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बॉलीवुड के बिना साउथ का काम नहीं चल सकताहाल के दिनों में दक्षिण भारत की 3 फिल्में क्या सुपरहिट हुई, मुंबई फिल्म उद्योग यानी बॉलीवुड का मजाक उड़ाया जाने लगा हैं। कहा जाने लगा कि अब बॉलीवुड के दिन गए। अगर किसी को यह लगता है कि अब बॉलीवुड का महत्व जीरो हो गया है, उन्हें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बढ़िया जवाब दिया है। नवाजुद्दीन ने कहा कि अगर हिन्दी फिल्मों का महत्व खत्म हो गया, तो दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिन्दी में क्यों डब करके रिलीज करते हो?

कोई कुछ भी कहे आरआरआर जैसी फिल्म को भी अजय देवगन और आलिया भट्‌ट की जरूरत पड़ती हैं। केजीएफ को संजय दत्त और रवीना टंडन की आवश्यकता होती है। दक्षिण की सभी सुपरहिट फिल्मों के वितरकों की छानबीन की जाए, तो पता चलेगा कि उनकी फिल्में वितरित करने वाले वे ही है, जो बॉलीवुड की फिल्में रिलीज करते हैं।हाल ही में लगी पुष्पा, आरआरआर और केजीएफ-2 में केवल आरआरआर ही तर्कपूर्ण फिल्म थी। पुष्पा और केजीएफ-2 की कहानी बॉलीवुड की किसी भी घटिया फिल्म की कहानी से बदतर कही जाएगी।

बाहुबली भी एक तरह से कहानी के मामले में दिवालिया ही थी। बाहुबली और आरआरआर में हिन्दुत्व का छोंक मारा गया और लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश भी की। आज के माहौल में यह फॉर्मूला चल गया। बाहुबली में भगवान शिव की भक्ति और आरआरआर में राम और सीता की जोड़ी बनाने की जो कोशिश की गई, वह धार्मिक भावनाओं को बनाने की ही कोशिश थी।हाल ही में केजीएफ-2 को लेकर मीडिया में बहुत खबरें आ रही हैं। फिल्म की कहानी बेतुकेपन की हद तक फॉर्मूला हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि केवल 15 लाख लोगों का सरगना माना जाने वाला हीरो भारत जैसे विशाल देश के लिए चुनौती बन जाता है, जिससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री को आर्मी, नेवी और एयर फोर्स तीनों को झोंक देना पड़ता है। इसके बाद भी हीरो को कुछ ऐसा दिखाया गया, मानो वो हीरो न होकर भगवान का कोई रूप हो।

जय संतोषी मां से लेकर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म दंगल तक। 1975 में शोले रिलीज हुई थी, जिसके 10 करोड़ टिकिट बॉक्स ऑफिस पर बिके थे। उस दौर में सिनेमा के टिकिट के दाम 1-2 रूपये हुआ करते थे। मल्टीप्लेक्स बने ही नहीं थे। आज के दौर में अगर 10 करोड़ सिनेमा टिकटों का औसत मूल्य 200 रुपये प्रति टिकट भी मानें, तो 2000 करोड़ का बिजनेस यह फिल्म कर चुकी थी।

47 साल पहले भारत में सोने का दाम था 540 रूपये प्रति तोला। आज सोना करीब 50 हजार रूपये तोला हैं। इस फिल्म ने 35 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था। अंदाज लगाया जा सकता है कि आज की तारीख में यह बिजनेस 3000 करोड़ का होगा।2001 में रिलीज गदर-एक प्रेम कथा के भी करीब 10 करोड़ टिकट बिके थे। इस फिल्म ने पहले ही हफ्ते में 9 करोड़ 14 लाख रुपये का बिजनेस किया था। दूसरे हफ्ते में यह बढ़कर 9 करोड़ 69 लाख हो गया। 11 हफ्ते में इस फिल्म ने 76 करोड़ 65 लाख रुपये अर्जित किए थे और इसका वर्ल्डवाइड कलेक्शन 132 करोड़ 60 लाख रूपये था। तत्कालिन सोने के भाव की तुलना अगर आज से करें, तो इस फिल्म का कारोबार भी 1600 करोड़ रुपए कहा जा सकता है। बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार 2017 तक यह फिल्म 486 करोड़ रूपए कमा चुकी हैं।

 

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