ष का पलंग छत पर ले जाने की कोशिश भी की गई, लेकिन हाय रे! कम्बख्त रेसीडेंसी कोठी की सीढ़ियां। इतनी संकरी सीढ़ियां कि पलंग भी छत पर न ले जाया जा सका। किसी तरह उमाजी के विश्राम की व्यवस्था बरामदे में की गई, लेकिन तब तक उमाजी का मूड बदल चुका था। उन्होंने अपने वातानुवूâलित कक्ष में ही विश्राम करना बेहतर समझा।

अब हो सकता है कि उमाजी की यह छोटी-सी इच्छा भी उनके विरोधियों के लिए चटखारे का विषय हो जाए। क्या करें, उमाजी का व्यक्तित्व है ही ऐसा। वे जो कुछ करती हैं या कहती हैं वह विवादों को जन्म दे देता है। कुछ साल पहले एक पत्रिका ने संन्यासिन उमाजी का इंटरव्यू लिया और शीर्षक लगा दिया- सेक्सी संन्यासिन। उस पर बड़ा बावेला मचा। अब केक कांड चल रहा है। इसके पहले विनिवेश का मुद्दा था। अयोध्या कांड में भी उनका नाम उनके गुरु श्री मुरलीमनोहर जोशी के साथ कोर्ट-कचहरी में बहुत उछला। कभी उनके चौथी पास या छठी पेâल होने की बात चलती है, तो कभी मिल्खासिंह को देरी से अर्जुन अवॉर्ड देने की। कभी उनके चेले शाहनवाज हुसैन उन्हें चर्चा में ले आते हैं तो कभी... गोविंदाचार्य।

कांग्रेस विधायक सुश्री कल्पना परूलेकर उन्हें मकान नौटंकीबाज कहती हैं, तो कभी उनके द्वारा सोनिया गांधी के विदेशी होने का मुद्दा तूल पकड़ने लगता है। कभी वे दिग्विजयसिंह को विहिप का भूतपूर्व सदस्य कहकर चर्चा में आ जाती हैं, तो कभी सोनियाजी के कथित गोमांस भक्षण को लेकर। आखिर क्या करें उमाजी, वे हैं ही ऐसी सख्सियत कि हर विवाद उनके पीछे-पीछे चला आता है।


-प्रकाश हिन्दुस्तानी
२८ अप्रैल २००३

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