गूगल ने घोषणा की है कि उसके जी-मेल अकाउंट का उपयोग करके इंग्लैण्ड में लोग धनराशि का लेन-देन कर सकते हैं। यह सुविधा केवल 18 साल से बड़े लोगों के लिए उपलब्ध है। इसका उपयोग करके वे लोग भी धनराशि प्राप्त कर सकेंगे, जिनका जी-मेल अकाउंट नहीं हैं। अगर धनराशि भेजने वाले का जी-मेल अकाउंट हैं, तो भी काम चल जाएगा। इसके लिए जी-मेल ने अपने अटैचमेंट के साथ पाउंड के निशान का आईकॉन भी जोड़ दिया है। इसके लिए गूगल वॉलेट नामक सेवा का उपयोग किया जा रहा है।
गूगल के साथ ही आईटी कंपनी एप्पल भी वित्त क्षेत्र में अपनी नई सेवाओं के विस्तार के लिए बेताब हैं। गूगल ने तो मोबाइल फोन बिल पेमेन्ट करने वाली कंपनी सॉफ्टकार्ड का अधिग्रहण भी करने की फिराक में है और इसके लिए वह दस करोड़ डॉलर तक का भुगतान करने को तैयार है। सॉफ्टकार्ड एनएफसी टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है। इसी के उपयोग से सामान और सेवाओंं की खरीदी की जाती है। नीयर फिल्ड कम्युनिकेशन्स यानि एनएफसी टेक्नोलॉजी का उपयोग करके ही एप्पल अपने आईफोन 6 और आईफोन 6प्लस के उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करता है।
यूरोप में यह जानने के प्रयास किए जा रहे है कि बैंकिंग सेक्टर में दुनिया के प्रमुख आईटी कंपनियों को कैसा रिस्पांस मिल सकता है? करीब सात हजार लोगों के बीच इस तरह के सर्वे किए गए कि क्या लोग गूगल बैंक, फेसबुक बैंक, अमेजॉन बैंक और एप्पल बैंक जैसी कंपनियों के बारे में क्या राय रखते हैं? करीब 20 प्रतिशत लोगों ने इस तरह की राय व्यक्त की है कि अगर ये कंपनियां बैंकिंग सेक्टर में आती है, तो वे उनकी सेवाएं लेने में खुशी महसूस करेंगे। यह विचार इसलिए आया कि इन आईटी कंपनियों के यूजर्स की संख्या कई देशों में बैंक अकाउंट रखने वालों से ज्यादा है। ये कंपनियां धनराशि के आदान-प्रदान के अलावा बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भी काम कर सकती है। अभी बैंकिंग का कार्य करने में आईटी कंपनियों की मदद से तैयार अनेक प्रॉडक्ट्स का उपयोग किया जाता है। तकनीक के मामले में यह बैंक इन आईटी कंपनियों से पीछे ही है। वहां का काम का माहौल भी उतना प्रभावी नहीं, जितना आईटी कंपनियों का है। रिस्क एनालिसिस जैसे क्षेत्र में ये आईटी कंपनियां बेहतर निष्कर्ष दे सकती है।
इन प्रमुख आईटी कंपनियों के पास अच्छा कैश फ्लो हैं। कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए इनके पास धनराशि की कमी नहीं है और ये कंपनियां निवेश करने में भी पीछे नहीं रहने वाली। वर्तमान में इन कंपनियों का लक्ष्य है 1981 से 1997 तक जन्में लोगों के बीच बैंकिंग करना। ये कंपनियां परंपरागत बैंकिंग के रूप को बदलकर रख सकती है। एक अनुमान है कि पांच साल में बैंकिंग सेक्टर का पूरा माहौल ही अलग तरह का होगा। ऑनलाइन बैंकिंग और ई-शॉपिंग के दौर में इन आईटी कंपनियों के कारोबार में कल्पनातीत वृद्धि हो सकती है। इससे बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के तमाम पुराने नियम बदल सकते हैं।
संभव है कि आने वाले कुछ सालों में हम परंपरागत राष्ट्रीय बैंकों के बजाय पे-पॉल, स्क्वेयर और एप्पल तथा गूगल की वित्तीय सेवाओं की मदद लें। हो सकता है कि अमेजॉन से प्रॉडक्ट खरीदते समय हम अमेजॉन की ही बैंकिंग का इस्तेमाल करने लगे। हो सकता है कि भारत जैसे देश में इन आईटी कंपनियों के बैंक खुलने में कुछ देर लगे। यह तो निश्चित ही होने वाला है कि भविष्य में बैंकिंग के लिए किसी भी बैंक की शाखा में जाने की जरूरत ही न पड़े। बैंक में खाता खुलवाने के लिए हमें किसी से रूबरू मिलने की जरूरत ही न हो। धनराशि के भौतिक रूप से लेन-देन के बजाय केवल इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन ही हो और हिसाब भी ऐसे ही रखा जाए। वर्तमान में जिस तरह बैंकिंग हो रही है, इसकी कल्पना भी 20-25 साल पहले किसने की थी?