Bookmark and Share

लोगों को अखबारों से शिकायत होती है कि वे बुरी खबरों से भरे पड़े हैं। दुर्घटनाएं, बलात्कार, हत्या, बढ़ती कीमतें, अव्यवस्था, बिजली कटौती आदि-आदि बातें अखबारों में ज्यादा स्थान पाती हैं। बची-खुची जगह नेता लोग ले उड़ते हैं, जिनकी विज्ञप्तियां और बयान छापे बिना अखबार वालों को भी चैन नहीं।

वास्तव में ऐसा है नहीं। अच्छी खबरें भी अखबारों में पूरा स्थान पाती हैं। मसलन क्या यह अच्छी खबर नहीं है कि इस बार इंदौर में स्वतंत्रता दिवस पर राजवाड़े पर रोशनी करने का जिम्मा किसी एक अधिकारी को नहीं सौंपा गया। अब तक एक खास विभाग के अधिकारी को इसका जिम्मा सौंपा जाता था और वह अधिकारी अपनी जेब से पैसे लगाकर राजवाड़ा को जगमगाता था। राजवाड़ा पर लगे झालर, बल्ब, हैलोजन आदि का खर्चा अधिकारी अपनी जेब से उठाता था। उस जेब में पैसा कहां से आता होगा, यह बताने की जरुरत नहीं है। स्वतंत्रता दिवस पर राजवाड़ा ऊपरी कमाई से रोशन नहीं होगा। एक और अच्छी खबर है कि मुंबई-दिल्ली की तरह यातायात पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक्स सिंगल्स लगाए हैं। इससे अनुशासनप्रिय वाहन चालकों को सुविधा हुई है और पुलिसकर्मियों को भी।

हड़ताल की खबरें हमेशा बुरी होती हैं, क्योंकि उससे लोगों को परेशानी होती है। जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं यह बुरी खबर है, लेकिन एक छोटा-सा अच्छा पहलू यह है कि हड़ताली डॉक्टरों ने एमवाय अस्पताह के बाहर ओपीडी खोलकर मरीजों का इलाज ुशुरू कर दिया है। एक और अच्छी खबर यह है कि जिन प्रायवेट स्वूâलों पर मान्यता रद्द होने की गाज गिर रही थी, उन्हें कुछ राहत मिल सकती है। एक और अच्छी खबर यह है कि इंदौर नगर निगम के कुछ अधिकारी और पार्षद आर्ट ऑफ लिविंग का कोर्स कर रहे हैं, ताकि जीवन को बेहतर तरीके से जीने की कला सीख सवेंâ। एक और अच्छी खबर यह भी है कि अवैध पशु पालकों के खिलाफ नगर निगम और जिला प्रशासन मिल-जुलकर अभियान चलाएगा। ताकि सड़कों से पालतू मवेशियों को हटाया जा सके। यह खबर उन पशु चालकों के लिए निश्चित ही बुरी है, जो अवैध रूप से शहर के भीतर पशु पालन कर रहे हैं।

हर खबर के दो पहलू होते हैं अच्छा और बुरा, जो खबर किसी एक के लिए बुरी हो सकती है, वह खबर किसी दूसरे के लिए अच्छी भी हो सकती है। ऐसी भी खबरें होती हैं, जो आमतौर पर सभी के लिए अच्छी हों। जैसे चिकित्सा के क्षेत्र में होने वाली उपलिब्धियां जिनका लाभ संपूर्ण मानवता को मिलता है, लेकिन ऐसी खबरें कम ही होती हैं। शायद इसीलिए लोगों के लिए अखबार ब्लडप्रेशर बढ़ाने की मशीन की तरह होते हैं।

-प्रकाश हिन्दुस्तानी

७ अगस्त २००३

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com