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जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की तुलना शहीद-ए-आजम भगत सिंह से करने के बाद कांग्रेस ने भले ही शशि थरूर के उस बयान से पल्ला झाड़ लिया हो, सोशल मीडिया पर शशि थरूर के बारे में जो कुछ लिखा गया, वह अकल्पनीय है। गिने-चुने लोग ही शशि थरूर की बात से सहमत नजर आए। अधिकांश ने शशि थरूर की जमकर लूू उतारी। लोगों ने लिखा कि अगर कन्हैया कुमार भगत सिंह के समान हैं, तो शशि थरूर किसके समान हैं? सनी लियोन के?

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सोशल मीडिया पर इस बात पर ज्यादा पोस्ट इसलिए भी नजर आई, क्योंकि 23 मार्च को ही भगत सिंह का बलिदान दिवस था। लोगों ने अपनी ओर से शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को श्रद्धांजलि दी और शशि थरूर को गालियां। इन दिनों की शहादत को याद करते हुए लोगों ने लिखा कि अफजल गुरू के प्रशंसक और पाकिस्तान की सेवा करने वालों की नजर में भगत सिंह क्या है, इसका अनुमान शशि थरूर के बयान से लगाया जा सकता है। यह कन्हैया कुमार का सम्मान है और भगत सिंह का अपमान। लोगों ने यह भी लिखा कि अगर शशि थरूर को कन्हैया कुमार में भगत सिंह नजर आते है तो निश्चित ही सोनिया गांधी में उन्हें भारत माता नजर आती होंगी।

सोशल मीडिया पर लोगों की हाजिरजवाबी और चुटीले जुमलों की भरमार लग गई। कन्हैया कुमार से शुरू हुई बात विजय माल्या तक जा पहुंची। किसी ने यह लिखा कि अगर कन्हैया भगत सिंह है, तो निश्चित ही विजय माल्या काकोरी में ट्रेन लूटने वाले चन्द्रशेखर आजाद होंगे। किसी ने टिप्पणी की कि शशि थरूर के भगत सिंह दो लोग है, इनमें चेतन भगत का भगत और दिग्विजय सिंह का सिंह शामिल है। लोगों ने शशि थरूर के ज्ञान पर टिप्पणियां की और उन्हें समझदारी से बयान देने की सलाह दी।

एक बड़े वर्ग ने शशि थरूर को बयान को शहीद भगत सिंह का अपमान बताया। कहां देश के लिए शहीद होने वाले भगत सिंह और कहां सैनिकों को बलात्कारी कहने वाले कन्हैया कुमार। भगत सिंह की तुुलना जेएनयू के छात्र नेता से करने को कई लोगों ने राष्ट्र के नाम गद्दारी करार दिया और शशि थरूर को चुल्लूभर पानी में डूूब मरने की सलाह दी। शशि थरूर के बयान के साथ ही टीवी न्यूज चैनल भी विवाद में आ गए। लोगों ने लिखा कि टीवी चैनल कन्हैया के बयान को ऐसे सुर्खियां बांट रहे है, मानो भगत सिंह ने ब्रिटिश संसद में बम विस्फोट कर दिया हो।

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शहीद भगत सिंह के लेखों और भाषणों की चर्चा सोशल मीडिया पर आम रही। ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ नामक लेख भी लोगों ने शेयर किया। भगत सिंह की मशहूर सुक्तियां- ‘जिन्दगी तो अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो जनाजे उठते हैं’ और ‘अगर विकास चाहिए, तो हर रूढ़िवादी चीज का विरोध करना पड़ेगा।’ सोशल मीडिया पर एक कमेंट यह भी आया कि आज भी वह रस्सी संग्रहालय में है, जिससे गांधी जी बकरी बांधा करते थे, लेकिन वह रस्सी कहीं नहीं मिल रही, जिसके सहारे भगत सिंह को फांसी दी गई थी। जब इश्क और क्रांति का अंजाम एक ही है, तो रांझा बनने से अच्छा है, भगत सिंह बन जाओ।

भगत सिंह ने लोगों से कहा था कि कम से कम जीवन में एक बार तो ऐसा काम करो, जो देश के काम आए। पता नहीं भगत सिंह की इस बात पर कितने लोग अमल कर पा रहे है, लेकिन भगत सिंह के विचारों को जगह-जगह शेयर जरूर किया जा रहा है। भगत सिंह के बलिदान दिवस पर देशभर में गोष्ठियां, समारोह, नुक्कड़ नाटक आदि का आयोजन हुआ। लोगों ने भगत सिंह की तस्वीरें और उद्धरण शेयर किए। भगत सिंह फिर से और कहीं जीवित हुए हो या ना हुए हो, सोशल मीडिया पर जरूर पुर्नजीवित हुए हैं। लोगों ने जिस तरह शशि थरूर के बयान को लिया, उससे साफ है कि जनमानस में शहीद भगत सिंह की छवि कितनी गहरी है। अच्छी बात यह है कि यह छवि न केवल भारतीयों के मन में बल्कि पाकिस्तानियों के मन में भी है, क्योंकि आजादी की लड़ाई में भगत सिंह ने दोनों ही देशों की स्वतंत्रता हासिल की थी। भगत सिंह का बलिदान स्थल पाकिस्तान में है और वहां भी उनका उतना ही सम्मान है, जितना भारत में है।

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