कई लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर दूसरे लोगों को ब्लॉक करने के पहले ज्यादा नहीं सोचते। फेसबुक पर अनफ्रेंड करने का भी एक फैशन सा आ गया है। शेखी बघारते हुए कई लोग फेसबुक पर पोस्ट लिखते है कि आज मैंने इतने लोगों को अनफ्रेंड किया। कई लोग इसके कारण भी बताते है कि उन्होंने किस कारण बड़ी संख्या में मित्रों को अनफ्रेंड करने का फैसला किया गया। ब्रिटेन में मनोवैज्ञानिक इस बात पर अध्ययन कर रहे है कि लोग ऐसा क्यों करते है। आम धारणा है कि दोस्तों को सोशल मीडिया पर अनफ्रेंड करने के बाद कुछ राहत मिलती होगी। यह धारणा सही नहीं है। मनोवैज्ञानिक कहते है कि अगर आप में इस तरह की आदत है कि लोगों को अनफ्रेंड करके शेघी बघारे, तो यह आपके मनोविज्ञान का एक गंभीर प्रश्न दिखाता है।
मनोवैज्ञानिकों ने इसके बहुत से कारण बताए है, उनके अनुसार जब कोई अपने फेसबुक फ्रेंड को अनफ्रेंड करने का अभियान चलाता है, जब शुरू में उसे राहत महसूस होती है, लेकिन कुछ दिनों तक वह अपने ही अंतरविरोधों को दबा नहीं पाता। उसे लगता है कि कहीं उसने कुछ गलत तो नहीं कर दिया। अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में भी इस बारे में शोध हो रहा है। शोधकर्ताओं ने इस तरह के अध्ययन किए कि कोई व्यक्ति अपने कितने फेसबुक फ्रेंड को याद रख सकता है, जो निष्कर्ष निकला है, उसके अनुसार औसत फेसबुक यूजर अपने करीब 72 प्रतिशत फेसबुक दोस्तों को पहचानने में सक्षम है।
फेसबुक पर दोस्तों के साथ जब संबंध कुछ-कुछ जटिल हो जाते है, तब लोग अनफ्रेंड करने की सोचते है। संवेदनशील लोग इस बात पर भी नाराज हो जाते है कि उनकी पोस्ट को उनके चहेते दोस्तों ने ही लाइक नहीं किया। कई बार दोस्तों के कमेंट्स भी नागवार गुजरते है। आक्रामक भाषा और अभद्र शब्द का उपयोग भी लोगों को अनफ्रेंड करने के लिए प्रेरित करता है। कई लोग हर रोज अपनी और अपने कुत्ते की सेल्फी पोस्ट करते रहते है। यह बात भी लोगों को इरिटेट करती है। अनफ्रेंड करने की भावना हमारे मन में किसी पुराने दोस्त की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है और उसका प्रभाव हमारे मन पर नकारात्मक हो सकता है।
अमेरिकी विश्वविद्यालय में शोध के दौरान कुछ ऐसे लोगों से बातचीत भी की गई। ये वे लोग थे, जिन्होंने फेसबुक पर अपने साथी को अनफ्रेंड किया था और फिर बाद में जब वे रूबरू मिले, तब उन्हें इस बात का अफसोस रहा कि उन्होंने आखिर एक-दूसरे को अनफ्रेंड किया तो क्यों? बातचीत में वे लोग यहीं कहते पाए गए कि उन्होंने अपने मानसिक तनाव के क्षण में और जल्दबाजी में अपने मित्र को अनफ्रेंड किया।
ऐसे बहुत सारे युवाओं से शोध के दौरान बातचीत की गई, जिनमें परस्पर प्रेम के रिश्ते थे। प्रेम संबंध टूटने के बाद नाराज होकर प्रेमी अथवा प्रेमिका को अनफ्रेंड करने के मामले भी बहुतेरे थे। फेसबुक पर अनफ्रेंड करने के बाद भी प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे के पेज पर जाकर उनकी गतिविधियां देखते रहते। उन्हें अपनी पुरानी बातें भी याद आती और अफसोस होता कि उन्होंने अपने प्रेमी या प्रेमिका को अनफ्रेंड क्यों किया? मनोवैज्ञानिक पाते है कि इंस्टाग्राम पर भी लोगों के ऐसे ही उदाहरण देखने को मिले। यह एकतरह के मानसिक अवसाद की घड़ी का फैसला होता है। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। कोई व्यक्ति इससे चिड़चिड़ा और बदमिजाज हो सकता है।
सोशल मीडिया पर किसी को अनफ्रेंड करने का उद्देश्य आमतौर पर यह होता है कि लोग अपने उस मित्र के बारे में कम से कम सोचना चाहते है। यह उनका एक बौद्धिक फैसला होता है। बाद में जब वे दिल से उस बारे में सोचते है, तब उन्हें अच्छा नहीं लगता। सोशल मीडिया पर किसी दोस्त को अनफ्रेंड करने का फ्रेंड लिस्ट से हटाने का मतलब यह नहीं है कि आपने उसे अपने दिल से भी हटा दिया। इसलिए अगर आप अपने मित्रों को थोक में अनफ्रेंड कर रहे हो, तो एक बार सोच लीजिए।
11 March 2017