लंदन में मैडम तुसाद के स्टुडियो में 28 अप्रैल को नरेन्द्र मोदी के मोम के पुतले का अनावरण होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टाइम पत्रिका ने विश्व के दस सबसे प्रभावशाली लोगों में गिना है, उनके लिए मैडम तुसाद का स्टुडियो कोई खास मायने नहीं रखता। यूं भी मैडम तुसाद का स्टुडियो एक कमर्शियल वेंचर है। दुनिया के कई शहरों में प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में उनके स्टुडियो है, जहां मशहूर लोगों की शक्ल से मिलते मोम के हूबहूू पुतले रखे हैं। इस स्टुडियो में जाने का महंगा टिकट होता है। यह स्टुडियो कला की सेवा के लिए कम और धंधे के लिए ज्यादा है। 2017 में मैडम तुसाद स्टुडियो वंâपनी अपना एक स्टुडियो दिल्ली में शुरू करने वाली है और उस स्टुडियो में अरविंद केजरीवाल और कपिल शर्मा जैसों की मूर्तियां भी होगी। जाहिर है कहां नरेन्द्र मोदी और कहां कपिल शर्मा।
नरेन्द्र मोदी ने अपने मोम के पुतले को ओके कर दिया है। मतलब उन्हें अब पुतले की कृति पर कोई आपत्ति नहीं है। इतना ही नहीं, नरेन्द्र मोदी ने अपनी दरियादिली का परिचय देते हुए इस पुतले के साथ फोटो खींचने की अनुमति भी दे दी। उन्होंने फेसबुक और ट्विटर पर वे फोटो शेयर भी कर दिए। लाखों लोगों ने उन संदेशों को पढ़ा और हजारों ने शेयर भी किया। कई लोगों को इसमें हास्य का बोध भी हुआ। नरेन्द्र मोदी की शक्ल के मोम के पुतले लंदन के अलावा सिंगापुर, हांगकांग और बैंकॉक के स्टुडियो में भी प्रदर्शित किए जाएंगे। पर्यटक इन स्टुडियो में जाकर नरेन्द्र मोदी की शक्ल से मिलते-जुलते पुतले के साथ सेल्फी ले पाएंगे। सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी और उनके मोम के पुतले पर लोगों ने काफी रूचि दिखाई।
नरेन्द्र मोदी को कई लोग लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के समकक्ष मानते हैं। इसलिए लिखा गया कि लौह पुरूष का मोम का पुतला ठीक नहीं है। यूरोप के एक प्रमुख अखबार ने तो इस पर कार्यक्रम भी बना दिया, जिसमें नरेन्द्र मोदी के दो पुतले प्रदर्शित थे। नीचे लिखा था कि दूसरा लोहे का पुतला नरेन्द्र मोदी के आग्रह पर बनवाया गया है। किसी ने यह लिखा कि मोम का पुतला तो मनमोहन सिंह का ही ठीक होता, क्योंकि वे अक्सर मौन ही रहते थे। राहुल गांधी का मजाक उड़ाने वाले लोगों ने लिखा कि मैडम तुसाद स्टुडियो के संचालकों ने घोषणा की है कि वे अब राहुल गांधी का पुतला भी लगाने जा रहे हैं, भले ही उन्हें इसके लिए उन्हें चार्ली चैप्लिन का पुतला हटाना पड़े।
मोम के पुतले के साथ नरेन्द्र मोदी की तस्वीर पर एक टिप्पणी यह भी आई कि इनमें से एक स्थायी रूप से भारत के बाहर रहेगा और दूसरा भारत में। कई लोगों ने लिखा कि ये दोनों गुरू-चेले हैं या पिता-पुत्र? कई लोगों ने लिखा कि नरेन्द्र मोदी के इस पुतले को देखकर अनेक लोगों को बरनाल की जरूरत पड़ेगी। किसी ने तस्वीर पर कमेंट किया कि इनमें से एक लोकसभा के लिए है और एक राज्यसभा के लिए। यह टिप्पणी भी आई कि जब एक ही मोदी ने पाकिस्तान की हालत खराब कर दी है, तब दूसरे मोदी के आने पर न जाने क्या होगा?
मैडम तुसाद के स्टुडियो में महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी के पुतले भी हैं। इन पुतलों का जिक्र करते हुए मैडम तुसाद के सोशल मीडिया अकाउंट में गांधी की स्पेलिंग Ghandhi लिखी थी, जिस पर अनेक लोगों ने नरेन्द्र मोदी का ध्यान आकर्षित कराया और लिखा भी गांधी मेंं जी के बाद एच नहीं लिखा जाता। ट्विटर अकाउंट पर इस तरह की पोस्ट के बाद लंदन के तुसाद स्टुडियो ने गलती सुधार ली। लोगों ने लिखा कि नरेन्द्र मोदी के बहाने गांधी के नाम में भी गलती तो ठीक हुई। जय हिन्द और भारत माता की जय जैसे नारे भी नरेन्द्र मोदी के मोम के पुतले के साथ शेयर किए गए। यह भी लिखा गया कि आप करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हो। यह मोम का पुतला उसका प्रतीक है। बड़ी संख्या में लोगों ने अखबारों में छपी मैडम तुसाद के स्टुडियो की तस्वीर को शेयर किया।
23 April 2016 8.15 am
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