जितना हो-हल्ला सॉफ्ट ड्रिंक की बोतलों को लेकर हो रहा है उससे लगता है कि हमें सॉफ्ट ड्रिंक पीने वालों की बहुत चिंता है। सांसद से लेकर मीडिया तक इस मुद्दे को उछाल रहे हैं। ऐसी ही चिंता स्वच्छ पानी और शुद्ध दूध को लेकर होती तो और अच्छा होता।
भारत में सॉफ्ट ड्रिंक पीने वालों की संख्या सीमित है। अमेरिका में लोग भजोन के साथ पानी की जगह सॉफ्ट ड्रिंक और जर्मनी में लोग पानी की जगह बियर पीते हैं। भारत में अगर लोगों को पीने का साफ पानी और शुद्ध दूध मिल जाए तो वे निहार हो जाएं। भारत में लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है। करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कभी कोल्ड ड्रिंक चखा तक नहीं। भारत की एक बड़ी आबादी को पीने का पानी भी आसानी से उपलब्ध नहीं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, लेकिन भारत में दूध पीने वालों की बुरी हालत है। कभी दूध में वाशिंग पावडर जैसे तत्व मिलाकर कृत्रिम दूध बनाने की खबरें आती हैं, तो कभी अशुद्ध पानी मिलाने की।
सॉफ्ट ड्रिंक में हमें अशुद्धता की चिंता इसलिए है कि यह आम लोगों का पेय नहीं, बल्कि उच्च और उच्च मध्य वर्ग का पेय है। जो चीज आम लोगों की नहीं हो, वह हमारे लिए खास होती है। यह वैसा ही है, जैसे कि हमें मलेरिया और टीबी की बीमारी की उतनी चिंता नहीं, जितनी एड्स की है। अगर हम अशुद्ध पानी पर चिंता व्यक्त करेंगे तो हमें शुद्ध पानी उपलब्ध कराना पड़ेगा, जिसे उपलब्ध कराने में हमारे नेताओं को कोई दिलचस्पी नहीं है। शुद्ध पानी की चिंता न करना हमारे आकाओं को पोसाता है।
शुद्ध पानी का मानक क्या हो, हमारे देश में यह बात ही तय नहीं है। कोई कानून ऐसा है, जो बताए कि शुद्ध पानी का मानक क्या हो? कितने गंदे पानी को हम शुद्ध पानी मान लें (क्योंकि शुद्ध पानी तो मिलने से रहा)? हाल ही में पड़ताल करने पर पता चला कि भारत में शुद्ध पानी का कोई मानक नहीं है। यानी पानी में फिटकरी हो तो भी चलेगी और फ्लोराइड हो तो भी चलेगा। हम भारतीय मानते हैं कि पानी तो शुद्ध ही होता है और शुद्ध करना ही पानी का काम है।
संसद में सॉफ्ट ड्रिंक को लेकर जो विवाद हुआ है, उसके पीछे कई और कारण भी बताए जाते हैं। एक कारण इन बहुराष्ट्रीय वंâपनियों द्वारा दिया जाने वाला चंदा भी है। जिस तरह से भारत में इन वंâपनियों का स्वागत किया जाता रहा है, उससे इस शंखा को बल मिलता है। सॉफ्ट ड्रिंक तो शुद्ध मिलना ही चाहिए, मगर इसके पहले सभी को शुद्ध पेयजल और शुद्ध दूध उपलब्ध हो, इसकी कोशिश करना चाहिए।
-प्रकाश हिन्दुस्तानी
११ अगस्त २००३